ईरान की इस्लामी क्रांति के इतिहास में 4 जून का महत्व
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आज पंद्रह ख़़ुरदाद बराबर चार जून, इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम खुमैनी रहमतुल्लाह अलैह के नेतृत्व में इस्लामी क्रांति की शुरुआत का दिन है।
15 ख़ुरदाद की घटना, ईरान के इतिहास में बहुत महत्वपूर्ण है। ईरान के पवित्र नगर कुम में स्थित मदरसए फ़ैज़िया में 53 साल पहले इसी दिन, आशूरा भाषण में इमाम खुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने शाही शासन की इस्लाम विरोधी नीतियों और ज़ायोनी शासन के साथ उसके संबंधों और साज़िशों का पर्दाफ़ाश किया था। इस भाषण के बाद शाही सरकार के गुर्गों ने इमाम ख़ुमैनी को गिरफ्तार कर लिया था।
इमाम ख़ुमैनी रहमतुल्लाह अलैह की गिरफ्तारी के बाद ईरान के विभिन्न शहरों में जनता सड़कों पर निकल आई और पूरे ईरान में जनता के विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। शाही शासन के जासूसों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनों को कुचलने के उद्देश्य से मदरसए फ़ैज़िया पर हमला करके बड़ी संख्या में छात्रों को शहीद और घायल कर दिया और एक बड़ी संख्या को गिरफ्तार कर लिया। यही वह दिन था जब शाही शासन की बरबादी की शुरुआत और इस्लामी क्रांति की सफलता की नींव रखी गई।
इस्लामी क्रांति के संस्थापक इमाम खुमैनी रहमतुल्लाह अलैह ने 1963 में शाह की अत्याचारी सरकार के खिलाफ़ अपने आंदोलन और संघर्ष को संवेदनशील चरण में पहुंचा दिया और एक दशक से अधिक समय तक विदेश निर्वासन सहित बहुत अधिक कठिनाइयों को सहन किया। इमाम ख़ुमैनी के आदेश पर आज का दिन ईरान में शोक दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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