वहाबियत 2

वहाबियत 2

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

यह रजब का महीना है और हम देख रहे हैं कि इस हराम महीने में आले सऊद बल्कि सही यह होगा कि हम कहें आले यहूद जिन्होंने मुसलमानों के दूसरे क़िब्ले पर क़ब्ज़ा कर रखा है बेगुनाह मुसलमानों का ख़ून बहा रहे हैं और रोज़ाना कोई न कोई नया अपराध कर रहे हैं, हमारी ईश्वर से यही प्रार्थना है कि हे ईश्वर अपनी कृपा और दया से मुसलमानों को इन आले यहूद इन ख़ाएनुल हरमैनियों के हाथों से बचा।

हम आपके सामने वहाबियत के बारे में बातचीत कर रहे थे हमारी बात यहां तक पहुँची थी कि हमने बताया कि मिस्टर हेनफेर की आपबीती में आया था कि इन लोगों ने इस्लाम को समाप्त करने के लिये प्लान बनाया था कि क्या करें। इन प्लानों में से एक फ़ितने और जंग का फैलाना, नए सम्प्रदायों को वजूद में लाना और तमाम साम्राजी शक्तियों की एकता आदि था। मिस्टर हेनफेर कहता है कि जब मैं इस्लामी धरती पर अपने लाएक़ किसी व्यक्ति की तलाश में भटक रहा था तो मैं एक व्यक्ति से मिला जिसके अंदर विशेष प्रकार की योग्यताएं थी और वह मुसलमानों के बीच मतभेद, फ़ितना फैलाने, एक नया फ़िरक़ा बनाने और मुसलमानों की तकफ़ीर करने के लिये सबसे योग्य था जिसका नाम मोहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब था, जो वहाबी सम्प्रदाय का संस्थापक है, मोहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब की एक विशेषता यह है कि वह अपने आप को पैग़म्बर के बराबर समझता है उसका मत है कि पैग़म्बर ने अपने युग में बहुत सारे कार्य किये हैं और मैं भी बहुत सारे कार्य कर सकता हूँ मैं भी एक नया सम्प्रदाय या कहा जाए कि नया धर्म ला सकता हूँ और वह अपने इस लक्ष्य तक पहुँचने के लिये किसी भी हद तक जा सकता था कोई भी बिदअत ला सकता था जैसा कि हेनफेर उसका कई बार इम्तेहान लेता है विभिन्न प्रकार के गुनाहों के माध्यम से उसकी परीक्षा ली जाती है कि क्या उसके अंदर यह योग्यता है कि वह एक नया सम्प्रदाय पैदा कर सके जो दूसरे मुसलमानों को काफ़िर बता सके और यह सम्प्रदाय अगरचे इस्लाम के नाम पर हो लेकिन उसमें इस्लाम की बू भी न हो।

जब अब्दुल वह्हाब हर प्रकार की परीक्षा में पास हो जाता है और यह लोग समझ जाते हैं कि इसके अंदर यह योग्यता है कि वह एक नया सम्प्रदाय बना सके और दूसरे मुसलमानो को काफ़िर बता सके, शराब हो हलाल बता सके, खानए काबा को गिरा सके, क़ुरआन को बदल सके।

हमे आश्चर्य नहीं करना चाहिये, इस्लामी इतिहास में एक समय ऐसा आ चुका है कि यज़ीद जैसा इंसान ख़लीफ़ा बना और उनसे शराब हो हलाल किया, मुसलमानों की महिलाओं को दासी बनाया, ख़ानए काबा को गिराया पैग़म्बर को पौत्र इमाम हुसैन को शहीद किया तो जब इस्लाम के आरम्भिक दिनों में ऐसा हो सकता है तो यह तो बहुत बाद की बात है

हेनफेर कहता है जब मोहम्मद इब्ने अब्दुल वह्हाब हमारी परीक्षा में पास हो जाता है तो हम उसे अपना काम निकलवाने के लिये बुलाते हैं तो अब्दुल वह्हाब कहता है मैं हर कार्य करूँगा लेकिन कि मेरी चार शर्ते हैं

1.    मुझे पैदा दिया जाए

2.    हथियार दिया जाए

3.    मेरा समर्थन करो, क्योंकि उसका कार्य यह है कि अपने कार्य के एक पड़ाव पर मुस्लिम विद्वानों और ओलेमा को काफिर बताना है।

हमने आपको पहले ही बताया था कि जब वहाबियत ने अपनी गतिविधिया आरम्भ की तो उनका सबसे पहला कार्य ही यही था कि उन्होंने मुसलमानों को काफिर कहना शुरू किया और उस्मानी से जंग की और स्वंय सुन्नियों ने वहाबियत से जंग की।

4.    एक स्थान की हुकूमत मुझे दी जाए, حب الدنیا راس کل خطییه दुनिया की मोहब्बत हर बुराई की जड़ है, रियासत की मोहब्बत, बादशाहत की मोहब्बत यह वह चीज़ें हैं जो इंसान को हर बुराई करने पर आमादा कर देती हैं।
उसके बाद हेनफेर कहता है कि हमने अब्दुल वह्हाब को 6 खंडो का एक संविधान दिया और उससे कहा कि तुमको यह कार्य करने हैं,

1.    सबसे पहला कार्य यह है कि तुम लोग अपने अतिरिक्त सारे मुसलमानों को काफिर कहो। मुसलमानों की हत्या, जनसंहार को हलाल बताओ। फ़तवा दो कि अगर हमसे लड़े तो हम तुमको दास और दासी की सूरत में बेच देंगे। जो कल ताएफ़ में हुआ, जो आज इराक़, और सीरिया में हो रहा है, जहां मुसलमान महिलाओं को दासी बनाया जा रहा है इस्लाम के नाम पर।

2.    काबे को ध्वस्त कर दो इस बहाने से कि काबा बुतख़ाना था, और ईश्वर को घर की आवश्यकता नहीं है। अब्दुल वह्हाब जब यह सुनता है तो आश्चर्य चकित रह जाता है वह कहता है कि यह संभव नहीं है, यह कार्य नहीं किया जा सकता है वह कहते हैं कि कोई बात नहीं यह अभी संभव नहीं है कोई बात नहीं हम बाद में यह करेंगे, तुम बाक़ी के कार्य करो

3.    तुम कुछ ऐसा करो कि लोग उस्मानी साम्राज्य के विरोधी हो जाएं। और लोगों को उनके विरुद्ध लड़ने के लिये तैयार करो।

यह चाल है ब्रिटेन की उस्मानी को समाप्त करने के लिये जो कि रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, आदि के लिये रुकावट है, यह लोग चाहते हैं कि इराक़, सऊदी अरब, सीरिया, तुर्की के खनिजों तक पहुँच सकें, लेकिन उस्मानी इसमें सबसे बड़ी रुकावट है, तो यह लोग उस्मानी को समाप्त करने के लिये यह चाल चहते हैं।

4.    मक्के और मदीने में गुंबदों, ज़रीहों, पवित्र स्थलों को ध्वस्त करना यह बता कर कि यह शिक्र की निशानिया है, कितने आश्चर्य की बात है कि अहले सुन्नत इस समय भी मोआविया के लिये समाधि बनाते हैं, गुंबद बनाते हैं, ज़ियारत के लिये जाते हैं अबू हनीफ़ा का समाधि स्थल है इराक़ में, लेकिन यह सम्प्रदाय कहता है कि सारे गुंबद और पवित्र स्थल शिर्क की निशानियां हैं और इनको ध्वस्त हो जाना चाहिये और जो इनकी ज़ियारत के लिये जाता है वह काफ़िर है और उसको क़त्ल कर देना चाहिये। यह अपने इस फ़तवे से सारे मुसलमानों इस्लाम के आरम्भ से अब तक को काफ़िर बताते हैं। क्यों? क्योंकि समाधि बनाना जियारत पर जाना मुसलमानों की रीत रही है किसने पैग़म्बर के पवित्र रौज़े पर गुंबद बनाई, क्या कोई काफ़िर था या मुसलमान? नहीं। तो यह अपने इस फ़तवे से सारे मुसलमानों को काफिर बता रहे हैं।

5.    जहां तक संभव हो सके इस्लामी देशों में अशांति और संकट की स्थिति पैदा करना। इसीलिये इमाम ख़ुमैनी कहते हैं कि अगर हम अमरीका, ब्रिटेन के अपराधों को क्षमा कर दे तब भी हम इनके पापो को क्षमा नहीं कर सकते हैं, इस्लामी दुनिया में हर संकट का स्रोत यह वहाबियत है। हदीस में भी है कि

هناك الزلازل والفتن وبها يطلع‏ قرن الشيطان

नज्द की धरती से फ़ितने और फ़साद उठेंगे और शैतान की सींघ निकलेगी

इराक़, सीरिया पाकिस्तान अफ़गानिस्ता के फ़तिने का स्रोत कहां से है, दाइश, बोको हराम अलक़ायदा को आज कहां से सपोर्ट किया जा रहा है?

6.    तहरीफ़ किया हुआ क़ुरआन प्रकाशित करना जो सच्चे और सही क़ुरआन को बातिल बता सके, कि अगर ऐसा हो सके तो इस्लाम की सच्चाई पर प्रश्नचिन्ह लग जाएगा।

मोहम्मद बिन अब्दुल वह्हाब इस बात को स्वीकार करता है और यहीं से वहाबियत की गतिविधियां आरम्भ होती है।

इसके बाद के कार्यक्रम में हम अपनी इसी बात को आगे बढ़ाएं को और इन सारी चीज़ों का और भी गहराई से अध्ययन करेंगे।

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