ख़ाली गिलास और नदी
ख़ाली गिलास और नदी
एक जवान किसी हकीम के पास गया और बोला: मुझे कोई नसीहत कीजिए या कोई ऐसी बात बताइये जो जीवन की कठिनाईयों में हमेशा मेरे काम आए। वह हकीम जो काफ़ी पढ़ा लिखा था और बहुत ही अनुभवी आदमी था, जवान से बोला: जाओ अन्दर से नमक का डिब्बा और एक गिलास पानी लेकर आओ।
जवान अन्दर गया और एक गिलास पानी के साथ नमक का डिब्बा भी लाया।
हकीम नें गिलास में एक मुट्ठी नमक डाला और कुछ इन्तेज़ार किया ताकि नमक पानी में घुल जाए। जब नमक पानी में घुल गया तो उसनें जवान से कहा: इस पानी को पी जाओ। जवान नें गिलास होंठ के साथ लगाया लेकिन एक घूँट पानी भी न पी सका।
हकीम नें पूछा पानी कैसा है?
जवान बोला: बहुत ज़्यादा नमकीन, इतना ज़्यादा कि पिया नहीं जा सकता।
हकीम नें जवान से कहा: नमक का डिब्बा उठाओ और मेरे साथ आओ।
कुछ देर बाद वह दोनों एक नदी के पास पहुँचे।
हकीम नें जवान से कहा: नमक का डिब्बा इस नदी में ख़ाली कर दो।
जवान नें सारा नमक नदी में उंडेल दिया और डिब्बा ख़ाली हो गया।
हकीम नें फिर कहा: अब इस नदी में से एक गिलास पानी निकालो और पी जाओ।
जवान नें नदी से एक गिलास पानी लिया और आसानी से उसे पी गया।
हकीम नें इस बार फिर पूछा: पानी कैसा था?
जवान बोला: बिल्कुल साफ़ और सादा जिसे कोई भी आसानी से पी सकता है।
यह सुनकर हकीम बोला: इन्सान के जीवन में जो कठिनाईयां आती हैं वह एक मुट्ठी नमक जैसी हैं। इन्सान की आत्मा जितनी बड़ी होगी वह उतनी आसानी से उन कठिनाईयों का सामना कर सकती है, इसलिये हमेशा यही कोशिश करो कि नदी जैसे बनो नाकि एक गिलास पानी जैसे। यह न देखो कि जीवन में कितनी कठिनाईयां हैं बल्कि यह देखो कि तुम्हारी आत्मा कितनी बड़ी है।
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