मिना त्रासदी का ज़िम्मेदार कौन?

मिना त्रासदी का ज़िम्मेदार कौन?

अनुवादकः सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

क्यों यह कोशिश की जा रही है कि सऊदी अरब के अधिकारियों को हाजियों की मौत के आरोप से बरी कर दिया जाए? क्यों मिस्र के राष्ट्रपति इस देश के लोगों से संवेदना प्रकट करने के बजाए सऊदी अरब के बादशाह से शोक प्रकट करते हैं? यह दुर्घटना एक योजनाबद्ध अपराध था या फिर सऊदी अधिकारियों की अयोग्यता और कुप्रबंधन का नतीजा?

मिस्र का समाचार पत्र “अलमक़ाल” ने मिना त्रासदी के कारणों की खोजबीन की है।

अपने सबसे पहले लेख जिसका शीर्षक “एक बात.... हाजियों का ख़ून से रंगे आले सऊद के हाथ” में लेखक यह प्रशन उठाता है कि क्या आले सऊद प्रशासन सैकड़ों हाजियों की मौत की प्रतीक्षा कर रहा था ताकि हज के प्रोग्राम और उसकी व्यवस्था के बारे में दोबार सोंच विचार करे? इस प्रकार की घटनाएं क्यों हज में बार बार होती है? आखिर क्यों सऊदी अरब इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिये तैयार नहीं हो पा रहा है?

लेखक एमाद हमदी इस लेख में लिखते हैं है किः हज में इस प्रकार की घटनाएं और उसके मुक़बाले में सऊदी बादशाहों की प्रतिक्रियाएं हमेशा एक जैसी ही रही है। सऊदी बादशाहों ने इस प्रकार की घटनाओं का कारण सदैव भीड़ की अधिकता बताया है और बहुत ही बेशर्मी के साथ हाजियों को ही उनकी मौत का ज़िम्मेदार ठहराया है, ऐसा लगता है कि वह हाजी जो हज करने गए हैं वह एक सुकूनभरे और शांतिपूर्ण माहौल में हज नहीं करना चाहते हैं बल्कि वह भीड़भाड़, एक दूसरे से धक्का मुक्की और अपनी जान देना चाहते हैं!!


लेखक कहता है कि जब तक (सऊदी अधिकारियों की) खुली अयोग्यता, निकम्मापन जारी रहता है हाजियों की मौत का सिलसिला यूँ ही चलता रहेगा।

वह आगे लिखते हैं सऊदी बादशाह हमेशा की तरह इतने बहादुर नहीं थे कि वह इस घटना की जिम्मेदारी ले सकते, और यह सब उस समय है कि हाजियों के सऊदी अरब की धरती पर क़दम रखते ही केवल सऊदी अधिकारी ही उसकी जानों की सुरक्षा के ज़िम्मेदार है। वह हाजियों के भीड़ की अधिकता के कारण ज़िम्मेदार ठहराते हैं जैसे कि आले सऊद प्रशासन को रमी जमरात के कार्यक्रम में इतने लोगों के होने और अपने आपको हर प्रकार की संभावित दुर्घटना के लिये तैयार करने का पता ही नहीं था! उनको नहीं मालूम था कि इस प्रकार की दुर्घटना को रोकने की ज़िम्मेदारी उनकी है और अगर कोई दुर्घटना हो जाए तो उनको तत्परता दिखाते हुए उसको बढ़ने से रोकना है।

तारिक़ अबू सअद अपने लेख जिसका शीर्षक “वहाबी, सल्फ़ी विचारधारा मिना में हाजियों की मौत का कारण” में यह प्रश्न उठाते हैं: क्या हरम (मक्के) के रमने वाले एक दूसरी के हत्या करने के कारण पापी है?! लेखक इस दुर्घटना पर सऊदी बादशाहों की प्रतिक्रिया पर आश्चर्य प्रकट करते हुए लिखता हैः सऊदी अरब ने 7 हज़ार सीसी टीवी कैमरों के साथ जो हर समय हाजियों को कैप्चर करती रहती है के बावजूद अब तक एक भी वीडियो जारी नहीं की है जो यह साबित कर सके कि इस अव्यवस्था और भीड़ का कारण कौन था... क्या यह हाजियों के व्यवहार से संबंधित है जिनको सदैव इस प्रकार की दुर्घटनाओं का ज़िम्मेदार ठहराया जाता है?

क्या हम इस प्रकार की दुर्घटनाओं की छानबीन को यहीं पर रोक दें और केवल यह कहकर छुट्टी पा लें किः कितने भाग्यवान थे वह लोग जिन्होंने हज करते हुए मौत को गले लगा लिया और यह उनकी आख़ेरत की भलाई की निशानी है... यह फिर इस सारी दुर्घटना को एक ख़तरे के तौर पर देखे कि (जिसकी छानबीन) सऊदी बादशाही उसके तख़्त व ताज –जो खुदा के मेहमानों के ख़ादिम और उनकी हुकूमत के वैधानिक होने और शक्ति की निशानी है- को ख़तरे में डाल रही है?!


महमूद सलाह ने अपने लेख जिसका शीर्षक “राष्ट्रपति जिसने अपने लोगों को संवेदना नहीं प्रकट की” (1) यह प्रश्न उठाते हैं किः क्यों अब्दुल फ़त्ताह सीसी (मिस्र के राष्ट्रपति) ने सऊदी बादशाह को जिसने कुप्रबंधन से हज़ारों हाजियों को मौत के घाट उतार दिया खेद प्रकट किया?!

उन्होने आगे लिखाः आश्चर्य यह है कि सऊदी बादशाह ने मिस्र को खेद प्रकट नहीं किया बल्कि मिस्र के राष्ट्रपति ने सऊदी बादशाह को संवेदना प्रकट की? यानी वह राष्ट्रपति जिसने दो सप्ताह से भी कम समय में अपने देश के 100 से अधिक लोगों की लाशें मेज़बान देश के कुप्रबंधन के कारण देखे हो, मेज़बान देश को संवेदना प्रकट करता है!!

लूई अलख़तीब भी एक लेख जिसका शीर्षक “यह सऊदी अरब है जिसको मिना दुर्घटना के लिये संवेदना प्रकट करनी चाहिये” है में यह प्रश्न उठाते हैं: क्यों मिना में हाजियों की मौत पर मिस्र की प्रतिक्रिया मेक्सिको द्वारा अपने देशवासियों की मौत से भिन्न है?

वह लिखते हैं: यह प्रश्न हर उस देश विशेषकर मिस्र उसके राष्ट्रपति और वहां की सरकार से करना चाहिये जिसे सऊदी अरब से इस घटना पर संवेदना प्रकट की है।


अलख़तीब आम बोलचार की भाषा में पूछते हैं: किसको किस से संवेदना प्रकट करनी चाहिये?

लेखल आगे लिखता हैः मिस्र में मेक्सिको के लोगों की मौत पर मेक्सिकों की प्रतिक्रिया को याद कीजिये... क्यों मेक्सिको ने यह सोंचकर कि घटना मिस्र में घटी है मिस्र के राष्ट्रपति को संवेदना नहीं प्रकट की?!

इस लेखक ने अंत में अपने देश की सरकार से मांग की है कि सऊदी अरब में जो जांच चल रही है उस पर स्वंय नज़र रखें और उसके नतीजों को स्पष्टरूप से बयान करें। अधिकारिक रूप से इस घटना में मिस्र के 55 हाजियों की मौत हुई है और उनके परिवार वाले जांच के नतीजों और अधिकारियों की कोताही की सूरत में उनपर उचित कार्यवाही की जाए, सऊदी अरब के बादशाह या उनके गृहमंत्री को संवेदना प्रकट करना किसी दर्द की दवा नहीं है।

1.    (यह और बात है कि हमारे देश के प्रधानमंत्री मोदी भी दादरीकांड, मैनपुरी या फिर देश के किसी भी भाग में मुसलमानों के विरुद्ध घटने वाली दुर्घटना पर संवेदना और शोक प्रकट करना अपनी जिम्मेदारी नहीं समझते हैं: अनुवादक)

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