पर्दा मुसलमान औरत का नारा, पश्चिम की आँख का कांटा!

पर्दा मुसलमान औरत का नारा, पश्चिम की आँख का कांटा!

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

एक बिर्टिश कार्टूनिस्ट की सोच कहें या मुस्लमानों पर किए जाने वाले अत्याचार पर एक ग़ैर मुस्लिम का विलाप, क्या मुसलमानों को भी कभी अपनी गिरती हालत पर विलाप के लिए चेतना जागेगी? क्या मुसलमानों को मुसलमानों के विरुद्ध लड़ने से फ़ुर्सत मिलेगी?
पर्दा मुसलमानों का नारा पश्चिमी दुनिया की आखों का काटा
 
 
अनुवादः मुसलमान जीवित या मृत बहुत ख़तरनाक हैं!

 

 
अनुवादः एक ईसाई नन अपने पूरे शरीर को सर से पाँव तक ढक सकती है, अपना पूरा जीवन अराधना के लिए समर्पित कर सकती है, ठीक है? लेकिन जब एक मुसलमान औरत ऐसा करती है तो उसपर मलामत और उंगली क्यों उठाई जाती है?

 
जब पश्चिमी दुनिया में कोई औरत घरदारी करे और अपने बच्चों की देखभाल करे तो उसकी तारीफ़ की जाती है, अपने परिवार के प्रति समर्पित कहा जाता है लेकिन अगर यही काम कोई मुसलमान औरत करे तो उसपर मलामत की जाती है।

 
हर लड़की को अधिकार है कि वह यूनिवर्सिटी जाए और जो चाहे वह पहने लेकिन एक पर्देदार मुसलमान लड़की के लिए यूनिवर्सिटी के दरवाज़े बंद कर दिए जाते हैं

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अगर पश्चिमी दुनिया में कोई व्यक्ति अपनी जान पर खेलकर दूसरों की जान बचाए तो उसको वीर और बहादुर कहा जाता है और पूरा समाज उसको सम्मान की द्रष्टि से देखता है लेकिन अगर कोई फ़िलिस्तीनी अपने भाई या अपने बच्चे को बचाए कि कहीं उसका हाथ ना टूट जाए। या कोई फ़िलिस्तीनी अपनी माँ या बहन की रक्षा करे कि कहीं उसका अपमान ना किया जाए और उसको दरिंन्दगी का शिकार ना बनाया जाए। या वह अपने घर की सुरक्षा करे कि कहीं वीरान ना हो जाए तो उसको आतंकवादी कहा जाता है

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अगर बच्चा किसी विषय का शौक़ीन हो तो उसको उत्साहित और प्रेरित करना चाहिए लेकिन अगर उसका झुकाव इस्लाम की तरफ़ हो तो उसका कोई लाभ नही है!

 
अगर कोई यहूदी किसी की हत्या करे तो इस कार्य का उसके धर्म के कोई सम्बन्ध नही  है लेकिन अगर कोई मुसलमान कोई जुर्म करे तो हम (पश्चिम वाले) इस्लाम धर्म को वास्तविक मुजरिम समझते हैं!

 
जब कोई समस्या पेश आती है तो हम कोई भी हल स्वीकार कर लेते हैं, सही ? लेकिन अगर इस्लाम हमको हल का कोई रास्ता दिखाए तो हम देखते तक नही!

 

जब कोई किसी अच्छी गाड़ी को ग़लत प्रकार से चलाए तो कोई भी उसमें गाड़ी की ग़ल्ती नही निकालता.... लेकिन अगर कोई मुसलमान ग़ल्ती करे, सही व्यवहार ना करे तो कहते हैं कि ग़ल्ती इस्लाम की है!


 
इस्लामी शरीअत पर एक आधी निगाह डाले बिना ही समाचार पत्र जो कहते हैं हमारी जनता (पश्चिमी लोग) उसको स्वीकार कर लेती है लेकिन प्रश्न यह है कि इस्लाम क्या कहता है?

 
 क्यों

 
इसलिए कि वह एक मुसलमान है!

 

क्या आप चाहते हैं कि इस अत्याचार और ज़ुल्म को समाप्त किया जाए अगर हाँ तो यह लिंक अपने भाईयों और दोस्तो को भी दें

 
मैं एक मुसलमान हूँ, मुझे क़त्ल करो और मेरे ही क़त्ल के अतिरिक्त ख़र्चे को मेरे ही नाम पर लिख दो, मेरे देश मेरी हुकूमत को लूट लो, मेरे वतन में अत्याचार करो, मेरे नेताओं का चुनाव तुम करो और इन कार्य का नाम डेमोक्रेसी रख दो

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