माँ बाप के साथ कैसे पेश आएँ
माँ बाप के साथ कैसे पेश आएँ
सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी
अल्लाह ने अपनी पाक किताब क़ुरआन में माँ बाप के हक़ को इतना अधिक महत्व दिया है कि कई स्थान पर अपने बंदों को शिर्क से रोकने के तुरंत बाद माँ बाप के साथ एहसान और अच्छे व्यवहार का आदेश दिया है, जैसे कि बनी इस्राईल से लिये गए वादे के बारे में फरमाता हैः और (याद करो) उस समय को जब हम ने बनी इस्राईल से वादा लिया कि अल्लाह के अतिरिक्त किसी की आराधना न करो और माँ बाप के साथ नेकी करो (1) निश्चय ही अल्लाह की इबादत के बाद माँ बाप के सान नेकी करने का वादा लिया जाना इस विषय की महत्वता को दिखाता है और एक दूसरे स्थान पर “व क़ज़ा रब्बोका” का अर्थ यही है कि अल्लाह ने यक़ीनी फैसला कर दिया है कि तुम अल्लाह के अलावा किसी और की इबादत न करो और शिर्क से रोकने के बाद कहा गया है कि अपने माँ बाप के साथ एहसान करो। (2) सी प्रकार की चीज़ें सूरे निसा आयत 36, सूरे अनआम आयत 151 सूरे अनकबूत आयत 15 और सूरे लुक़मान एवं अहक़ाफ़ में भी आई हैं।
क़ुरआन में अल्लाह ने जहां एक तरफ़ माँ बाप के साथ अच्छे व्यवहार और नेकी का स्पष्ट आदेश दिया है वहीं दूसरी तरफ़ नबियों और वलियों को माँता पिता के आदेशों को मानने वाला और उनके साथ अच्छा व्यवहार करने वाला बताया है और इस प्रकार इस विषय के महत्व को दर्शाया है जैसे सूरे मरयम में हज़रत यहया की श्रेष्ठता और फ़ज़ीलत बयान करते हुए अल्लाह फ़रमाता है कि वह अपने माँ बाप का आदेश मानने वाले थे। (3)
माँ बाप का हक़ हदीस में
इमाम सादिक़ (अ) से जब किसी ने यह प्रश्न किया कि कौन सा कार्य श्रेष्ठ है तो आपने फ़रमायाः समय पर नमाज़ पढ़ना माँ बाप के साथ नेकी करना और जेहाद, माँ बाप के साथ नेकी को नमाज़ के तुरंत बाद और जेहाद से पहले बयान करके हमारे इमाम ने इस चीज़ की अहमियत को बताया है, एक दूसरी रिवायत में इमाम सादिक़ (अ) से रिवायत है कि माता पिता के साथ अच्छा व्यवहार चाहे वह (माँ बाप) नेक हों या बुरे उन चीज़ों में से है जिसमें किसी से कोई बहाना स्वीकार नहीं किया जाएगा। (4)
मासूमीन से पहुँचने वाली रिवायतों में माँ बाप के साथ किस प्रकार पेश आया जाए उसके बारे में बहुत कुछ बयान किया गया है हम यहां पर उनमें से कुछ को बयान कर रहे हैं
नर्म लहजे में बात करना
अल्लाह क़ुरआन में फरमाता है ...जब उनमें से एक या दोनों (माँ और बाप) बूढ़े हो जाएं तो उनसे “उफ़” भी न कहो और उनको झिड़को नहीं बल्कि उनके साथ शिष्टतापूर्वक बात करो। (5)
एक रिवायत में इमाम सादिक़ (अ) फ़रमाते हैं कि अगर “उफ़” से भी छोटा कोई शब्द होता तो अल्लाह उसको भी कहने से रोक देता। (6)
माँ बाप के सामने विनम्रता (तवाज़ो)
सूरे असरा की 23वी आयत में जहां अल्लाह ने उफ़ कहने से रोका है वही उसी के बाद वाली आयत में अपने बंदों को अल्लाह बता रहा है कि अपने माँ बाप के सामने तुम को कैसा होना चाहिए। अल्लाह फ़रमाता हैः और उनके आगे दयालुता से नम्रता की भुजाएँ बिछाए रखो" यहां पर जो बाज़ुओं के झुकाए रखने के बारे में कहा गया है वह एक इशारा है यानी तुम अपने माँ बाप के सामने विनम्र रहो।
उनके आदेशों का पालन
इमाम सादिक़ (अ) से एक रिवायत है जिसमें आपने फ़रमायाः माँ बाप के सामने औलाद के तीन दायित्व है, हर हाल में उनका धन्यवाद करना, पाप के अलावा दूसरी चीज़ों में अनके आदेशों का पालन करना, सामने और अकेले में उनकी लिए भला चाहना। (8)
माँ बाप के लिए दुआ
अल्लाह ने सूरे असरा की 24वीं आयत में जहां एक तरफ़ माँ बाप के साथ विनम्रता से पेश आने का आदेश दिया है वहीं आगे औलाद को यह भी आदेश दिया है कि वह अपने माँ बाप के लिये दुआ करे, अल्लाह फ़रमाता है .... और कहो ख़ुदाया उन (माँ बाप) पर रहम कर जिस प्रकार उन्होंने बचपन में हमें पाला है। (9)
इनके अतिरिक्त भी रिवायतों में माँ बाप के हक़ के सिलसिले में बहुत सी सूक्ष्म और छोटी छोटी चीज़ों को भी बयान किया गया है जैसे इमाम मूसा काज़िम (अ) से रिवायत है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) से औलाद पर माँ बाप के हक़ के बारे में सवाल किया गया तो आपने जवाब में फ़रमाया, औलाद को अपने माँ बाप को उनके नाम से नहीं पुकारना चाहिए, चलने और बैठने में उनके आगे नहीं चलना या उनसे पहले नहीं बैठना चाहिए कि जिससे दूसरे उनका अपमान करें (10) इसी प्रकार एक आयत में माँ बाप के पर ख़र्च करने को हर प्रकार के ख़र्च करने पर प्राथमिकता दी गई है अल्लाह फ़रमाता हैः तुम से प्रश्न करते हैं कि क्या इनफ़ाक़ करें तो कह दो हो भी माल देते हैं वह माँ बाप और अपने क़रीबियों को दें। (11)
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1. सूरे बक़रा आयत 83
2. सूरे असरा आयत 23
3. सूरे मरयम आयत 14
4. तहज़ीबुल अहकाम जिल्द 6, पेज 350
5. सूरे असरा आयत 23
6. अलकाफ़ी जिल्द 2, पेज 349
7. सूरे असरा आयत 24
8. बेहारुल अनवार जिल्द 75, पेज 236
9. सूरे असरा आयत 24
10. अलकाफ़ी जिल्द 2 पेज 158
11. सूरे बक़रा आयत 215
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