मिना की त्रासदी के विभिन्न आयाम-3
मिना की त्रासदी के विभिन्न आयाम-3
इस साल हज के संस्कारों में मिना त्रासदी एक ऐसी बड़ी त्रासदी थी जिसकी अनदेखी नहीं की जा सकती। यद्यपि सऊदी अरब की सरकार कोशिश कर रही है कि इस त्रासदी को वैसी स्वाभाविक घटना बताए जैसी इससे पहले भी हो चुकी हैं लेकिन अगर इस त्रासदी के मूल कारणों को नहीं खोजा गया तो आगामी वर्षों में भी इस प्रकार की घटनाएं हो सकती हैं। मिना त्रासदी उत्पन्न होने के बारे में सऊदी अरब की प्रतिक्रिया ने इस त्रासदी के बारे में अनेक प्रश्न और संशय खड़े कर दिए हैं। सऊदी अधिकारियों ने अब तक ईदुल अज़हा के दिन मिना की त्रासदी में हताहत होने वाले हाजियों की पूरी सूची संपूर्ण ब्योरे के साथ पेश नहीं की है। इस संबंध में मिना में सात सौ से लेकर लगभग सात हज़ार तक हाजियों के मारे जाने के विभिन्न आंकड़े पेश किए जा चुके हैं। सऊदी अरब की एक समाचारिक वेबसाइट ने इस त्रासदी में 4170 लोगों के मारे जाने की सूचना दी थी किंतु इसके तुरंत बाद ही इस ख़बर को वेबसाइट से हटा दिया गया।
मिना त्रासदी में तीस देशों के हाजी मारे गए। 464 हाजियों के साथ इस्लामी गणतंत्र ईरान इस सूचि में सबसे ऊपर है। इनमें से 67 लोग अभी लापता है और उनके बारे में कुछ भी पता नहीं चल सका है। लापता लोगों की पहचान और उन्हें खोजने का काम बहुत धीमी रफ़्तार से आगे बढ़ रहा है और सऊदी सरकार इस संबंध में आवश्यक सहयोग नहीं कर रही है। उसने लापता हाजियों की पहचान के संबंध में अपना पल्ला झाड़ने के लिए कहा है कि मिना त्रासदी में हताहत होने वाले लगभग 1400 हाजियों को दफ़्न कर दिया गया है। सऊदी अरब का यह क़दम सभी मानवीय मानदंडों व अंतर्राष्ट्रीय क़ानूनों के विरुद्ध है। इस त्रासदी में मरने वालों के शवों की पहचान और उन्हें उनके देशों तक वापस पहुंचाना, उनके परिजनों की सऊदी अरब से न्यूनतम मांग है। मिना त्रासदी के संबंध में सऊदी अरब सरकार की ज़िम्मेदारी समय गुज़रने के साथ, हज संस्कारों के दौरान होने वाली पिछली घटनाओं की भांति कदापि भुलाई नहीं जा सकेगी।
इस साल मिना की त्रासदी में जितने लोग मारे गए हैं, उतने पिछले वर्षों में हज के संस्कार के दौरान होने वाली कुल दुर्घटनाओं में मारे गए थे। हताहत और लापता होने वालों की इतनी बड़ी संख्या ने मिना त्रासदी को पूर्ण रूप से एक अंतर्राष्ट्रीय त्रासदी में बदल दिया है। इस आधार पर इस संबंध में होने वाली जांच घटना की व्यापकता और उसके वैश्विक प्रभावों के अनुसार होनी चाहिए तथा उस जांच में उन सभी देशों को शामिल किया जाना चाहिए जिनके लोग इस त्रासदी में हताहत हुए हैं। सऊदी अरब की सरकार को यथाशीघ्र एक स्वतंत्र अंतर्राष्ट्रीय जांच समिति गठित करनी चाहिए जिसमें सऊदी अरब के अतिरिक्त प्रभावित देशों के लोग भी अपनी विशेषज्ञता के अनुसार शामिल हों। इस तथ्यपरक समिति को एक सटीक, व्यापक एवं व्यवस्थित जांच के लिए आवश्यक अधिकार और दस्तावेज़ों तक पहुंच प्राप्त हो।
सऊदी अरब के पास अपने पेट्रो डॉलर के बल बूत अत्यंत विकसित ऑडियो और विडियो टेकनालोजी है। जो भी मक्के और मदीने गया है वह भली भांति जानता है कि किस प्रकार मस्जिदुन्नबी और मस्जिदुल हराम के सभी रास्तों को विदित और अदृश्य रूप से नियंत्रित किया जाता है। हज के संस्कार के सभी स्थान, सऊदी अरब के सुरक्षा बलों के कैमरों के नियंत्रण में रहते हैं। मिना त्रासदी के चित्र और उसकी फ़िल्में तथा प्रत्यक्ष दर्शियों के बयान यह बताते हैं कि इस दुर्घटना के होने और फिर प्रभावितों की सहायता के लिए की जाने वाली कार्यवाही में अत्यधिक लापरवाही और ढिलाई से काम लिया गया है। अगर सऊदी अरब के अधिकारी और सुरक्षा बल, हाजियों को बचाने के लिए ज़िम्मेदारी के साथ काम करते तो मरने वालों की संख्या बहुत ही कम होती। यह ऐसी स्थिति में है कि सऊदी अरब के अधिकारियों ने न केवल यह कि दुर्घटना के आरंभिक घंटों में घायलों की मदद के लिए कुछ नहीं किया बल्कि रुकावटें खड़ी करके सहायताकर्मियों की गतिविधियों को भी सीमित कर दिया।
ईरान की रेड क्रिसेंट सोसाइटी में हज संबंधी चिकित्सा केंद्र के प्रमुख डाक्टर सैयद अली मरअशी ने इस संबंध में बताया कि दुर्घटना आरंभ होने के थोड़े ही समय बाद शैतान को कंकरी मारने के संस्कार के स्थान की ओर जाने वाले सभी मार्गों पर सऊदी अरब के सुरक्षा बल तैनात हो गए जिससे घायलों की सहायता के काम में बाधा आ गई। सऊदी अरब के सुरक्षाकर्मी, सहायताकर्मियों को घायलों की मदद की अनुमति नहीं दे रहे थे। उन्होंने कहा कि अगर सऊदी सुरक्षाकर्मी घायलों की सहायता में बाधा न डालते तो मिना त्रासदी में मरने वाले बहुत से हाजियों को बचाया जा सकता था क्योंकि चालीस डिग्री सेंटी ग्रेड से अधिक की गर्मी में लम्बे समय तक बहुत से हाजी प्यासे रह गए और इसी प्यास ने उन्हें बेहोश कर दिया। डाक्टर मरअशी ने इस सवाल के जवाब में कि क्या वास्तव में ज़िंदा और मुर्दा हाजियों को एक साथ कोल्ड स्टोरेज में रख दिया गया? कहा कि कई घंटों तक तपती धूप चालीस डिग्री सेंटी ग्रेड से अधिक की गर्मी और तेज़ प्यास लोगों को बेहोश किए जा रही थी और सऊदी बल, जो शवों को एकत्रित कर रहे थे, हर उस व्यक्ति को जिसमें जीवन की विदित निशानियां नहीं होती थीं, मरे हुए लोगों के साथ कंटेनरों में पहुंचा देते थे। डाक्टर मरअशी की इस बात की पुष्टि अन्य देशों के हाजियों ने भी संसार के विभिन्न टीवी चैनलों पर अपने साक्षात्कारों में की है।
सऊदी अरब के अधिकारियों ने मिना त्रासदी के बाद मरने वालों की पहचान स्पष्ट करने के संबंध में भी आवश्यक सहयोग नहीं किया जिसके कारण इस दुर्घटना में हताहत होने वालों की पहचान कठिन हो गई और इस बात ने सऊदी अरब को यह बहाना प्रदान कर दिया कि चूंकि कुछ शवों की पहचान संभव नहीं है अतः उन्हें दफ़्न कर दिया जाए। ईरान की रेड क्रिसेंट सोसाइटी में हज संबंधी चिकित्सा केंद्र के प्रमुख डाक्टर सैयद अली मरअशी ने, इस बात का उल्लेख करते हुए कि मिना त्रासदी के कई दिन बाद तक सऊदी अरब के सुरक्षा कर्मी हमें शवों की पहचान की अनुमति नहीं दे रहे थे, कहा कि यदि शवों को कोल्ड स्टोरेज पहुंचाने के तुरंत बाद हमें शवों को पहचानने की अनुमति दी गई होती तो काम तेज़ी से भी होता और आसान भी होता क्योंकि समय बीतने के साथ साथ शवों की स्थिति बदलती जाती है और उन्हें पहचानने की प्रक्रिया कठिन होती जाती है।
यदि हम मिना त्रासदी को जान बूझ कर अस्तित्व में लाने के बारे में जो विचार पेश किए जा रहे हैं, उनकी अनदेखी भी कर दें तब भी इस त्रासदी में एक वास्तविकता पूरी तरह से स्पष्ट है और वह है मुसलमानों के सबसे बड़े धार्मिक संस्कार के आयोजने में, जो उनकी एकता व एकजुटता का प्रतीक है, सऊदी अरब सरकार की अक्षमता व अयोग्यता है। दूसरी बात जो मिना त्रासदी और उसके संबंध में सऊदी अरब के राजनैतिक व सुरक्षा अधिकारियों की प्रतिक्रिया के संबंध में स्पष्ट है, वह इस त्रासदी के विभिन्न पहलुओं को सामने न आने देने के उनके प्रयास हैं। उन्होंने इस दुर्घटना के आरंभिक घंटों में ही कोशिश की कि अपनी कार्यवाहियों द्वारा इससे संबंधित समाचारों को विश्व स्तर पर सामने न आने दें और इसी कारण यह त्रासदी अधिक व्यापक होती चली गई और मरने वालों की संख्या निरंतर बढ़ती रही। ईरान के एक एम्बूलेंस चालक का कहना है कि हम बड़ी तेज़ी से घटना स्थल की ओर रवाना हुए किंतु सऊदी सुरक्षा कर्मियों ने हमें रोक दिया। ऐसा लगता था कि वे घटना स्थल को घेर कर उसकी व्यापकता को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं। जब सऊदी सहायता व सुरक्षा कर्मी घटना स्थल पर पहुंचे तब भी मरे हुए और बेहोश लोगों को अलग करने के गंभीर प्रयास नहीं किए गए और बहुत से बेहोश लोगों को जो मरे हुए लोगों के बीच पड़े हुए थे, मृतकों के साथ घटना स्थल से हटा लिया गया।
एक घायल का कहना है कि हमारे कई घंटों तक नंगे बदन कड़ी धूप में पड़े रहने के बाद सुरक्षा बल वहां पहुंचे और यह सोच कर कि हम मर चुके हैं वे जूतों समेत हमारे ऊपर से गुज़रने लगे। सऊदियों ने शवों की देख-भाल और सम्मान की योग्यता का भी प्रदर्शन नहीं किया। जो लोग मृतकों की पहचान के लिए मुर्दाघरों में गए उनका कहना है कि उन स्थानों की अनुचित स्थिति और कम ठंडक के कारण शवों की स्थिति बिगड़ गई थी और कंटेनरों से ख़ून बह रहा था। यह ऐसी स्थिति में है कि कोल्ड स्टोरेज के तापमान को नियंत्रित करके शवों को लम्बे समय तक के लिए सुरक्षित रखा जा सकता है। मिना की त्रासदी में घायलों के हाथ से जो चीज़ सबसे पहले निकलती थी वह उनके मोबाइल फ़ोन थे। वे सऊदी अरब के अस्पतालों में पहुंचने के बाद अपने घर वालों और कारवां से संपर्क करना चाहते थे ताकि उन्हें अपने जीवित होने की सूचना दे सकें किंतु सऊदी अधिकारी उन्हें इसकी अनुमति नहीं दे रहे थे और स्वयं भी कारवां वालों को इसकी सूचना नहीं दे रहे थे।
मिना त्रासदी के दौरान और उसके बाद सऊदी अरब के सुरक्षा अधिकारियों और राजनेताओं की कार्यवाहियों से पता चलता है कि उन्हें ईश्वर के अतिथियों की जान की रक्षा के संबंध में किसी भी प्रकार की ज़िम्मेदारी का आभास नहीं है और ऐसे लोगों से हाजियों के शवों के साथ सम्मानजनक व्यवहार की आशा नहीं रखी जा सकती। आले सऊद सरकार ने अपने व्यवहार से सिद्ध कर दिया है कि वह हज के संस्कारों की अच्छी मेज़बान नहीं है। बहरहाल मिना त्रासदी के संबंध में इस्लामी देशों की सम्मिलिति से एक अंतर्राष्ट्रीय तथ्यपरक समिति का गठन होना चाहिए जो इस त्रासदी के विभिन्न आयामों की समीक्षा करे ताकि अगले बरसों में इस प्रकार की भीषण त्रासदी को रोका जा सके।
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