और सऊदी अरब अमरीका के जाल में फंस गया

अरब के प्रसिद्ध लेखक ने सऊदी अरब की फ़िलिस्तीन के मसले से दूरी और इस्राईल के बढ़ती निकटता के बारे में लिखते हुए कहा है कि सऊदी अरब अमरीका और पश्चिम के जाल में फंस गया है।

टीवी शिया अब्दुल बारी अतवान ने राय अलयौम समाचार पत्र में लिखाः हमारा मानना है कि सऊदी अरब ईरान के विरुद्ध अमरीका और पश्चिम के उत्तेजक प्रचारों के जाल में फंस गया है, वह जाल जिसका मक़सद फ़िलिस्तीन से दूरी और शिया ख़तरे से बचने के लिये एकमात्र रास्ता इस्राईल के क़रीब जाना है, और यह ख़तरा वही है जिसके बारे में अमरीका और पश्चिम का मीडिया पिछले दस सालों से प्रचार कर रहा था।

उन्होंने कहाः उत्तेजक प्रचारों की समाप्ति और क्षेत्र के अरब देशों के साथ 200 अरब डॉलर के असलहा व्यापार के साथ ही अमरीका ने ईरान से मुक़ाबले से हाथ खींच लिया और सऊद सऊदी अरब को बीच रास्ते में अकेला छोड़ दिया और सारे रास्तों को बंद कर दिया।

अतवान ने सऊदी अरब की जंग भड़काने वाली नीतियों की निंदा करते हुए लिखाः सऊदी अरब की जनता इन जंगों के गंभीर परिणाम को लेकर चिंतित है और यमन में जारी जंग के 12 महीने होने को आए और सऊदी अरब की तरफ़ से हर प्रकार के माली और सैन्य समर्थन के बावजूद गठबंधन सेनाएं किसी प्रकार की विजय प्राप्त न कर सकीं है और इसने सऊदी अरब की अर्थ व्यवस्था को चौपट कर दिया है।

वह आगे लिखते हैं: अप्रत्यक्ष राजनीतिक और सैन्य हस्तक्षेप (सीरिया के विरोधियों का समर्थन) या प्रत्यक्ष (तुर्की के एयरबेस इनजरलीक में लड़ाकू विमानों को भेजना या जार्डन के रास्ते सीरिया में भेजने के लिये जार्डन में विशेष बलों की तैनाती) ने अब तक कोई परिणाम नहीं दिया है और बहुत संभव है कि हलात के बदलने और रूस से मुठभेड़ के बाद उनका उलटा ही नतीजा निकले। सऊदी अरब इस समय पाँच साल पहले के उलट कि जब असद प्रशासन और सीरियाई सरकार से नहीं लड़ रहा है बल्कि इस समय वह रूस, ईरान, हिज़्बुल्लाह और बहुत से कुर्दों से लड़ रहा है और इसने उसकी जंगों को बहुत ही पेचीदा और ख़तरनाक बना दिया है।

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