सऊदी अरब यमन के युद्ध से सीख ले, सीरिया में उसके सामने बड़ी ताक़तें होंगी
यमन के विरुद्ध सऊदी अरब गठबंधन के प्रवक्ता अहमद असीर ने कहा है कि आतंकवाद के विरुद्ध दूसरे साथी देशों की सहमति पर सीरिया में दाइश के विरुद्ध सऊदी अरब की ज़मीनी सेना उतरने के लिये तैयार है।
इस ख़बर पर राय अलयौम न्यूज़ एजेंसी के संपादक अब्दुल बारी अतवान ने सऊदी अरब को चेतावनी देते हुए कहा है कि सऊदी अरब को सीरिया में ज़मीनी सेना भेजने की बेवक़ूफ़ी नहीं करनी चाहिये क्योंकि सीरिया में उसको बुक़ाबले में अधिक ताक़तवर शक्तियां होंगी।
अतवान लिखते हैं सीरियाई सेना द्वारा हलब (अलेप्पो) और दरआ में विजय और रूस की वायु सेना की सहायता से नुबुल व अज्ज़हरा का घेराव के तोड़े जाने ने, सीरिया में सैन्य हस्तक्षेप के सिलसिले में सऊदी अरब और तुर्की के पाँच साल पसोपेश को समाप्त कर दिया है।
वह जनेवा से विरोधियों के बैठक को छोड़कर वापस चले आने और सऊदी अरब एवं तुर्की के सैन्य हस्तक्षेप के इरादे का कनेक्शन बताते हुए लिखते हैं यह सही है कि उर्दोग़ान ने रूस की उन रिपोर्टों का जिनमें तुर्की की तरफ़ से सीरिया में सैन्य हस्तक्षेप की बात कही गई है को ग़लत बताया है लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि तुर्की सीरियाई सेना को आगे बढ़ते हुए हाथ पर हाथ धरे देखता रहेगा, बल्कि जनेवा की बैठक की विफलता के बाद अब आतंकवादी जिस प्रकार के भी उन्नत हथियारों की मांग करेंगे वह उनको तुर्की की तरफ़ से हासिल हो जाएगा।
अतवान आगे लिखते हैं सीरिया में सऊदी अरब या उसको सहयोगी देश तुर्की की तरफ़ से जो भी बल भेजा जाएगा वह निःसंदेह आतंकवादियों के विरुद्ध लड़ाई के लिये नहीं होगा, यह केवल हलब (अलेप्पो) के सीरियाई सेना के हाथ में पड़ने से बचाने और आतंकवादियों के खोए हुए विश्वास को वापस दिलाने के लिये होगा, जो इस समय लगातार हार से बुरी हालत को पहुँच चुके हैं।
यह विश्लेषक सऊदी अरब को नसीहत देते हुए लिखता है सऊदी अरब 11 महीने से यमन में युद्ध कर रहा है, और यमन जो कि एक ग़रीब देश है और यहां सऊदी अरब के मुक़ाबले में हौसी और अब्दुल्लाह सालेह की सेना है जो कि सऊदी अरब से हथियार और संसाधनों के मुक़ाबले में बहुत पीछे हैं, लेकिन इस सबके बावजूद अब तक सऊदी अरब यमन में विजय प्राप्त नहीं कर सका है, और दूसरी तरफ़ तेल की गिरती क़ीमतों ने सऊदी अरब की अर्थव्यवस्था पर गहरी चोट पहुँचाई है, और यह सब चीज़ें सऊदी अरब को एक और युद्ध में ख़ुद को झोंकने से रोकते हैं वह भी उन लोगों के मुक़ाबले में जिनके पास शक्ति भी अधिक है और हथियार भी।
अतवान अंत में लिखते हैं कि ज़मीनी सेना को भेजकर सऊदी अरब, तुर्की और दूसरे अरबी देश केवल बशार असद और उनके सेना के विरुद्ध युद्ध नहीं करेंगे बल्कि बहुत संभव है कि यह युद्ध रूस और ईरान के विरुद्ध हो जिसके बाच चीन में इसमें शामिल हो जाए, हमने बहुत बार कहा है कि हम जंग आरम्भ तो कर सकते हैं लेकिन उसको समाप्त करना और दूसरी चीज़ें हमारे हाथ में न होंगी।
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