ईदुल फ़ित्र, ख़ुदा की तरफ़ वापसी का दिन

ईदुल फ़ित्र, ख़ुदा की तरफ़ वापसी का दिन

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

इस्लाम की दो बढ़ी ईदों में से एक ईदुल फ़ित्र है कि जिसके बारे में बहुत सी रिवायतें और हदीसें बयान की गई हैं, एक रोज़ेदार मुसलमान जिसने रमज़ान के पूरे महीने भर रोज़ा रखा है और अल्लाह के लिए उसने बहुत सी चीज़ों और हराम कार्यों से अपने आप को दूर रखा है अब वह रमज़ान के पवित्र महीने की समाप्ति पर अल्लाह की तरफ़ से इन तमाम कार्यों और अपनी तपस्याओं का फल पाने वाला है वह सवाब और फल जिसका स्वंय अल्लाह ने अपने बंदे से वादा किया है।

ईद की नमाज़

अमीरुल मोमिनीन हज़रत अली (अ) ईद के दिन ख़ुतबा देते हुए मोमिनों और मुसलमानों को बशारत देते हैं और जो लोग रमज़ान के पवित्र महीने में रोज़ेदारी से दूर रहे हैं आप उनको अल्लाह के भयानक अज़ाब से डराते हुए फ़रमाते हैं

ايها الناس! ان يومكم هذا يوم يثاب فيه المحسنون و يخسر فيه المبطلون و هو اشبه بيوم قيامكم، فاذكروا بخروجكم من منازلكم الى مصلاكم خروجكم من الاجداث الى ربكم و اذكروا بوقوفكم فى مصلاكم و وقوفكم بين يدى ربكم، و اذكروا برجوعكم الى منازلكم، رجوعكم الى منازلكم فى الجنه.

عباد الله! ان ادنى ما للصائمين و الصائمات ان يناديهم ملك فى آخر يوم من شهر رمضان، ابشروا عباد الله فقد غفر لكم ما سلف من ذنوبكم فانظروا كيف تكونون فيما تستانفون

हे लोगों यह वह दिन है कि जब नेक कार्य करने वाले इन्आम पाएंगे और बुरा करने वाले और नुक़सान उठाने वाले उसमें निराश और नाउम्मीद होंगे और यह क़यामत के दिन के जैसा है, तो अपने घरों से निकलकर और ईद की नमाज़ के स्थान की तरफ़ चल कर याद करो अपने क़ब्रों से निकलने और अल्लाह की तरफ़ चलने को, और नमाज़ के स्थान पर खड़े होकर याद अपने परवरदिगार के सामने खड़े होने को और अपने घरों की तरफ़ वापसी के माध्यम से याद करो स्वर्ग में अपने घरों की तरफ़ वापसी को।

हे अल्लाह के बंदों सबसे कम चीज़ जो रोज़ेदार मर्दों और औरतों को दी जाती है यह है कि एक फ़रिश्ता रमज़ान के अंतिम दिन उनको आवाज़ देता है और कहता है “तुम को ख़ुशख़बरी हो हे अल्लाह के बंदों कि तुम्हारे पुराने पाप क्षमा कर दिये गए तो अपने भविष्य की चिंता करो कि अपना बाक़ी जीवन किस प्रकार बिताओगे।” (1)

प्रसिद्ध आरिफ़ मलिक तबरेज़ी ईदुल फ़ित्र के बारे में कहते हैं “ईद फ़ित्र वह दिन है जिसे अल्लाह ने दूसरे दिनों के बीच से चुना है और इस दिन को उसने अपने बंदों को उपहार और इन्आम देने का दिन बनाया है और उनको अनुमति दी है कि इस दिन उसके बंदे उसके पास आएं और उसकी अनुकम्पा के दस्तरख़ान पर बैठें और उसकी बंदगी करें, उसकी बारगाह में आशावादी निगाहों से देखें और अपने पापों की क्षमा मांगे, अपनी आवश्यकताओं को उसके सामने पेश करें और उससे अपनी आरज़ुओं की पूर्ति की दुआ करें, और अल्लाह ने बंदों को ख़ुशख़बरी दी है कि जो भी दुआ उसके सामने करेंगे वह पूरी की जाएगी और जितनी उन्होंने सोचा था उससे अधिक दिया जाएगा....” (2)

शव्वाल महीने के पहले दिन को इसलिये ईदुल फ़ित्र कहा गया है कि इस दिन रोज़े और खाने पीने से दूरी का आदेश उठा लिया गया है और अनुमति दी गई है कि इस दिन मोमिन दिन में खा सकते हैं और फ़ित्र का शाब्दिक अर्थ भी खाना और पीना है।

इस दिन कुछ आमाल अंजाम दिये जाने चाहिए मासूम की रिवायतों में उनको बयान किया गया है और इस दिन कुछ विशेष दुआएं बयान की गई हैं।

मासूम की हदीसों से यह नतीजा निकलता है कि ईद का दिन श्रमिक प्राप्त करने का दिन है इसलिये इस दिन मुस्तहेब है कि इंसान बहुत अधिक दुआ करे और अल्लाह को याद करे और उससे दुनिया और आख़ेरत की नेकी मांगे, अल्लाह न करे ऐसा न हो कि ईद के दिन को इंसान हर कार्य करने की आज़ादी और पाप करने का दिन बना ले।

ईद के दिन मुस्तहेब है कि इंसान दो रकअत नमाज़ पढ़े जिसके क़ुनूत में हम पढ़ते हैं

«... اسئلك بحق هذا اليوم الذى جعلته للمسلمين عيدا و لمحمد صلى الله عليه و آله ذخرا و شرفا و كرامة و مزيدا ان تصلى على محمد و آل محمد و ان تدخلنى فى كل خير ادخلت فيه محمدا و آل محمد و ان تخرجنى من كل سوء اخرجت منه محمدا و آل محمد، صلواتك عليه و عليهم اللهم انى اسالك خير ما سئلك عبادك الصالحون و اعوذ بك مما استعاذ منه عبادك المخلصون‏»

ख़ुदाया इस दिन का वास्ता है कि जिसे तूने मुसलमानों के लिये ईद का दिन क़रार दिया और मोहम्मद (स) के लिये शराफ़त, करामत, फ़ज़ीलत क़रार दी तुझ से चाहता हूँ मोहम्मद व आले मोहम्मद पर सलवात भेज और मुझे हर उन नेकी में प्रवेश करा दे जिसमें तूने मोहम्मद व आले मोहम्मद को दाख़िल किया है और हर बुराई और बदी से दूर कर दे जिससे तूने मोहम्मद व आले मोहम्मद को दूर किया है, तेरी सलवात और दूरुद हो उन पर, ख़ुदाया तुझ से मांगता हो जिसे नेक बंदों ने तुझ से मांगा और तुझ से पनाह चाहता हूँ हर उस चीज़ से जिससे नेक बंदों ने पनाह चाही है।

सहीफ़ए सज्जादिया में भी इमाम सज्जाद (अ) से रमजानुल मुबारक से अलविदा और ईदुल फ़ित्र के स्वागत के बारे में दुआ मौजूद है

«اللهم صل على محمد و آله و اجبر مصيبتنا بشهرنا و بارك لنا فى يوم عيدنا و فطرنا و اجعله من خير يوم مر علينا، اجلبه لعفو و امحاه لذنب و اغفرلنا ما خفى من ذنوبنا و ما علن ... اللهم انا نتوب اليك فى يوم فطرنا الذى جعلته للمؤمنين عيدا و سرورا و لاهل ملتك مجمعا و محتشدا، من كل ذنب اذنبناه او سوء اسلفناه او خاطر شرا اضمرناه توبة من لا ينطوى على رجوع الى.»

ख़ुदाया मोहम्मद व आले मोहम्मद पर सलवात भेज और हमारी मुसीबतों को इस महीने में दूर कर दे और फ़ित्र के दिन को हमारे लिये ईद का दिन बना दे और उसके बेहतरीन दिन बना दे जो हमारे ऊपर बीते हैं कि इस दिन तू हम पर अधिक क्षमा वाली दृष्टि डाल और हमारे पापों को धो दे और ख़ुदाया हमारे उन पापों को क्षमा कर दे जो हमने खुले या छिप कर अंजाम दिये हैं। ख़ुदाया हमारे इस ईदे फ़ित्र के दिन जो मोमिनों के लिये ख़ुशी और ईद और मुसलमानों के लिये एक स्थान पर जमा होने का दिन है में हर वह गुनाह जो किया है और हर बुराई जो की है और हर बुरी नियत जो हमारे अंदर मौजूद है के साथ तेरी तरफ़ पलट रहा हूँ और तुझ से तौबा करता हूँ, वह तौबा जिसके बाद गुनाह की तरफ़ वापसी कभी न हो और वह वापसी जिसके बाद गुनाहों की तरफ़ रुख़ न हो। ख़ुदाया इस ईद को तमाम मोमिनों के लिये मुबारक बना दे और इस दिन हमको अपनी तरफ़ वापस आने और अपने गुनाहों से तौबा करने की तौफ़ीक़ दे।(3)

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1.    मीज़ानुल हिकमा, जिल्द 7, पेज 131, 132
2.    अलमुराक़ात फ़ी आमालिस सना पेज 167
3.    पासदारे इस्लाम मासिक पत्रिका पेज 10, 11, 50

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