इमाम महदी नुबुव्वत के आईने में

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अल्लामा तबरसी बहवाल -ए- हज़रात मासूमीन अलैहिस्सलाम तहरीर फ़रमाते है कि इमाम महदी अलैहिस्सलाम में बहुत से अम्बिया के हालात व कैफ़ियात नज़र आते हैं और जिन मुखतलिफ़ वाक़ियात से अम्बिया को दो चार होना पड़ा, वह तमाम वाक़ियात आपकी ज़ात में दिखाई देते हैं। मिसाल के लिए हज़रत नूह अलैहिस्सलाम, हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम, हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम, हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम, हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम, हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम, हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम को ही ले लीजिये और उनके हालात पर ग़ौर कीजिये। आपको हज़रत नूह जैसी तवील ज़न्दगी नसीब हुई। हज़रत इब्राहीम की तरह आप की विलादत छिपाई गई और लोगों से किनारा कश हो कर रूपोश होना पडा। हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम की तरह हुज्जत के ज़मान से उठ जाने का खौफ़ ला हक़ हुआ और उन्ही की विलादत की तरह आपकी विलादत भी पोशीदा रखी गई और उन्ही के मानने वालों की तरह आपके मानने वालों को भी ग़ैबत के बाद सताया गया। हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम की तरह आपके बारे में लोगों ने इख्तेलाफ़ किया। हज़रत अय्यूब अलैहिस्सलाम की तरह तमाम इम्तेहानात के बाद आपकी फ़र्ज व ज़हूर होगा। हज़रत? यूसुफ़ अलैहिस्सलाम की तरह अवाम व ख़वास से आपकी ग़ैबत होगी। हज़रत यूनुस की तरह ग़ैबत के बाद आपका ज़हूर होगा। यानी जिस तरह वह अपनी क़ौम से ग़ायब हो कर बुढापे के बावजूद नौजवान थे। उसी तरह आपका जब ज़हूर होगा, तो आप चालीस साल के जवान होंगे और हज़रत मुहम्मद मुस्तफ़ा सल्लल्लाहु अलैहि व आलिहि वसल्लम की तरह आप साहिबे सैफ़ होंगे।

(आलमुल वरा सफ़ा 264 तबा बम्बई 1312 हजरी)

इमाम हसन अकरी अलैहिस्सलाम की शहादत

इमाम महदी अलैहिस्सलाम की उम्र अभी सिर्फ़ पाँच साल की ही थी कि ख़लीफ़ा मोतमिद बिन मुतवक्किल अब्बासी ने मुद्दतों से क़ैद इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम को ज़हर दे दिया। जिस की वजह से आप बतारीख़ 8, रबीउल अव्वल 260 हिजरी मुताबिक़ 873 ई. में 28 साल की उम्र रेहलत फ़रमा गये। आपने आपनी औलाद में सिर्फ़ इमाम महदी अलैहिस्सलाम को छोड़ा।

(नूरूल अबसार सफ़ा 53 दमा-तुस साकेबा सफ़ा 191)

अल्लामा शिब्लन्जी लिख़ते है कि जब आपकी शहादत की ख़बर मशहूर हुई, तो पूरे सामरा शहर में हलचल मच गई। फरयादो फ़ुगां की आवाज़ें बलन्द हो गई। लोगों ने अपने कारोबार छोड़ दिये। तमाम बनी हाशिम हुक्कामे दौलत, मुन्शी क़ाज़ी ,अरकाने अदालत, अयाने हुकूमत और आम्मा -ए- ख़लायक़ हज़रत के जनाज़े में शिरकत के लिए दौड़ पडें। हालत यह थी कि सामरा शहर क़यामत का मन्ज़र पेश कर रहा था। तजहीज़ और नमाज़ से फ़राग़त के बाद आपको इसी मकान में दफ़न कर दिया गाया जिस में हज़रत इमाम अली नक़ी अलैहिस्सलाम मदफ़ून थे।

(नुरुल अबसार सफ़ा 152 व तारीख़े कामिल सवाएक़े मुहर्रिक़ा व फ़ुसूलुल मुहिम्मा, जिला-उल-उयून सफ़ा 296)

अल्लामा मुहम्मद बाक़िर तहरीर फ़रमाते हैं कि इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम की वफ़ात के बाद नमाज़े जनाज़ा हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम ने पढ़ाई।

(दमातुस साक़ेबा जिल्द 3 सफ़ा 192 व जिला अल अयून सफ़ा 297)

अल्लामा तबरसी लिख़ते हैं कि नमाज़े जनाज़ा के बाद आपको बहुत से लोगों ने देखा और आपके हाथों को बोसा भी दिया।

(आलामुल वरा सफ़ा 242)

अल्लामा इब्ने ताऊस का इरशाद है कि 8, रबी उल अव्वल को इमामे हसन असकरी अलैहिस्सलाम की वफ़ात वाक़े हुई और 9 रबी उल अव्वल से हज़रत हुज्जत की इमामत का अग़ाज़ हुआ। हम 9 रबीउल अव्वल को जो ख़ुशी मनाते हैं, इसकी एक वजह यह भी है।

?(किताब इक़बाल)

अल्लामा मजलिसी लिखते है, 9 रबी उल अव्वल को उमर बिन साद मुख़्तारे आले मुहम्मद को हाथ से क़त्ल हुआ। यह मलऊन उबैदुल्लाह इब्ने ज़्याद का सिपाह सालार था। इसके क़त्ल के बाद आले मुहम्मद अलैहिमु अस्सलाम ने पूरे तौर पर ख़ुशी मनाई।

(बिहारुल अनवार, मुख़्तारे आले मुहम्मद)

किताब दमा-तुस साक़िबा के सफ़ा 192 में है कि हज़रत इमाम हसन असकरी अलैहिस्सलाम ने 259 में अपनी वालेदा को हज के लिये भेज दिया था, और फ़रमा दिया था कि 260 हिजरी में मेरी शहादत हो जायेगी। इसी सिन में हज़रत इमाम महदी अलैहिस्सलाम को तमाम तबर्रूकात? देकर इस्मे आज़म वग़ैरा तालीम फ़रमा दिये थे।

(दमातुस साक़िबा व जिला उल उयून सफ़ा 298)

 

इन तबर्रूकात में हज़रत अली अलैहिस्सलाम का जमा किया हुआ, वह क़ुरान भी था, जो तरतीबे नुज़ूल पर सरवरे कायनात की ज़िन्दगी में मुरत्तब किया गया था। और जिसे हज़रत अली अलैहिस्सलाम ने अपनी ख़िलाफ़त के ज़माने में ?इस लिए रायज न किया था कि इस्लाम में तफ़रक़ा पड़ जायेगा और उम्मत में दो क़ुरआन रिवाज पा जायेंगे।

(अज़ता अल ख़फ़ा सफ़ा 273)

मेरे नज़दीक इसी सिन में हज़रत नरजिस ख़ातुन का इन्तेक़ाल हुआ और इसी न में हज़रत ने ग़ैबत इख्तियार फ़रमाई है।

  

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