हज़रत ख़दीजा (स) की अपाधियाँ

हज़रत ख़दीजा (स) की अपाधियाँ

हज़रत खदीजा (अ) के बहुत से लक़ब या अपाधियाँ हैं जो आपकी श्रेष्ठता और पवित्रता को बयान करते हैं लेकिन यहाँ उन में से सिर्फ़ कुछ का ज़िक्र कर रहे हैं:

सिद्दिक़ा (सच्ची औरत)

पैग़म्बरे अकरम (स) के ज़ियारत नामे में उनकी पत्नियों पर दुरुद व सलाम के समय हज़रत ख़दीजा (स) को अल सिद्दिक़ा की अपाधी से याद किया गया है। यह ऐसा शब्द है जो क़ुरआन मजीद में केवल एक बार हज़रत मरियम के लिये इस्तेमाल हुआ है। सादिक़े आले मुहम्मद इमाम जाफ़र सादिक़ (अ) ने लफ़्ज़े सिद्दिक़ा के मअना मासूम के बताये हैं।

मुबारका

ख़ुदा वंदे आलम ने हज़रत ईसा (अ) की अन्तिम पैग़म्बर (स) की मुबारक नस्ल से एक मुबारका ख़ातून से होगी। अब्दुल्लाह बिन सुलैमान ने भी इस मतलब को इंजील से नक़्ल किया है।

मोमिनों की माँ

 पैग़म्बरे इस्लाम (स) की पत्नियाँ क़ुरआने मजीद में उम्मुल मोमिनीन के लक़ब से याद की गई हैं। जिनकी सरदार हज़रत ख़दीजा हैं। पैग़म्बरे अकरम (स) के कथन के अनुसार उनकी बीवियों में सबसे अफ़जल व बेहतर आप ही को शुमार किया गया है।

ताहिरा (पवित्र स्त्री)

हज़रत ख़दीजा (स) का सबसे मशहूर लक़ब जाहिलियत के दौर में (वह समय जो इस्लाम के आने से पहले का था) ताहिरा था। चूँकि जाहिलियत के ज़माने की सबसे अफ़ीफ़ और पाक दामन ख़ातून आप ही थीं।

मलिका

हज़रत अमीरुल मोमिनीन अली (अ) ने एक क़सीदे में आपको सैयदतुन निसवा के नाम से ताबीर किया है जिसे सोगनाम ए हज़रत ख़दीजा (स) का उनवान दिया गया है। हज़रत इमाम सादिक़ (अ) ने भी आपको सैयदतुल क़ुरैश के नाम से याद किया है।

असमा बिन्ते उमैस भी आपको सैयदतुन निसाइल आलमीन कह कर पुकारती थीं।
जाहिलियत के दौर में आपको सैयदतुन निसाइल क़ुरैश कहा जाता था

कुछ दूसरी अपाधियाँ

पैग़म्बरे अकरम (स) के ज़ियारत नामें में हज़रत ख़दीजा सलामुल्लाह अलैहा को राज़िया, मरज़िया और ज़किय्या के नाम से भी याद किया गया है।यतीम आपको उम्मुल यतामा (यतीमों की माँ), बे कस व नाचार आपको उम्मुस सआलिक (ग़रीबों की माँ) मोमिनीन, उम्मुल मोंमिनीन और इस कायनात की नहरे जारी उम्मुज़ ज़हरा (स) यानी चश्म ए कौसर कह कर पुकारते थे।

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