संयुक्त राष्ट्र बना सऊदी अरब के हाथों की कठपुतली
राजनयिक सूत्रों का कहना है कि सऊदी अरब ने अरब गठबंधन के नाम को ब्लैक लिस्ट से हटाने के लिये संयुक्त राष्ट्र पर विभिन्न प्रकार के दबाव डालें हैं।
टीवी शिया संयुक्त राष्ट्र के एक करीबी राजनयिक सूत्र ने रायटर्ज़ को बताया कि यमन पर आक्रमण करने वाले अरब गठबंधन का नाम संयुक्त राष्ट्र की ब्लैक लिस्ट में आपने के बाद से सऊदी अरब ने संयुक्त राष्ट्र के महासचिव पर नाम हटाए जाने को लेकर बहुत दबाव डाला है।
इस सूत्र के अनुसार अरब गठबंधन का नाम ब्लैक लिस्ट में आने के बाद से ही बान की मून आफिस में अरब देशों के विदेश मंत्रीयों की तरफ़ से फोन का सैलाब आ गया और उनको धमकियां दी जाने लगीं कि अगर सऊदी गठबंधन का नाम इस लिस्ट से नहीं हटाया जाता है तो संयुक्त राष्ट्र को रियाज़ की तरफ़ से दी जाने वाली वित्तीय सहायता को रोक दिया जाएगा।
इस सूत्र के अनुसार बान कू मून को धमकी दी गई की अगर उनकी बात को न माना गया तो सऊदी अरब की राजधानी रियाज़ में मुफ़्तियों को जमा किया जाएगा और संयुक्त राष्ट्र को इस्लाम दुश्मन शक्ति बताते हुए उनके विरुद्ध फ़तवा जारी कराया जाएगा जिसके बाद कोई भी अरब देश संयुक्त राष्ट्र के किसी भी कार्यक्रम की वित्तीय सहायता नहीं करेगा
स्पष्ट रहे कि सऊदी अरब की धमकियों के बाद संयुक्त राष्ट्र ने सऊदी अरब गठबंधन का नाम बच्चों के अधिकारों का हनन करने वाली ब्लैक लिस्ट से हटा दिया गया था जिसमें पहले कहा गया था कि सऊदी अरब गठबंधन द्वारा यमन पर जारी हमलों में मारे गए बच्चों में से 60 प्रतिशत बच्चों की हत्या के लिये सऊदी अरब जिम्मेदार है।
इस राजनयिक सूत्र ने कहा कि सऊदी अरब की धमकियों के बाद गठबंधन का नाम ब्लैक लिस्ट से हटाया जाना दिखाता है कि संयुक्त राष्ट्र जैसी संस्था किस प्रकार किसी की धमकियों में आने के बाद कितनी आराम से अपनी रिपोर्ट को बदल देती है और संयुक्त राष्ट्र के इस कार्य ने इस संस्था की सत्यता को प्रभावित किया है
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