दाइश के बाद क्या होगा....?
इराक़ के मूसिल की आज़ादी का अभियान शुरू ही होने वाला है और इराक़ी सेना ने इस शहर के आसपास के अधिकतर गाँवों और छोटे शहरों बिना किसी विशेष प्रतिरोध के कंट्रोल कर लिया है।
टीवी शिया इराक़ के राष्ट्रपति हैदर अलऐबादी का विश्वास है कि इस 2016 में ही इराक़ से आईएस का नाम व निशान मिटा दिया जाएगा, ऐसा लगता भी है कि अगर इराक़ी सेना ने अपनी शक्ति बनाए रखी तो यह जल्द ही होगा जैसा कि इराक़ी सेना ने साबित किया है कि वह दाइश को हराने की क्षमता रखती है और पिछले 9 महीनों में दाइश को इराक़ी सेना के हाथों जो हार झेलनी पड़ी है वह इराक़ी सेना की शक्ति को साबित करता है। जैसा कि हम देख रहे है कि आतंकवादी संगठन दाइश को इराक़ी सेना से बड़ी हार झेलनी पड़ी है और इराक़ी सेना ने इस आतंकी संगठन के हाथों से बहुत से गाँवों और स्ट्रेटेजिक तौर पर महत्वपूर्ण बहुत से शहरों को वापस पा लिया है, यह दिखाता है कि आईएस की शक्ति दिन ब दिन कम होती जा रही है, और अमरीकी सैन्य विश्लेषकों की बातें भी इसी बात को साबित करती हैं।
इन रिपोर्टों के अनुसार आईएस के सशस्त्र बल पीछे हट रहे हैं और हालिया दिनों में इस संगठन के सरगनाओं के मारे जाने ने संगठन के लीडरों में भय बिठा दिया है।
लेकिन जहां एक तरफ़ यह कहा जा रहा है कि मूसिल की आज़ादी क़रीब है और इराक़ी सेना ने इस प्रांत के आसपास के शहरों और गाँवों को बिना किसी ख़ास प्रतिरोध के वापस प्राप्त कर लिया है और जो इराक़ में हुआ है (यानी दाइश की हार) वह सीरिया में भी हो सकता है, और सीरिया में हालिया दिनों में दाइश को जो हार झेलनी पड़ी है और जिस प्रकार सीरियाई सेना द्वारा रूस के हवाई विमानों की देखरेख में पुरातत्व और स्ट्रेटेजिक स्तर पर महत्वपूर्ण शहर पाल्मायरा पर हमला करने के बाद जिस प्रकार इस संगठन को यह शहर ख़ाली करना पड़ा है जिसका प्रभाव यह हुआ है कि दैर अल ज़ूर प्रांत जो इस समय आतंकवादियों के क़ब्ज़े में है तक पहुँचने वाली सप्लाई और सहायता की अस्ली लाइनें कट गई हैं।
स्पष्ट है कि सीरियाई सेना की यह बढ़त रिक़्क़ा शहर जिसको अबू बक्र बग़दादी ने अपनी राजधानी बना रखा है की आज़ादी की प्रष्टभूमि तैयार कर सकती हैं।
लेकिन इन सबके बावजूद और जिस प्रकार इराक़ में बड़ी कामयाबियां मिली हैं फिर भी लगता है कि सीरिया में दाइश को पूरी तरह से हराने में अभी बहुत सी मुश्किलें बाक़ी हैं।
जहां एक तरह बहुत से लोग यह लौ लगाए बैठे हैं कि इराक़ और सीरिया में दाइश का अंत निकट है लेकिन एक संदेह है जो बार बार डर पैदा करता है कि कहीं ऐसा न हो कि इन दोनों देशों (इराक़, सीरिया) की सेनाएं आज़ाद कराए गए क्षेत्रों पर अपना क़ब्ज़ा बनाए न रख पाएं।
एक तरह जहां इराक़ का कुर्दिस्तान क्षेत्र करकोक पर अपनी बुरी नज़र जामाए बैठा है कि मौक़ा मिलते ही उस पर क़ब्ज़ा करके अरबील के बजाए उसको अपनी राजधानी घोषित करे, इसी प्रकार सीरिया में भी कुर्दों ने सीमावर्ती क्षेत्रों में एक प्रकार से अपनी अलग हुकूमत बना ही है और क़रीब है कि वह कूबानी को अपनी राजधानी घोषित कर दें, जिसके बाद तुर्की ने भी इराक़ के मूसिल पर अपनी बुरी नज़रें जमा दी हैं और वहां अपनी सेना भी भेज दी है, यह तमाम घटनाएं एक के बाद एक ज़ंजीर की कड़ियों की भाति जब सामने आती हैं तो एक ही प्रश्न जो बहुत महत्वपूर्ण भी है पैदा होता है और वह यह है कि दाइश के बाद क्या होगा?!
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