रमज़ान के महीने में की जाने वाली इबादतें

रमज़ान के महीने में की जाने वाली इबादतें 

 

 

माहे रमज़ान की बरकत और पवितर्ता से हम उसी समय लाभ उठा सकते हैं जब हम अपने बहुमूल्य समय का सही प्रयोग करेंगे, इस कृपा, माफी वाले महीने में सही से अल्लाह की पुजा-अराधना करेंगे जिस तरह से प्रिय रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही वसल्लम) ने अल्लाह की पुजा- अराधना की है। वह इबादतें करेंगे जिसके करने से हमें पुण्य प्राप्त हो और हमारी झोली पुण्य से भर जाए और हमारा दामन पापों से पाक साफ हो जाए और उन कामों से दूर रहा जाए जो इस पवित्र महीने की बरकत तथा अल्लाह की कृपा, माफी से हमें महरूम ( वंचित) कर दे।
रमज़ान के महीने की सब से महत्वपूर्ण इबादत रोज़ा (ब्रत) है जिसे उसकी वास्तविक हालत से रखा जाए और उन कामों तथा कार्यों से दूर रहा जाए जो रोज़े को भंग ( खराब) कर दे। रोज़े रखने के लिए सब से पहले रात से ही या सुबह सादिक़ से पहले ही रोज़े रखने की नीयत किया जाए। इस लिए कि जो व्यक्ति रोज़े की नीयत न करेगा, उस का रोज़ा पूर्ण न होगा।

रमज़ान के मुबारक महीने में निम्नलिखित कार्य अल्लाह को खुश करने के लिए किये जाऐं।

1-   सेहरीः रोज़े रखने के लिए सब से पहले सेहरी खायी जाए क्यों कि सेहरी खाने में बरकत है, सेहरी कहते हैं सुबह सादिक़ से पहले जो कुछ उप्लब्ध हो उसे रोज़ा रखने की नीयत से खा लिया जाए। रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) ने फरमाया,”

تسحروا فان فی السحور برکه

सेहरी खाओ क्यों कि सेहरी खाने में बरकत है “। एक दुसरी हदीस में आया है ” सेहरी खाओ यदि एक घोंट पानी ही क्यों न पियो, ”
2रोज़े की हालत में गलत सोच विचार से अपने आप को सुरक्षित रखा जाएः 
फजर से पहले से लेकर सुर्य के डुबने तक खाने – पीने तथा संभोग से रुके रहना ही रोज़ा की वास्तविक्ता नही बल्कि रोज़ा की असल हक़ीक़त यह कि मानव हर तरह की बुराई, झूट, झगड़ा लड़ाइ, गाली गुलूच, तथा गलत व्यवहार और गलत सोच – विचार तथा अवैध चीज़ो से अपने आप को रोके रखे यही रोज़े का लक्ष्य है और उसे पुण्य उसी समय प्राप्त होगा जब वह इसी तरह रोज़े रखेगा, रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही वसल्लम) का कथन है ” कितने ही रोज़ेदार एसे हैं जिन के रोज़े से कोई लाभ नही, केवल भुखा और पियासा रहना है।

गोया कि रमज़ान महिने में अल्लाह तआला की ओर से दी जाने वाली माफी, अच्छे कामों से प्राप्त होनी वाली नेकियाँ, उसी समय हम हासिल कर सकते हैं जब हम रोज़े की असल हक़कीत के साथ रोज़े रखेंगे ।
3कुरआन करीम की ज़्यादा से ज़्यादा तिलावत की जाएः 
अल्लाह ने पवित्र कुरआन इस मुबारक महीने में मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही वसल्लम) पर जिब्रील के माध्यम से उतारा, जैसा कि अल्लाह का इरशाद है, ” रमज़ान वह महीना है जिस में कुरआन उतारा गया जो इनसानों के लिए सर्वथा मार्गदर्शन है और ऐसी स्पष्ट शिक्षाओं पर आधारित है जो सीधा मार्ग दिखानेवाली और सत्य और असत्य का अन्तर खोलकर रख देने वाली है। ” ( सूरः बक़रा,185)
इस्लामिक विद्ववान भी इस महीने में कुरआन बहुत ज़्यादा पढ़ा करते थे। वैसे भी कुरआन आम दिनों में पढ़ने से बहुत सवाब प्राप्त होता है परन्तु जो व्यक्ति रमज़ान के महीने में कुरआन ध्यान से पढ़ेगा, उस पर विचार करेगा, उस पर अमल करेगा, एसे व्यक्ति के दामन में नेकियाँ की नेकियाँ होंगी।
4रोज़े की हालत में ज़्यादा से ज़्यादा अल्लाह से ही दुआ की जाएः
दुआ भी एक इबादत है जो केवल अल्लाह से माँगी जाए। अल्लाह रोज़ेदार की दुआ को रद नही करता है जैसा कि रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही वसल्लम) का इरशाद है ” तीन लोगों की दुआ अल्लाह के पास स्वीकारित हैं , रोज़ेदार की दुआ , यात्री व्यक्ति की दुआ, मज़्लूम की दुआ ” इसी तरह रोज़ा खोलते समय भी ज़्यादा दुआ करना चाहिये , उस समय की दुआ अल्लाह वापस नही करता है। जैसा कि हदीसों से वर्णित है
5- रमज़ान में उम्रा किया जाएः 
रमज़ान के महीने में उम्रा करने से भी बहुत ज़्यादा नेकी प्राप्त होती है। जैसा कि रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही वसल्लम) का फरमान है ”

عمرة فی رمضان تعدل حجة

रमज़ान में उम्रा करने का पुण्य हज करने के बराबर है ” इमाम सादिक़ (अ) फरमाते हैः रमज़ान में उम्रा करना सबसे बेहतर है।
6रमज़ान महीने में अधिक से अधिक सदक़ा खैरात तथा दान दिया जाएः
इस पवित्र महीने में ग़रीबों और मिस्कीनों की दिल खोल कर सहायता और मदद करना उचित और बहुत ज़्यादा सवाब ( पुण्य) का काम है। इसी कारण इस महीने को ग़रीबों की बहार का महीना कहा गया है

وهو رَبيعُ الْفُقَراء

रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही व सल्लम) इस महीने में बहुत दान ( सदक़ा – खैरात ) किया करते थे जैसा कि अब्दुल्लाह बिन अब्बास कहते हैं ” रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही व सल्लम) लोगों में सब से अधिक दानशील थे और रमज़ान के महीने में आप (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही व सल्लम) की दानशीलता बहुत बढ़ जाती थी।

7रोज़ेदार को इफतार कराया जाएः 
भूके को खाना खिलाना भी बहुत बड़ा पुण्य है और जिस ने किसी भूके को खिलाया और पिलाया अल्लाह उसे जन्नत के फल खिलाएगा और जन्नत की नहर से पिलाएगा जैसा कि रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही व वसल्लम) का फरमान है ”

” أَیُّهَا النَّاسُ! مَنْ فَطَّرَ مِنْكُمْ صَائِماً مُؤْمِناً فِی هَذَا الشَّهْرِ كَانَ لَهُ بِذَلِكَ عِنْدَ‌الله عِتْقُ نَسَمَةٍ وَ مَغْفِرَةٌ لِمَا مَضَی مِنْ ذُنُوبِهِ؛

जो रोज़ेदार को इफतार कराएगा तो उसे एक ग़ुलाम आज़ाद करने का सवाब मिलेगा और उसके सभी गुनाह माफ कर दिये जायेंगे।

8- रमज़ान के महीने में ऐतेकाफ किया जाएः 
इतकाफ अर्थात, मानव ईबादत की नीयत से मस्जिद में प्रवेश करे और दुनिया दारी को छोड़ कर केवल अल्लाह की इबादत, कुरआन की तिलावत और दुआ और अपनी गलतियों पर अल्लाह से माफी मांगे। इसी तरह जितने समय या जितने दिन के ऐतेकाफ की नीयत की है, वह अविधि पूरी करे और मानवीय आवश्कता के सिवाए मस्जिद से बाहर न निकले। ऐतेकाफ रमज़ान और रमज़ान के अलावा महिने में भी किया जा सकता है, परन्तु रमज़ान के महीने में ऐतेकाफ करना ज़्यादा उत्तम है। रसूल मोहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) रमज़ान के महीने में इतकाफ करते थे।

9- क़दर की रातों को तलाश किया जाए और उन रातों में बहुत ज़्यादा इबादत की जाएः
यह वह मुबारक और पवित्र रात है जिस की महत्वपूर्णता पवित्र कुरआन तथा सही हदीसों से परमाणित है। यही वह रात है जिस में पवित्र कुरआन को उतारा गया। यह रात हज़ार रातों से उत्तम है। जैसा कि अल्लाह तआला का इरशाद है। ” हम्ने इस (कुरआन) को कद्र वाली रात में अवतरित किया है। और तुम किया जानो कि कद्र की रात क्या है ? कद्र की रात हज़ार महीनों की रात से ज़्यादा उत्तम है। फ़रिश्ते और रूह उसमें अपने रब की अनुज्ञा से हर आदेश लेकर उतरते हैं। वह रात पूरी की पूरी सलामती है उषाकाल के उदय होने तक। ” (सुराः कद्र)
रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के हदीस से भी इस रात की बरकत और फज़ीलत साबित होती है

10- अल्लाह तआला से क्षमा और माफी माँगी जाएः 
यह महीने पापों, गुनाहों, गलतियों से मुक्ति और छुटकारा का महीना है। मानव अपने अपराधों से मुक्ति के लिए अल्लाह से माफी मांगे, अल्लाह बहुत ज़्यादा माफ करने वाला , क्षमा करने वाला है। खास कर इस महीने के अन्तिम दस रातों में अधिक से अधिक अल्लाह से अपने पापों , गलतियों पर माफी मांगी जाए क्योंकि यह महीना क्षमा और दया का महीना है इमाम सादिक़ (अ) फरमाते हैं कि अगर कोई इस महीने में रोज़ा रखे, शहवत को कंट्रोल करे ज़बान को गुनाह से बचोये, दूसरो को कष्ठ न दे। अल्लाह उसके सभी गुनाहों को माफ कर देगा। हदीस है कि रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व आलेही व वसल्लम) ने फरमाया कि जो इस महीने में क्षमा नही किया गया फिर कब क्षमा किया जायेगा।

अल्लाह हमें और आप को इस महिने में अधिक से अधिक भलाइ के काम, लोगों के कल्याण के काम, अल्लाह की पुजा तथा अराधना की शक्ति प्रदान करे और हमारे गुनाहों, पापों, गलतियों को अपनी दया तथा कृपा से क्षमा करे। आमीन…………

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