इमाम अली रज़ा अलेहिस्सलाम

इमाम अली रज़ा अलेहिस्सलाम

इमाम अली रज़ा (अ) के जन्म दिवस की पूर्व संधया पर हम अपने पिर्य पाठकों को हार्दिक बधाई देते हैं और आपके समक्ष इस महान इमाम के कुछ महान और अनमोल कथन प्रस्तुत कर रहे हैं।

1. दान
हज़रत इमाम रज़ा(अ) ने कहा कि सदक़ा अवश्य दो चाहे कम ही क्यों न हो। इसलिए कि अगर सच्ची नियत से थोड़ी भी वस्तु दी जाये तो वह अल्लाह की दृष्टि मे बहुत है।

2. मुलाक़ात करना
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि आपस मे एक दूसरे से भेंट किया करो,  हाथ मिलाया करो तथा एक दूसरे से प्रेम करो एवं आपस मे एक दूसरे पर क्रोध न किया करो।

3.  कार्यों का छिपाना
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने फ़रमाया कि अपने संसारिक एवं परलोकीय कार्यों को गुप्त रखो। क्योंकि उल्लेख हुआ है कि ऱहस्योदघाटन कुफ्र है। एवं उल्लेख मिलता है कि आप जिस बात को अपने शत्रु से छिपाना चाहते हो वह आपका मित्र भी न जानने पाये।

3. वचन से फिर जाना
 हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि मानव वचन तोड़ कर विपत्तियों से मुक्ति नही पा सकता।

4. इस प्रकार रहो
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि जनता के साथ हंसी खुशी, मित्रों के साथ आदर पूर्वक, शत्रु के साथ सावधानी पूर्वक तथा शासक के साथ भय व सावधानी पूर्वक भेंट करो।

5. कम रोज़ी पर प्रसन्न होना
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि जो व्यक्ति कम सम्पत्ति पर अल्लाह से प्रसन्न हो जाता है अल्लाह भी उसके कम पुण्यों से प्रसन्न हो जाता है।

6. बुद्धि व सदाचार
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि बुद्धि अल्लाह की ओर से दिया गया एक विशेष उपहार है। और सदाचारिता बनाऐ रखना कठिनाईयों को झेलना है वह हर व्यक्ति जो कटिनाईयों के साथ सदाचार की रक्षा करता है वह सदाचारी बन जाता है। परन्तु अगर कोई परिश्रम करके बुद्धिमान बनना चाहे तो मूर्खता के अतिरिक्त किसी वस्तु मे वृद्धि न होगी।

7. रोज़ी के लिए प्रयास
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने फ़रमाया कि जो व्यक्ति अपने परिवार के निर्वाह को लिए जीविका मे वृद्धि करने के लिए परिश्रम करता है, उसका फल अल्लाह के मार्ग  मे युद्ध करने वाले से अधिक है।

8. माफ़ करना
इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि जब दो समुदाय आपस मे उलझते है तो सफलता उस समुदाय को मिलती है जो अधिक क्षमा करने वाला होता है।

9. रसूल के परिवार (अहलेबैत) से मोहब्बत
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि आले मुहम्मद (स.) की मुहब्बत पर विश्वास करके अच्छे कार्यों व इबादत को न छोड़ो। और  अच्छे कार्यों व इबादत पर विश्वास करके आले मुहम्मद की मुहब्बत को न छोड़ो। क्योंकि इन दोनों मे से कोई भी एक दूसरे के बिना स्वीकार नही होंगे।

10. ख़ामोश रहना
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि चुप रहना बुद्धिमत्ता के द्वारों मे से एक द्वार है। चुप रहना प्रेम को आकृषित करता है। तथा यह समस्त अच्छाईयों के लिए तर्क है।

11. कंजूसी
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने फ़रमाया कि कंजूसी व्यक्ति को अपमानित करा देती है। और संसारिक वस्तुओं का प्रेम दुखों  का कारण बनता है। सबसे अच्छी आदत अच्छे कार्य करना, विपत्ति मे घिरे लोगों की सहायता करना, व उम्मीदवारों की उम्मीद को पूरा करना है।

12. सर्व श्रेष्ठ बुद्धि मत्ता
 हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि सर्व श्रेष्ठ बुद्धिमत्ता व्यक्ति का अपनी आत्मा से परिचित होना है।

13. ज्ञान
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि अल्लाह उस व्यक्ति पर दया करे जो हमारे कार्यों को जीवित करे। प्रश्न पूछा गया कि आपके कार्यों को किस प्रकार जीवित किया जाये ? आपने उत्तर दिया कि हमारे ज्ञान को सीख कर दूसरों को सिखाया जाये।

14. ईमान
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि ईमान वाजिब कार्यों  के पालन व हराम (निष्द्ध) कार्यों से बचने को कहते हैं। दूसरे शब्दों मे ईमान मुख से स्वीकार करने, हृदय मे विश्वास रखने और शारीरिक अंगों से कार्य करने का नाम है।

15. अज्ञा का पालन
हज़रत इमाम रज़ा (अ) ने कहा कि अगर अल्लाह मानव जाति को नर्क व स्वर्ग से न डराता तब भी उसने जो मानव पर अनुकम्पा व उपकार किये हैं और बिना किसी अधिकार के उनको जो सम्पत्तियाँ प्रदान की हैं इन का तक़ाज़ा यही था कि मानव उसकी अज्ञा का पालन करे और उसके आदेशों की अवहेलना न करे।

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