बाबरी मस्जिद शहादत की 23वी बरसी आज
बाबरी मस्जिद गिराए जाने की 23वीं बरसी के अवसर पर मुस्लिम दलों की ओर से विभिन्न प्रकार से प्रतिक्रियाएं व्यक्त की जा रही हैं।
आल इंडिया मिल्ली काउन्सिल ने एक बयान जारी करके कहा है कि बाबरी मस्जिद हमारी थी, हमारी है और हमारी ही रहेगी। इस बयान में कहा गया है कि इस्लामी शिक्षाओं के अनुसार जिस स्थान पर एक बार मस्जिद बन जाती है वह स्थान सदैव मस्जिद ही रहेगा। बयान में कहा गया है कि आरएसएस और भगवा गुट, बाबरी मस्जिद के बारे में भ्रांतियां उत्पन्न करके, भारत की जनता को सांप्रदायिक हिंसा की आग में झोंकने का काम बंद कर दे।
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आल इंडिया मिल्ली काउन्सिल के प्रमुख मौलाना उस्मान बेग रशादी ने बाबरी मस्जिद को गिराने की 23वीं बरसी पर कहा कि बाबरी मस्जिद से स्वयं को अलग कर लेने वाले इस्राईली एजेन्टों को तत्काल दंडित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद गिराने वालों को जब तक दंडित नहीं किया जाता, देश में शांति की स्थापना संभव नहीं है। आल इंडिया मिल्ली काउन्सिल के प्रमुख ने कहा कि उत्तर प्रदेश और केन्द्र की सरकारों को चाहिए कि वे उसी स्थान पर बाबरी मस्जिद को उसी शैली में बनावाएं जैसी वह थी। उन्होंने कहा कि मुसलमानों की भावनाओं का सम्मान करने और भारत में राष्ट्रीय एकता उत्पन्न करने के लिए नई मस्जिद बनाकर मुसलमानों के हवाले की जाए।
उधर आल इन्डिया इमाम्स काउन्सिल के प्रवक्ता ने कहा है कि बाबारी मस्जिद को तोड़ना, लोकतंत्र को तोड़ने के समान है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद के टूटने से मात्र एक मस्जिद नहीं टूटी है बल्कि यह पूरे मुस्लिम समाज पर अत्याचार है। उन्होंने कहा कि हम इस अत्याचार को कभी सहन नहीं करेंगे और जब भी हमें न्याय मिलेगा हम उसी स्थान पर पुनः बाबरी मस्जिद का निर्माण अवश्य करवाएंगे।
इसी बीच बाबरी मस्जिद गिराए जाने की 23वीं बरसी पर जमाअते इस्लामी हिंद ने हार्दिक खेद व्यक्त किया है। जमाअते इस्लामी हिंद के प्रमुख ने 6 दिसंबर की दुखद घटना को मानवता, लोकतंत्र और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए गहरा आघात बताया। मौलाना सय्यद जलालुद्दीन ऊमरी ने कहा कि बाबरी मस्जिद गिराए जाने की घटना ने समस्त शांतिप्रिय लोगों, स्वतंत्रता प्रेमियों तथा न्याय की सत्ता के इच्छुकों को बहुत दुखी किया है। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद हांलाकि भारतीय मुसलमानों की पहचान का मामला है किंतु इसके लिए प्रयास करना उन सभी लोगों का दायित्व है जो भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति की सुरक्षा के इच्छुक हैं। जमाअते इस्लामी के प्रमुख ने कहा कि हमें इस बात पर बहुत दुख है कि वे लोग स्वतंत्रता से घूम रहे हैं, जो बाबरी मस्जिद के गिराने में लिप्त रहे हैं। उन्होंने कहा कि बाबरी मस्जिद को गिराया जाना वास्तव में बहुत गंभीर अपराध है अतः इस कार्य में लिप्त अपराधियों को सज़ा देना ही वास्तविक न्याय है।
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जमाअते इस्लामी हिंद के प्रमुख मौलाना सैयद जलालुद्दीन ऊमरी ने कहा कि हमें इस बात की आशा है कि न्यायालय का फ़ैसला मुसलमानों के हित में आएगा।
उन्होंने कहा कि जमाअते इस्लामी हिंद को इस बात पर बहुत चिंता है कि भारत में सांप्रदायिकता फैलाने वाले तत्वों के विध्वंसकारी प्रयासों पर केन्द्र सरकार की ओर से गंभीरता से कोई नोटिस नहीं लिया जा रहा है। सैयद जलालुद्दीन ऊमरी ने कहा कि भारत में बनाए जा रहे सांप्रदायिक हिंसा के वातावरण के विरुद्ध देश के शांतिप्रिय लोगों को एकजुट होकर अपनी आवाज़ उठानी चाहिए।
ज्ञात रहे कि भारत में फांसीवादी शक्तियों ने 6 दिसंबर 1992 में सुरक्षाबलों की उपस्थिति में अयोध्या में मौजूद बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था। प्रतिवर्ष भारत में 6 दिसंबर को काले दिवस के रूप मे मनाया जाता है।
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