कश्मीर में वीर भरतीय सेना का 56 इंच का सीना
जब से कश्मीर में भारतीय सेना ने एक आप्रेशन में आतंकवादी बुरहान वानी को मारा है तभी से कश्मीर में हिंसा का दौर गर्म है कश्मीरी जनता लगातार कर्फ्यू के बावजूद सड़कों पर उतर कर प्रदर्शन कर रही है।
कश्मीर में जारी हिंसा में अब तक 45 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और मीडिया मरने वालों को आतंकवादी या फिर आतंकवादी के समर्थक कह कर दिखा रहा है और ऐसा दिखाया जा रहा है कि मरने वाले इंसान नहीं थे यह उनका मर जाना ही अच्छा था क्योंकि वह देश के विरुद्ध बात कर रहे थे। प्रश्न यह है कि अगर सड़कों पर उतरना आतंकवाद केा समर्थक होना है, तो फिर गोडसे के समर्थकों या फिर आईएसएस की भगवा आतंकवाद की तरफ़ मीडिया या फिर लोगों की नज़र क्यों नहीं जाती है, आख़िर क्यों मीडिया हमेशा आतंकवादी के रूप में एक मुसलमान चेहरा ही तलाश करती रहती है।
कश्मीर में भारतीय सेना खुलेआम हथियार का प्रयोग कर रही है और केन्द्र या फिर बीजेपी की राज्य सरकार की तरफ़ से उसको इसकी अनुमति मिली हुई है बेगुनाहों को निशाना बनाया जा रहा है और कहा यह जा रहा है कि यह लोग सेना पर उसकी गाड़ियों पर पत्थर बरसा रहे हैं और इसीलिये सेना आत्मरक्षा में गोलियां चला रही है।यह वही बीजेपी सरकार है जिसने जाटों के आंदोलन में पूरे देश को जला देने वाले जाटों पर एक भी गोली नहीं चलाई।
कश्मीर में पैलेट गन के माध्यम से कश्मीरी जवानों को कितने बर्बर तरीक़े से निशाना बनाया जा रहा है इसकी एक मिसाल हमको श्रीनगर के एक अस्पताल के बिस्तर पर दर्द में कराहती 14 साल की इंशा मुश्ताक़ की है, आईसीयू में भर्ती इंशा के चेहरे पर इतने छर्रे लगे हैं कि उनका चेहरा सूजकर पूरी तरह से विकृत हो गया है.डॉक्टरों का कहना है कि इंशा की हालत गंभीर है. इंशा के पिता मुश्ताक़ अहमद मलिक सदमे में हैं. वो बड़ी मुश्किल से कुछ बोल पाने की हालत में हैं.
अस्पताल के कॉरिडोर में खड़े मलिक कहते हैं, "वो परिवार के दूसरे लोगों के साथ घर के पहले माले में थी. शाम का वक्त था. मैं नमाज़ पढ़ने मस्जिद गया था. उसने खिड़की से झांककर देखा और सीआरपीएफ के जवान ने बहुत नज़दीक से उसपर छर्रे दाग दिए." सरकारी बल बुलेट, आंसू गैस के गोले, पेपर गैस और छर्रों का इस्तेमाल प्रदर्शनकारियों पर कर रही है. एसओपी के नियमों के तहत बहुत ही बेकाबू स्थिति में पैरों को निशाना बनाने की हिदायत है।
लेकिन विभिन्न अस्पतालों में भर्ती 90 फीसदी से ज्यादा लोगों को कमर से ऊपर के हिस्से में चोटें आई हैं. नाम नहीं बताने के शर्त पर एक डॉक्टर ने कहा, "सरकारी बल जानबूझकर छाती और सिर को निशाना बना रहे हैं. उनका उद्देश्य मारने का है."
हमारी देश की मोदी सरकार से यही विनती है कि वह मुसलमानों में आतंकवादी की सूरत और मुसलमानों से अपनी नफ़रत को बंद कर दे क्योंकि इंसान किसी भी धर्म का क्यों नो पहले वह एक इंसान होता है, लेकिन अंत में फिर यही प्रश्न है कि जिसमें मुंह में गुजरात का ख़ून लगा चुका हो क्या वह अपनी आदत छोड़ सकता है?
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