मिना त्रास्दी, 11 जानने योग्य बातें

मिना त्रास्दी, 11 जानने योग्य बातें

 अनुवादकः सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

मिना दुर्घटना की त्रास्दी में हर दिन कुछ न कुछ नया घट रहा है और आज भी यह लोगों की दृष्टि का केन्द्र बना हुआ है।

इस त्रास्दी में 11 चीज़ें ध्यान दिये जाने योग्य हैं

1.    तमाम प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि सुरक्षा बलों ने हाजियों के रास्ते को बंद कर दिया था, इस प्रकार कि निकलने के रास्ते को बंद कर दिया गया और प्रवेश द्वार को खुला रखा गया। जिसके कारण हज़ारों लोग जो भीड़ के कारण कुछ फुट के रास्ते को भी नहीं देख सकते थे वह उस रास्ते पर चल पड़े जिसपर मौत उनकी प्रतीक्षा कर रही थी और इस प्रकार तारीख़ की एक बड़ी त्रास्दी घट गई।

आश्चर्य की बात यह है कि सऊदी अरब के अधिकारियों ने अब तक इस प्रश्न का उत्तर नहीं दिया है कि रास्तों को क्यों बंद किया गया।

2.    उन्होने न केवल रास्तों को बंद किया बल्कि भीड़ की अधिक्ता और कुछ लोगों की मौत हो जाने के बाद भी रास्तों को नहीं खोला। एक प्रत्यक्षदर्शी कहता है कि जिस स्थान पर रास्ते को बंद किया गया था वहां पर सऊदी सुरक्षा बलों से भरा एक ट्रक खड़ा था और हाजियों को उन पर हलमा करके रास्ता खोलने की हिम्मत नहीं हुई, हां यह बात भी है कि उस समय तक किसी भी हाजी को यह अंदाज़ा भी नहीं था कि कौन सी भयानक घड़ी उनके सामने आने वाली है।

3.    आरम्भ में लोगों का ख़याल यह था कि रास्ते के बंद होने और कुछ लोगों के मरने और घायल होने के बाद घटना के शुरूआती दौर में ही सुरक्षा बलों के हस्तक्षेप के बाद इस त्रास्दी को रोक लिया गया है।

लेकिन वह प्रत्यक्षदर्शी जो इस क़त्लगाह से जीवित बच निकले थे सभी का यही कहना है कि घटना के तीन घंटे बाद तक लोग एक दूसरे पर वैसे ही पड़े हुए थे और कोई भी उनको बचाने नहीं पहुँचा था।

इस घटना में मरने वाले अधिकतर लोगों 8:45 से 12 बजे के बीच धीरे मौत को गले लगा चुके थे, जब सहायता करने वालों का पहला गुट पहुँचा।

एक हाजी हो इन तीन घंटों के बाद भी जीवित बच गया कहता है कि मेरे शरीर में केवल इतनी जान बची थी कि मैं सांस ले सकूँ, मैं अपने हाथ पैर भी नहीं हिला पा रहा था लोग एक दूसरे के ऊपर पड़े हुए थे, एक दूसरा हाजी जो मेरे बग़ल में पड़ा हुआ था और अभी जीवित था उसने कमज़ोर आवाज़ में मुझसे कहा क्या आसमान काला हो रहा है?
मैने आसमान की तरफ़ देखा वह काला नहीं हो रहा था बल्कि उस हाजी की जान निकल रही थी और कुछ देर के बाद वह मर गया।

11 نکته مهم درباره فاجعه منا

4.    45 से 50 डिग्री के टैम्प्रेचर मे एक दूसरे पर पड़े झुलसते हुए हाजियों को पहले तीन घंटों में पानी तक भी नहीं पहुँचाया गया

एक हाजी हो बच गया था वह कहता है कि हम प्यास से मर रहे थे तो बंधों की दूसरी तरफ़ मौजूद कुछ अफ़रीक़ी हाजियों ने हम पर पानी की बोतलें फेंकी उनके इस कार्य ने हमारे अंदर थोड़ी जान फूंक दी।

एक ईरानी डाक्टर जो उस दिन मिना में था कहता है कि अगर उस स्थिति में कि जब गर्मी, पसीने, स्ट्रेस और आठ किलोमीटर पैदल चलने के बाद लोगों के शरीर में पानी की कमी हो गई ती अगर उनको यह लोग केवल पानी भी दे देते तो बहुत से लोगों को मरने से बचाया जा सकता था।

5.    जहां पर हाजी एक दूसरे के ऊपर पड़े हुए थे और मर रहे थे उसके पास लोहो की ग्रिलें लगी हुई थी और उसके पार कुछ देशों के हाजियों के ख़ैमे थे।

इसके बाद भी उस तरफ़ के हाजियों ने सबसे अधिक कार्य जो किया वह पानी की बोतलें फेंकना था, यहां पर यह प्रश्न उठता है कि क्या वह लोग इस तरफ़ के हाजियों को बचाने के लिये कुछ और नहीं कर सकते थे जैसे ग्रिलों को तोड़ना और उखाड़ना आदि?

इन प्रश्नों के उत्तर स्पष्ट नहीं है, क्या उनके लिये हाजियों की सहायता करना संभव नहीं था या संभव तो था लेकिन उन लोगों ने कोताही की? या फिर किसी ने उनको सहायता करने से रोक दिया था?

यह वह महत्वपूर्ण प्रश्न है कि अगर उनका उत्तर यह हो कि वह सहायता कर सकते थे लेकिन सहायता नहीं की तो फिर हमको इस्लाम और मुसलमानों की इस स्थिति पर अफ़सोस करना चाहिये।

6.    न केवल यह कि सऊदी अरब के स्वास्थ विभाग ने घटना स्थल पर पहुँचने में देरी की बल्कि उस स्थान पर मौजूद दूसरे देशों के सहायता समूहों को भी सहायता करने की अनुमति नहीं दी।

एक एम्बूलेंस का ईरानी ड्राइवर कहता है कि जैसे ही हमको घटना का पता चला हम घटना स्थल की तरफ़ चल पड़े लेकिन सुरक्षा बलों ने हमारा रास्ता रोक लिया, ऐसा लगता था कि वह घटनास्थल की घेराबंदी करके घटना की गंभीरता को छिपाना चाहते थे।

इसके बावजूद कुछ ईरानी और दूसरे देशों देशों के सहायता समूह घटनास्थल पर पहुँचने में कामियाब रहे और अपने सीमित संसाधनों और संख्या के साथ बचाव कार्य आरम्भ किया।

सऊदी अरब के सहायता और स्वास्थ समूहों ने पहुँचने में इतनी देर क्यों की आश्चर्य की बाद है क्योंकि बक़्र ईद के दिन सऊदी अरब में सबसे महत्वपूर्ण स्थान मिना ही था जहां इतने अधिक लोगों का जमावड़ा होना था जिसके लिये आवश्यकता तो यह थी मक्के के तमाम स्वास्थ एवं सहायता संसाधन बल्कि आसपास के शहरो के भी सारे संसाधनों को मिना के लिये तैयार रहना चाहिये था विशेषकर तब जब्कि इससे पहले भी मिना में लोगों की अधिक्ता के कारण घटनाएं हो चुकों थीं।

 

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7.    सऊदी अरब के सहायता समूहों के पहुँचने के बाद भी मरने वालों और घायलों –जिनमें से अधिकतर उस समय बेहोश थे- को अलग करने का प्रयत्न नहीं किया गया और बहुत से घायल हो जीवित थे लेकिन बेहोश थे उनको भी मरने वालों के साथ ही घटनास्थल से रवाना कर दिया गया।

एक घायल कहता है कि कई घंटों तक नंगे बदन धूप में पड़े रहने के बाद जब सऊदी बल वहां पहुँचे तो वह यह समझते हुए कि हम मर चुके हैं हम पर से जूतों के साथ गुज़र गए।

8.    सऊदी अधिकारियों का कहना है कि इस घटना में 800 से भी कम लोगों की मौत हुई है, अगरचे मंगलवारे को सऊदी अरब के स्वास्थ मंत्रालय की सरकारी साइट पर मारने वालो की संख्या को कुछ देर के लिये 4173 दिखाया गया जिसको बाद में हटा दिया गया।

इस घटना को इतना समय हो जाने के बावजूद आज भी हर देश से मरने वालों की सही संख्या का अंदाज़ा नहीं लगाया जा सका। अगर वास्तव में मरने वालों की संख्या 800 से कम थी तो 24 घंटे या बहुत से बहुत 48 घंटो में मरने वालों की राष्ट्रीयता बताई जा सकती थी, क्या 800 लाशों की पहचान जिनमें से अधिकतर की गर्दनों में पहचान पत्र लटके हुए थे और काफ़िलों के प्रमुख उनकी तलाश कर रहे थे में इतना अधिक समय लगता है?!

9.    मिना की दुर्घटना के बाद घायलों के हाथों से सबसे पहली चीज़ जो गई वह उनके मोबाइल फोन थे, सऊदी अस्पतालों में पहुँचने के बाद वह अपने परिवार वालों और क़ाफ़िले वालों से संपर्क करना चाहते थे ताकि उनको अपने जीवित होने की सूचना दे सके, इसके बाद भी सऊदी अधिकारियों ने न केवल घायलों की आंकड़े इकट्ठे नहीं किये और उनके बारे में काफ़िले वालों को सूचित नहीं किया बल्कि उन घायलों को एक मिनट बात करने के लिये फोन भी नही दिया।

जिसके बाद काफ़िला सालारों को विवषता में संचार व्यवस्था के पहले के युग की भाति अपने घायलो को तलाशने के लिये हर अस्पताल में एक एक बेड को देखना बड़ा, और यही कारण है कि इतना समय बीत जाने के बावजूद आज भी अस्पतालों में कोई नया घायल मिलता है!

 

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10.    इस घटना के बाद सऊदियों ने न केवल यह कि विदेशी पत्रकारों की गतिविधियों को बहुत सीमित कर दिया बल्कि वह हाजी जो अपने मोबाइलों से फोटो या वीडियों बना रहे थे उनसे उनका मोबाइल छीन लिया, सऊदी अरब के चैनलों ने भी इस घटना को अहमियत न देते हुए सामान्य समाचार प्रकाशित किये और इस घटना के बारे में बहुत ही संक्षिप्त ख़बर दी जिसमें सऊदी अधिकारी यह कहते हुए दिखाई दिये कि सब कुछ कंट्रोल मे है।

ऐसा लगता है कि सऊदियों ने यह सोंचा था कि संचार क्रांति के इस युग में भी इस भयानक घटना और त्रास्दी को लोगों की आँखों से छिपा सकते हैं।

11.    सऊदियों ने लाशों की सुरक्षा में भी अपना निकम्मापन दिखा दिया, वह लोग जो लाशों की पहचान के लिये शीतग्रह गए थे कहते हैं कि शीतग्रहों के ग़लत टैम्प्रेचर और ठंड की कमी के कारण लाशों की स्तिथि अच्छी नहीं है और कंटेनरों से भी खूनभरा पानी बह रहा है।

यह स्थिति उस समय है कि जब शीतग्रहों के टैम्प्रेचर को सही करके लाशों को सालों तक सही सलामत रखा जा सकता है।

............ और यह सब उस समय है कि सऊदी अधिकारी इस घटना की कोई भी जिम्मेदारी लेने के लिये तैयार नहीं है, ताकि लोगों को यह पता चल सके कि यह संसार की एक सबसे बड़ी अपराधी और निकम्मी हुकूमत है।

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