रसूले इस्लाम (स) के पवित्र कथन
रसूले इस्लाम (स) के पवित्र कथन
आज हम यहाँ पर अपने प्रिय पाठकों के लिए रसूले इस्लाम (स) के कुछ बेशक़ीमती और मार्गदर्शक कथन प्रस्तुत कर रहे हैं हमको आशा है कि हमारे पाठक इससे लाभ उठाएंगे।
1- ज्ञान की श्रेष्ठता
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि जो व्यक्ति ज्ञान प्राप्ति के मार्ग पर चलता है अल्लाह उसके लिए स्वर्ग के मार्ग को खोल देता है। और ज्ञानी को तपस्वी पर इसी प्रकार श्रेष्ठता है जिस प्रकार पूर्णिमा के चन्द्रमा को अन्य सितारों पर।
2-शिफ़ाअत
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि मैं क़ियामत के दिन चार समुदायों और चार प्रकार के लोगों की शिफ़ाअत करूँगा।
1. अपने अहलेबैत के दोस्तों की
2. जिन लोगों ने विपत्ति के समय मेरे अहलेबैत की आवश्यक्ताओं की पूर्ति की होगी।
3. जो लोग दिल व जबान से मेरे अहलेबैत के मित्र रहे होंगे।
4. जिन्होंने मेरे अहलेबैत की सुरक्षा की होगी।
3-कथन व कर्म
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अल्लाह केवल उन कथनों को स्वीकार करेगा जिसने उनके अनुसार कार्य भी किये होंगे। और केवल उन कथनों व कार्यों को स्वीकार करेगा जो निःस्वार्थ किये गये होंगें। तथा इन सबके अतिरिक्त यह भी कि वह सुन्नतानुसार किये गये हों।
4- नरक की आग का ना पहुँचना
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि क्या मैं आपको उससे परिचित कराऊँ जिस पर नरक की आग हराम है? सबने उत्तर दिया कि हाँ पैगम्बर ने कहा कि जिस व्यक्ति मे गंभीरता,विन्रमता तथा दूसरों के लिए सरलता की भावना जैसे गुन पाये जायेंगे उस पर नरक की आग हराम है।
5- अत्याचारी के लक्षण
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि अत्याचारी के अन्दर चार लक्षण पाये जाते हैं।
1. अपने से ऊपर वालों की अज्ञा की अवहेलना करता है।
2. अपने से नीचे वालों कों कड़ाई के साथ आदेश देता है।
3. हक़ (वास्तविक्ता) से ईर्शा रखता है।
4. खुले आम अत्याचार करता है।
6- धार्मिक ज्ञान
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि धार्मिक ज्ञान के तीन विभाग हैँ।
1. आस्था से सम्बन्धित सिद्धान्तों का ज्ञान (उसूले दीन)
2. सदाचार का ज्ञान (अखलाक़)
3. धार्मिक निर्देशों का ज्ञान (फ़िक़्ह)
7-बिना ज्ञान
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि जो बिना ज्ञान के धार्मिक निर्देश देता है वह स्वंय भी मरता है तथा दूसरों को भी मारता है।
8-रोज़ेदार का सोना
हज़रत पैगम्बरे इस्लाम (स.) ने कहा कि रोज़े दार अगर सो भी जाये तो उस का सोना इबादत है। इस शर्त के साथ कि वह किसी मुस्लमान की चुगली न करे ।
नई टिप्पणी जोड़ें