आत्महत्या
आत्महत्या
एक दिन हज़रत ईसा (अ) एक ऊँचे स्थान पर खड़े हुए थे अचानक शैतान प्रकट हुआ और उसने कहाः
हे रूहुल्लाह क्या आप यह नहीं कहते कि ईश्वर जो चाहता है कर सकता है ?
हज़रत ईसा ने कहाः हां ईश्वर जो चाहता है कर सकता है।
शैतान ने कहाः अगर आप इस ऊँचाई से नीचे गिर जाएं तो क्या ख़ुदा आपको बचा सकता है?
हज़रत ईसा ने कहाः हां
शैतान ने कहाः अगर आप सच्चे हैं तो ख़ुद को यहां से गिरा दीजिए ताकि यह पता चल जाए कि ख़ुदा बचाता है या नहीं?
हज़रत ईसा समझ गए कि यह एक शैतानी चाल है।
अपने शैतान से कहाः तुझ पर ख़ुदा की लानत हो, यह अच्छी बात नहीं है कि एक बंदा ख़ुदा का इम्तेहान ले बल्कि सच्चाई तो यह है कि ख़ुदा बंदे को आज़माए, और यह बात जो तू कह रहा है बिलकुल ग़लत है। मैं तेरे सामने केवल यह साबित करने के लिए कि ख़ुदा कर सकता है या नहीं इस ऊँचाई से कूद जाऊँ लेकिन वही ख़ुदा जिसने इन्सानों को पैदा किया है यह कार्य करने से मना कर रहा है क्योंकि यह आत्महत्या करना है और यह हराम है।
हां अगर मैं आत्महत्या के इरादे के बिना गिर जाऊँ और ख़ुदा मुझे जीवित रखना चाहे तो वह मुझे सही सलामत रख सकता है।
(कशकोल शेख़ बहाई पेज 641 इबलीस नामा से लिया गया पेज 56,57)
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