मिना त्रासदी के विभिन्न आयाम 2

मिना त्रासदी के विभिन्न आयाम 2

मिना त्रासदी को दो सप्ताह से अधिक का समय हो जाने के बावजूद अब भी इस त्रासदी का कोई भी चित्र देखने या कोई भी ख़बर सुनने से दिल तड़प उठता है। इस त्रासदी के चित्र, क्लिप्स और समाचार हर देखने वाले की आंखों को नम कर देते हैं। पूरी दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों से लोग एक स्थान पर एकत्रित हुए थे ताकि एकेश्वरवाद की एक अत्यंत निष्ठापूर्ण उपासना और हज के एक महान संस्कार को अंजाम दे सकें किंतु इस संस्कार के दौरान ही बड़ी असहायता के साथ वे अपने ईश्वर से जा मिले। आले सऊद के अधिकारी न केवल यह कि इस बड़ी त्रासदी के संबंध में अपनी अक्षमता व अयोग्यता के प्रति ज़िम्मेदार दिखाई नहीं दिए बल्कि वे ऐसे कुछ देशों से अप्रसन्नता भी प्रकट कर रहे हैं जिनके बहुत से हाजी इस त्रासदी में हताहत हुए हैं।

इस्लामी गणतंत्र ईरान ने मिना की त्रासदी में अपने 464 हाजियों के मारे जाने के दृष्टिगत, इस दुर्घटना के संबंध में सऊदी अरब की सरकार से जवाब तलब किया किंतु सऊदी अधिकारी जवाब देने के बजाए इस बात पर नाराज़ हो गए कि उनसे इस प्रकार की घटना पर क्यों जवाब मांग जा रहा है? इस संबंध में सबसे कड़ा स्वर सऊदी अरब के अनुभवहीन, मुंहफट और अयोग्य विदेश मंत्री आदिल अलजुबैर ने संयुक्त राष्ट्र संघ की महासभा के अधिवेशन में ईरान के राष्ट्रपति डॉक्टर रूहानी और विदेश मंत्री डॉक्टर ज़रीफ़ के बयानों पर अपनाया। आले सऊद के अधिकारियों ने ईरानी श्रद्धालुओं के अनादर, मिना त्रासदी में हताहत होने वाले ईरानी हाजियों के शवों की पहचान और शवों के स्थानांतरण में आनाकानी करके इस्लामी गणतंत्र ईरान के साथ अपने द्वेष और शत्रुता को पहले से अधिक प्रकट कर दिया। किंतु इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई की स्पष्ट नीति और कठोर चेतावनी ने सऊदी अधिकारियों को ईरानी श्रद्धालुओं के साथ अपमानजनक व्यवहार छोड़ने और हताहत हुए ईरानी हाजियों के शवों को उनके देश लौटाने की प्रक्रिया सरल बनाने पर बाध्य कर दिया।

वरिष्ठ नेता ने इस बात पर बल देते हुए कि ईरानी हाजियों का थोड़ा सा भी अनादर और मिना त्रासदी में हताहत होने वाले शवों को लौटाने की ज़िम्मेदारी के पालन में आनाकानी पर ईरान प्रतिक्रिया व्यक्त करेगा, कहा कि ईरान की प्रतिक्रिया कड़ी व कठोर होगी। आयतुल्लाहिल उज़मा सैयद अली ख़ामेनेई ने सऊदी अरब के अधिकारियों से कहा कि अब तक हमने संयम का प्रदर्शन किया है किंतु उन्हें जान लेना चाहिए कि ईरान इतना शक्तिशाली है और उसके पास इतनी क्षमता है कि वे किसी भी क्षेत्र में हमसे मुक़ाबला नहीं कर सकते। सऊदी अरब को इस्लामी क्रांति के वरिष्ठ नेता की खुली चेतावनी को राजनैतिक व प्रचारिक हल्क़ों में व्यापक कवरेज दी गई। मिस्र के अलअहराम समाचारपत्र ने इस संबंध में लिखा कि क्षेत्र और विश्व को एक भिन्न ईरान का सामना है। क्षेत्र में ईरान की वार्ता और राजनीति व प्रतिरक्षा का प्रभाव अब ऐसी चीज़ नहीं रह गई है जिसकी कोई सरलता से अनदेखी कर सके।

मिना की त्रासदी का मामला अभी समाप्त नहीं हुआ है और जब तक सऊदी अरब के शासक इस त्रासदी के बारे में ज़िम्मेदारी भरा रवैया नहीं अपनाएंगे तब तक यह मामला समाप्त नहीं होगा। मिना की संदिग्ध घटना में 22 देशों के हाजियों का मारा जाना, ऐसा विषय नहीं है जिसे सऊदी अरब की सरकार बिना जवाब दिए आसानी से दबा लेगी। ईश्वर के अतिथियों के साथ अनुचित व्यवहार को छिपाने और बिना ठोस प्रमाणों के मानव त्रासदियों के औचित्य दर्शाने का समय बीत चुका है।

सऊदी अरब के अधिकारियों ने पिछले वर्षों की दुर्घटनाओं की तरह इस साल भी दो बड़ी दुर्घटनाओं से पल्ला झाड़ने की कोशिश की। एक मस्जिदुल हराम में क्रेन गिरने की दुर्घटना और दूसरे मिना की त्रासदी। ऐसी स्थिति में जब मिना में हज़ारों हाजी मारे गए, सऊदी अरब के रेडियो और टीवी ने सामान्य कार्यक्रम जारी रखे मानो मिना में कुछ हुआ ही नहो जब मिना त्रासदी की फ़िल्में और तस्वीरें सोशल मीडिया में आने लगीं तो आले सऊद के सामने समस्याएं खड़ी हो गईं। इस देश के शासक ने, जिन्होंने मिना त्रासदी के बाद हज आयोजक समिति के सदस्यों से मुलाक़ात की और सफल आयोजन के लिए उनके प्रति आभार प्रकट किया था, मिना त्रासदी के बारे में हर स्थान पर चर्चाएं आरंभ होने के बाद कुछ अधिकारियों को पदमुक्त कर दिया और इस दुर्घटना की जांच के आदेश दिए।

अनुभवों से पता चलता है कि आले सऊद के अधिकारियों पर जब तक दबाव नहीं पड़ेगा वे हज के संस्कारों के आयोजन में अपने कुप्रबंधन की जवाबदेही के लिए तैयार नहीं होंगे। उन्होंने इस दुर्घटना के बाद अपने कुप्रबंधन की बात स्वीकार करने और प्रभावितों की सहायता के लिए उचित क़दम उठाने के बजाए, इस दुर्घटना से पल्ला झाड़ने का प्रयास किया। उन्होंने अपने कुप्रबंधन पर पर्दा डालने के लिए इस दुर्घटना का औचित्य दर्शाने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि इस दुर्घटना का मुख्य कारण भीषण गर्मी, श्रद्धालुओं की लापरवाही और सुरक्षा के उपायों की अनदेखी है। वहाबी मुफ़्तियों ने भी इस त्रासदी का औचित्य दर्शाने और आले सऊद को निर्दोष सिद्ध करने के लिए तरह-तरह की बातें कहीं।

शैख़ अब्दुल अज़ीज़ आले शैख़ नामक एक वहाबी मुफ़्ती ने मिना की दुर्घटना को ईश्वर की इच्छा बताया और कहा कि इसे नियंत्रित करना मनुष्य के बस में नहीं था किंतु इस दुर्घटना की फ़िल्मों की समीक्षा और प्रत्यक्षदर्शियों के बयानों बल्कि इस संबंध में की जाने वाली विशेषज्ञों की समीक्षाओं से पता चलता है कि सऊदी अरब के अधिकारियों के बयान ग़लत थे और इस दुर्घटना को रोका जा सकता था। मिना से रमिये जमरात या शैतान को कंकरी मारने के संस्कार के स्थान तक के लिए पांच सड़कें जाती हैं जिनमें से दो जाने के लिए, दो वापस लौटने के लिए और एक आने-जाने के लिए है किंतु उस दिन चार सड़कें बंद कर दी गई थीं और केवल एक सड़क उक्त स्थान तक जाने के लिए खुली हुई थी। यह बात, सऊदी अधिकारियों के बयान को ग़लत सिद्ध करने के लिए काफ़ी है।

मिना त्रासदी में बच जाने वाले एक हाजी यूसुफ़ इब्राहीम याकासाई ने बीबीसी से बात करते हुए कहा कि सऊदी अरब के सुरक्षा बलों ने रमिये जमरात की ओर जाने वाले एक रास्ते को बंद कर दिया और ईरान, कैमरून, घाना तथा नाइजीरिया के हज़ारों हाजियों को बंद मार्ग का सामना करना पड़ा। लोग शैतान को कंकरी मारने के लिए एक रास्ते से जा रहे थे और उसी समय उसी रास्ते से दूसरे लोग लौट रहे थे। आमने-सामने से आ रहे इन दोनों गुटों के बीच एक प्रकार से टक्कर हो गई और जो लोग रास्ते के बीच में थे, वे सबसे अधिक प्रभावित हुए।

दूसरी ओर सहायता कार्य, जो बहुत विलम्ब से शुरू हुआ, इस बात का कारण बना कि जो घायल एक दूसरे के ऊपर पड़े हुए थे, अत्यधिक प्यास, गर्मी और ऑक्सीजन के अभाव के कारण दम तोड़ दें। प्रत्यक्षदर्शियों का कहना है कि अगर सहायताकर्मी सही समय पर पहुंच गए होते और घायलों व प्रभावितों को केवल पानी भी पिला देते तो मिना में हज़ारों इंसान न मारे जाते। सभी साक्ष्य इस बात के सूचक हैं कि सऊदी अरब के हज से संबंधित अधिकारियों ने पूरी तरह से अक्षमता व कुप्रबंध का प्रदर्शन किया। यह दुर्घटना न तो ईश्वर की इच्छा से घटी और न ही भीषण गर्मी से, बल्कि यह सिर्फ़ और सिर्फ़ सऊदी अधिकारियों के कुप्रबंधन का परिणाम है।

मिस्र के प्रख्यात लेखक अला ताहा ने क़ाहेरा से प्रकाशित होने वाले समाचारपत्र जरनल में मिना त्रासदी के बारे में महत्वपूर्ण बिंदुओं की ओर संकेत किया है। वे लिखते हैं कि हज, दुनिया का सबसे बड़ा जमावड़ा नहीं है, इस लिए कि जारी वर्ष में भारत के एक राज्य में एक धार्मिक संस्कार में भाग लेने के लिए कई करोड़ लोग एकत्रित हुए और बिना किसी बड़ी दुर्घटना के यह संस्कार पूरा हुआ। इराक़ में भी, अत्यधिक अशांति और संभावनाओं की कमी के बावजूद कर्बला नगर में इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम के चेहलुम के अवसर पर दो करोड़ से अधिक लोग उपस्थित होते हैं। उन्होंने लिखा है कि अक्तूबर 1970 में मिस्र के नेता जमाल अब्दुन्नासिर के अंतिम संस्कार में पचास लाख से अधिक लोगों ने भाग लिया था और उसमें भी कोई दुर्घटना नहीं हुई थी। अतः यह परिणाम निकाला जा सकता है कि मुख्य समस्या, हज के मामलों के संचालकों का अनुभवहीन होना और उनका कुप्रंधन और साथ ही सऊदी पुलिस का हिंसक रवैया है। अला ताहा लिखते हैं कि सऊदी अधिकारी बड़े-बड़े होटल बनाने पर करोड़ डॉलर ख़र्च कर देते हैं किंतु वे इसका एक छोटा सा भाग, अपने कर्मचारियों को ईश्वर के मेहमानों के आतिथ्य के सही तरीक़े सिखाने के लिए ख़र्च नहीं कर सकते।

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