ख़ुदा से राज़ी रहने और सर झुकाने का मतलब
ख़ुदा से राज़ी रहने और सर झुकाने का मतलब
जाबिर बिन अब्दुल्लाह अंसारी बहुत बूढ़े और कमज़ोर हो चुके थे एक दिन वह इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ) के पास आए।
इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ) जाबिर क्या हाल है?
जाबिर ने कहाः मौला अब तो मेरा यह हाल है कि मैं बुढ़ापे को जवानी बीमारी को स्वास्थ और मौत को जीवन से बेहतर समझता हूँ।
इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ) ने फ़रमायाः लेकिन मेरा यह हाल नहीं है, अगर अल्लाह मुझे बुढ़ापा दे तो मैं बुढ़ापे को और अगर जवानी दे तो जवानी को और अगर बीमारी दे तो बीमारी को और अगर शिफ़ा दे तो स्वास्थ को और अगर मौत दे तो मौत को और अगर जीवन दे तो जीवन को अच्छा समझता हूँ।
यह सुनकर जाबिर अपने स्थान से उठे और आपने इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ) का माथा चूमा और कहाः आपके नाना रसूले ख़ुदा (स) ने सच ही कहा थाः जाबिर तुम लंब जीवन पाओगे और हुसैन (अ) के पोते से मिलोगे जो दफ़्न हो चुके ज्ञान को ऐसे निकालेगा जैसे हल ज़मीन को चाक करता है और उसकी उपाधि बाक़िर होगी।
पंदे तारीख़ पेज 221
नई टिप्पणी जोड़ें