सर भी तसलीमे मोहब्बत से हिलाया न गया

सर भी तसलीमे मोहब्बत से हिलाया न गया

अख़नफ़ बिन क़ैस कहते हैं एक दिन मैं अपने चचा सअसआ बिन सौहान के पास पहुँचा और अपने जीवन की कठिनाइयों के लिए उनसे शिकवा करने लगा तो उन्होंने मुझे ख़बरदार करते हुए कहाः भतीजे जब तुम किसी से शिकवा और शिकायत करोगे तो उसमें स्थितियां होंगी।

1. जिससे शिकायत करोगे वह तुम्हारा दोस्त होगा तो वह तुम्हारी परेशानी सुनकर परेशान और दुखी हो जाएगा।

2. जिससे शिकायत करोगे वह तुम्हार दुश्मन होगा तो वह तुम्हारी परेशानी सुनकर उलटा प्रसन्न होगा और ख़ुशी मनाएगा।

इस संसार के सामने अपने कष्ठों और परेशानियों की शिकायत ना करो क्योंकि उनमें इतनी शक्ति नहीं है कि वह तुम्हारी समस्याओं का समाधान कर सकें, अपनी परेशानियों और कष्ठों की शिकायत करना ही है तो उससे करों जिसने तुमको इसमें डाला है और जो तुम्हारी समस्याओं को दूर करने की शक्ति भी रखता है।

प्यारे भतीजेः मीरे एक आँख चालीस साल से बेकार है और मुझे उससे कुछ दिखाई नहीं देता है लेकिन मैंने इसके बारे में आज कर किसी को नहीं बताया यहां तक कि मेरी पत्नी को भी इसकी जानकारी नहीं है।

(अलकुनी वल अलक़ाब जिल्द 2 पेज 13)

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