क़ुरआनी दुआएं
क़ुरआनी दुआएं
प्रिय पाठकों हमने और आपने आज तक बहुत सी दुआएं पढ़ी होंगी और बहुत सी दुआओं की किताब देखी होंगी और ना जाने कितनी हमारे और आपके घरों में होगी जिनको प्रतिदिम हम और आप पढ़ते रहते हैं।
लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि क़ुरआन जिसको हम केवल आयतों और सूरे की एक किताब समझते हैं उसमें भी बहुत सी दुआएं मौजूद हैं
अगर नहीं सोचा या कभी क़ुरआन को इस द्रष्टि से नहीं देखा है तो कोई बात नहीं है आज हम आपको क़ुरआने मजीद की कुछ दुआओं से परिचित कराते हैं।
رَبَّنَا آتِنَا فِي الدُّنْيَا حَسَنَةً وَفِي الآخِرَةِ حَسَنَةً وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
परवरदिगार हमें दुनिया में भी नेकी अता फ़रमा और आख़ेरत में भी, और हमें नर्क के अज़ाब से सुरक्षित फ़रमा।
बक़रा आयत 201
قَالُواْ رَبَّنَا أَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَثَبِّتْ أَقْدَامَنَا وَانصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ
पालने वाले हमें बे पनाह सब्र (धैर्य) अता फ़रमा,हमारे क़दमों को सिबात (मज़बूती) दे और हमें काफ़िरों के मुक़ाबिले में नुसरत (सहायता) अता फ़रमा।
बक़रा आयत 250
رَبَّنَا لاَ تُؤَاخِذْنَا إِن نَّسِينَا أَوْ أَخْطَأْنَا
पालने वाले हम जो भूल जायें या हमसे ग़लती हो जाये उसका मुवाख़ेज़ा न करना। ( यानी उसके बारे में जवाब तलब न करना।)
बक़रा आयत 286
رَبَّنَا وَلاَ تَحْمِلْ عَلَيْنَا إِصْرًا كَمَا حَمَلْتَهُ عَلَى الَّذِينَ مِن قَبْلِنَا
पालने वाले हम पर वैसा बोझ न डालना, जैसा पिछली उम्मतों पर डाला गया।
बक़रा आयत 286
رَبَّنَا وَلاَ تُحَمِّلْنَا مَا لاَ طَاقَةَ لَنَا بِهِ وَاعْفُ عَنَّا وَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَآ أَنتَ مَوْلاَنَا فَانصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ
पालने वाले हम पर वह बार न डालना जिसकी हम में शक्ति न हो, हमें माफ़ कर देना, हमें क्षमा देना, हम पर रहम करना, तू हमारा मौला और मालिक है, अब काफ़िरों के मुक़ाबिले में हमारी मदद फ़रमा।
बक़रा आयत 286
رَبَّنَا لاَ تُزِغْ قُلُوبَنَا بَعْدَ إِذْ هَدَيْتَنَا وَهَبْ لَنَا مِن لَدُنْكَ رَحْمَةً إِنّكَ أَنتَ الْوَهَّابُ
पालने वाले मार्गदर्शन के बाद हमारे दिलों को न फेरना, हमें अपने पास से रहमत अता फ़रमा, तू तो बेहतरीन अता करने वाला है।
आले इमरान आयत 8
رَبَّنَا إِنَّنَا آمَنَّا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَقِنَا عَذَابَ النَّارِ
पालने वाले हम ईमान ले आये हैं हमारे गुनाहों को माफ़ करदे और हमें जहन्नम से बचा ले।
आले इमरान आयत 16
ربَّنَا اغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَإِسْرَافَنَا فِي أَمْرِنَا وَثَبِّتْ أَقْدَامَنَا وانصُرْنَا عَلَى الْقَوْمِ الْكَافِرِينَ
पालने वाले हमारे गुनाहों को माफ़ कर दे हमारे कामों में ज़्यादतियों को माफ़ फ़रमा, हमारे क़दमों को मज़बूत बना दे और काफ़िरों के मुक़ाबिले में हमारी सहायता कर।
आले इमरान आयत 147
رَبَّنَا فَاغْفِرْ لَنَا ذُنُوبَنَا وَكَفِّرْ عَنَّا سَيِّئَاتِنَا وَتَوَفَّنَا مَعَ الأبْرَارِ
पालने वाले हमारे गुनाहों को माफ़ फ़रमा, हम से हमारी बुराईयों को दूर कर दे और हमें नेक बंदों के साथ क़यामत में बुला फ़रमा।
आले इमरान आयत 193
رَبَّنَا آمَنَّا فَاكْتُبْنَا مَعَ الشَّاهِدِينَ
पालने वाले हम ईमान ले आये हैं इसलिए हमारा नाम भी तसदीक़ करने वालों में लिख ले।
मायदा आयत 83
رَبَّنَا لاَ تَجْعَلْنَا مَعَ الْقَوْمِ الظَّالِمِينَ
पालने वाले हमें ज़ालिमों के साथ क़रार न देना।
आराफ़ आयत 47
رَبَّنَا أَفْرِغْ عَلَيْنَا صَبْرًا وَتَوَفَّنَا مُسْلِمِينَ
पालने वाले हमें बहुत ज़्यादा सब्र अता फ़रमा और हमें मुसलमान दुनिया से उठा।
आराफ़ आयत 126
رَبَّنَا وَتَقَبَّلْ دُعَاءِ
पालने वाले मेरी दुआ को क़बूल फ़रमा।
इब्राहीम आयत 40
رَبَّنَا اغْفِرْ لِي وَلِوَالِدَيَّ وَلِلْمُؤْمِنِينَ يَوْمَ يَقُومُ الْحِسَابُ
पालने वाले मुझे, मेरे वालदैन को और तमाम मोमेनीन को उस दिन बख़्श देना जिस दिन हिसाब क़ायम होगा।
इब्राहीम आयत 41
رَبَّنَا آتِنَا مِن لَّدُنكَ رَحْمَةً وَهَيِّئْ لَنَا مِنْ أَمْرِنَا رَشَدًا
पालने वाले हमें अपनी रहमत अता फ़रमा और हमारे काम में कामयाबी का समान फ़राहम कर दे।
कहफ़ आयत 10
رَبَّنَا آمَنَّا فَاغْفِرْ لَنَا وَارْحَمْنَا وَأَنتَ خَيْرُ الرَّاحِمِينَ
पालने वाले हम ईमान ले आये हैं, अब हमें माफ़ फ़रमा और हमारे ऊपर रहम कर और तू तो रहम करने वालों में सबसे बेहतर है।
मोमिनून आयत 109
رَبَّنَا هَبْ لَنَا مِنْ أَزْوَاجِنَا وَذُرِّيَّاتِنَا قُرَّةَ أَعْيُنٍ وَاجْعَلْنَا لِلْمُتَّقِينَ إِمَامًا
पालने वाले हमें हमारी अज़वाज व औलाद की तरफ़ से ख़ुनकी –ए- चश्म अता फ़रमा और हमें साहिबाने तक़वा का पेशवा बना दे।
फ़ुरक़ान आयत 74
स्पष्ट रहे कि हमने जो यह क़ुरआनी दुआएं अपने पाठकों के लिए लिखी हैं उसका अर्थ यह नहीं है कि क़ुरआन में केवल यही दुआएं हैं, संभव है कि इसके अतिरिक्त भी क़ुरआन में दुआएं हों लेकिन हमने केवल उनहीं आयतों को दुआ के तौर पर चुना है जिनमें रब्बना शब्द पाया जाता है इसके अतिरिक्त भी दूसरे शब्दों के माध्यम से दुआ हो सकती है
जैसे यह दुआ
وَقُل رَّبِّ زِدْنِي عِلْمًا
आदि
नई टिप्पणी जोड़ें