ज़मीनी सेना भेजने का सऊदी अरब का दावा एक राजनीतिक जोक है
सिपाहे पासदाराने इंक़ेलाब (रिवॉल्यूशनरी गार्ड) के उप सुप्रीम कमांडर सरदार हुसैन सलामी ने क्षेत्र की हालिया घटनाओं और सीरिया में प्रतिरोध की हालिया विजय पर बोलते हुए सऊदी अरब की सैन्य क्षमता को ढका छिपा न बाते हुए कहाः सऊदी अरब पश्चिम, अमरीका और इस्राईल की मदद से एक छोटे और ग़रीब देश यमन के विरुद्ध जंग में कूद पड़ा और वहां मुसलमानों का क़त्लेआम किया, लेकिन इन सब के बावजूद इस बेमेल युद्ध में भी स्ट्राटेजिक तौर पर सऊदी अरब को हार का सामना करना पड़ा है।
सरदार सुलेमानी ने सीरिया में सऊदी अरब की तरफ़ से ज़मीनी सेना भेजे जाने को एक राजनीतिक जोक बताया जिसका वास्तविकता से कोई वास्ता नहीं है
उन्होंने कहा कि सऊदी अरब ने यह शगूफ़ा छोड़ा है ताकि लोगों को यमन की तरफ़ से दूर किया जा सके और ख़ुद को अरबों का लीडर दिखाया जा सके।
उन्होंने कहाः वह तमाम ताक़तें को आतंकवादियों के तौर पर सीरिया में लड़ रही हैं उनको सऊदी अरब और आले सऊद से पैसा और हथियार प्राप्त हो रहा है, यह आतंकवादी अमरीका, इस्राईल, ब्रिटेन, फ़्रांस और सऊदी अरब की देन हैं।
सरदार सुलेमानी ने इराक़, सीरिया और यमन में अशांति और जन संहार के लिये सऊदी अरब को ज़िम्मेदार ठहराया और कहाः प्रतीकात्मक तौर कुछ बटालियन भेज कर सऊदी अरब क्या करना चाहता है? इन सारी अशांति का कारण तो वह ख़ुद हैं।
उन्होंने कहाः बहुत संभव है कि सऊदी अरब प्रतीकात्मक तौर पर कुछ बलों को किसी स्थान पर लगा दे लेकिन यह बल किसी प्रकार का कोई महत्वपूर्ण रोल अदा न कर सकेंगे क्योंकि सैन्य स्तर पर सऊदी अरब की स्थिति ऐसी नहीं है।
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