इतिहास और सच्चाई से दूर धार्मिक भावनाओं का उपाहस करती हालीवुड फिल्म exodus gods and kings
इतिहास और सच्चाई से दूर धार्मिक भावनाओं का उपाहस करती हालीवुड फिल्म exodus gods and kings
सिनेमा के आरंभ से पैग़म्बरों की जीवनी पर ध्यान दिया जाता रहा है और धार्मिक पुस्तकों को आधार बनाकर उनके बारे में फिल्में भी बनाई गयी हैं परंतु इस बारे में जो फिल्में बनाई गयी हैं उनका लक्ष्य ग़ैर धार्मिक था और इस प्रकार की फिल्में धार्मिक विश्वासों के मज़बूत होने का कारण नहीं बनी हैं। उदाहरण स्वरूप “द टेन कमान्डमेन्टस” फिल्म की ओर संकेत किया जा सकता है। यह फिल्म हर चीज़ से अधिक राजनीतिक लक्ष्यों के मद्देनज़र बनाई गयी है और इस फिल्म में जायोनी शासन द्वारा फिलिस्तीनियों की भूमि के अतिग्रहण को सही सिद्ध करने का प्रयास किया गया है। इस फिल्म के बनने के समय फिलिस्तीन की अतिग्रहित भूमियों का औचित्य दर्शाने की आवश्यकता थी इसलिए हालीवुड ने ऐसी फिल्म बनाई जिसमें दावा किया गया है कि हज़रत मूसा यहूदी कौम के मुक्तिदाता थे और वे ईश्वरीय दूत थे जो यहूदी कौम को मिस्र से फिलिस्तीन लाये। फिल्म में हज़रत मूसा की जो तस्वीर पेश की गयी है वह एक ज़मीनी पहलवान की है न कि एक ईश्वरीय दूत की।
इस फिल्म में साफ तौर पर देखा जा सकता है कि हज़रत मूसा ईश्वरीय दायित्व के निर्वाह से अधिक वंचितों को मुक्ति दिलाने के प्रयास में हैं। इसी प्रकार वह सदैव अपने ईश्वरीय दायित्व के बारे में संदेह करते हैं और इस बारे में कभी उनका स्थिर दृष्टिकोण नहीं होता है। इसी प्रकार इस फिल्म में यह दिखाया जाता है कि जब वह जवान थे तो भोग विलास और एश्वर्यपूर्ण जीवन व्यतीत करते थे। सारांश यह कि इस फिल्म में हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम को ईश्वरीय दूत के बजाये एक सामान्य व्यक्ति के रूप में दर्शाया गया है। हालीवुड अब तक हज़रत ईसा मसीह और हज़रत नूह की जीवनी तथा हज़रत मूसा के नेतृत्व में बनी इस्राईल क़ौम के पलायन के बारे में कई फिल्में बना चुका है। इसी सिलसिले में उसने दो वर्षों के दौरान “ईश्वर का बेटा” और “नूह” नाम की फिल्मों का निर्माण किया है। नूह की फिल्म पर पिछले वर्ष इस्लामी देशों और मुसलमानों के मध्य काफी हंगामा हुआ था और कई देशों में इस फिल्म के दिखाये जाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। यहां तक कि कुछ ईसाईयों का भी मानना है कि इस फिल्म में हज़रत नूह का जो चित्रण किया गया है उसका आधार हेरा फेरी और परिवर्तित हो गयी इंजील के वर्णन के अनुसार नहीं है।
अभी हाल ही में पैग़म्बरों के जीवन के बारे में exodus gods and kings नाम की फिल्म प्रसारित की गयी है। इस फिल्म में मिस्र से हज़रत मूसा के निकलने और यहूदी कौम की मुक्ति के बारे में चर्चा की गयी है। इस फिल्म को रेडली स्काट ने बनाया है और इसमें यहूदियों एवं जायोनियों पर विशेष ध्यान दिया गया है।
रेडली स्काट्स ने exodus gods and kings फिल्म में हज़रत मूसा के नेतृत्व में यहूदी कौम के कूच के बारे में एक कहानी पेश की गयी है और उसमें मिस्र में दासता के काल को दिखाया गया है। उस समय हज़रत मूसा ने ६०० दासों के साथ रात में कूच किया। कहा जाता है कि इस फिल्म का आधार तौरात है परंतु जब यह फिल्म दिखाई गयी तो उस पर बहुत आपत्ति जताई गयी। उदाहरण स्वरूप मोरक्को में “एक्सडस” फिल्म पर यह कहकर प्रतिबंध लगा दिया गया कि इतिहास में हेरा फेरी के आधार पर इसे बनाया गया है। मोरक्को से पहले मिस्र और संयुक्त अरब इमारात में भी इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाया जा चुका था। इस फिल्म के विरोधी इसी प्रकार आपत्ति करते हैं कि इस फिल्म में क्यों उस चमत्कार को नहीं बयान किया गया है जिसमें नील नाम की नदी में रास्ता बन जाता है और हजरत मूसा और उनके अनुयाई फिरऔन तथा उसकी सेना के हाथ से बच जाते हैं और फिरऔन नील नदी में डूब कर मर जाता है। इस फिल्म पर दूसरी आपत्ति यह है कि “एक्सडस” फिल्म में यह दिखाया गया है कि पिरामिड के निर्माण में यहूदी शामिल थे। इसी संबंध में मिस्र के संस्कृति मंत्री जाबिर उसफूर ने कहा है कि गाड्स एंड किन्गस फिल्म में यह दिखाया गया है कि अबूलहौल और पिरामिड के निर्माण में यहूदियों की भूमिका है जो ग़लत है। क्योंकि अबूलहौल और पिरामिड का निर्माण लगभग २५४० वर्ष ईसा पूर्व और हज़रत इब्राहीम के पैदा होने से पहले हुआ था और जो यह दावा किया गया है कि पिरामिड के निर्माण में यहूदियों ने सहकारिता की है वह एतिहासिक वास्तविकता से पूर्णतः विरोधाभास रखती है। यह एक जायोनी फिल्म है और इसमें जायोनियों के विचारों व दृष्टिकोणों को बयान करने की भरपूर चेष्टा की गयी है और इसमें स्पष्ट इतिहासिक ग़लतियां हैं इसलिए हमने इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया।“
“गाड्स एण्ड किंग्स“ फिल्म में उन बातों में से किसी बात का उल्लेख नहीं किया गया है जिनमें यहूदी कौम पर प्रकोप व दंड की बात की गयी है। जैसेकि अगर फिल्म बनाने वाले तौरात से लिये गये नामों को परिवर्तित कर दें या अपनी फिल्म का नाम परिवर्तित कर दें तो यह भी संभव है कि कोई यह नहीं पहचान पायेगा कि इस फिल्म को तौरात की कहानी के आधार पर बनाया गया है।
कुछ धर्मशास्त्रियों का कहना है कि इस फिल्म का निर्माण करने वालों का दृष्टिकोण ग़ैर धार्मिक है इसलिए इस फिल्म में हज़रत मूसा के चमत्कार का उल्लेख नहीं किया गया है और यह विषय फिल्म से दर्शकों का विश्वास उठ जाने का कारण बना है। इस फिल्म पर आपत्ति करने वालों और विरोधियों के दृष्टिकोण इस बात के सूचक हैं कि फिल्म में धार्मिक एवं इतिहासिक स्रोतों से सही तरह से लाभ नहीं उठाया गया है जबकि फिल्म बनाने वालों के पास आर्थिक बजट व भौतिक संभावनाओं की कमी नहीं थी। इस फिल्म के एक आलोचक स्काट मेन्डेलसन का मानना है कि यह फिल्म एक मेलोड्रामा है और इसकी पटकथा में रोचक बिन्दुओं की अनदेखी कर दी गयी है जबिक अगर रोचक बिन्दुओं का उल्लेख किया गया होता तो फिल्म अच्छी होती।
इस फिल्म पर आपत्ति करने का एक कारण यह है कि इस फिल्म के मूल पात्रों के लिए गोरे लोगों का प्रयोग किया गया है। क्योंकि पूरी घटना मध्यपूर्व और उत्तरी अफ्रीक़ा में घटी है और इस फिल्म में जिन लोगों व नायकों से अभिनय कराया गया है कि वे किसी तरह मिस्र और मध्य पूर्व के लोगों से नहीं मिलते हैं।
हालीवुड के एक टीप्पणीकर्ता स्टोन फार्बर का मानना है कि रेडली स्काट इस फिल्म में अपनी समस्त योग्यताओं व क्षमताओं का प्रयोग करता है परंतु फिल्म की स्क्रिप्ट और फिल्म के कुछ पात्र उसकी शर्मिन्दगी का कारण हैं।
यहां इस बात का उल्लेख आवश्यक लगता है कि स्काट उन प्रश्नों का संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके हैं जो उनकी फिल्म के संबंध में किये गये हैं और अब भी उन पर आपत्ति की जा रही है। ७७ वर्षीय रेडली स्काट के बारे में प्रसिद्ध है कि वह ईश्वर पर विश्वास नहीं रखते है और इस प्रकार की कहानी के चयन के बारे में वह कहता है” मैं इससे पहले तक धार्मिक आदेशों पर कोई विशेष ध्यान नहीं देता था और कभी भी हज़रत मूसा के बारे में इतनी गहराई से नहीं सोचा था और वह कहां के थे और मैं लड़खड़ाते लड़खड़ाते मालूम कर रहा था कि इस व्यक्ति का किस प्रकार का व्यक्तित्व था वह कहां के रहने वाले थे मैं नहीं जानता था कि वह फिरऔन के विरोधी थे और मुझे यह तक ज्ञात नहीं था कि वे दोनों के किस सीमा तक एक दूसरे से निकट संबंध थे और वह दो सौतेले भाइयों की तरह थे या चचेरे भाई की तरह बड़े हुए थे”
उसने इस फिल्म को अपने भाई टोनी स्काट को भेंट की थी। उल्लेखनीय है कि उसके भाई टोनी स्काट ने वर्ष २०१२ में आत्म हत्या कर ली थी।
अंत में यह कहना चाहिये कि exodus gods and kings धार्मिक फिल्म नहीं है बल्कि धर्म का उपहास करने वाली फिल्म है। इस फिल्म में हज़रत इब्राहीम, हज़रत मूसा और हज़रत नूह जैसे ईश्वरीय दूतों को सामान्य व्यक्ति के रूप में दिखाया गया है जबकि यह सब के सब ईश्वरीय दूत थे और हालीवुड ने अपनी फिल्म के माध्यम से, लोगों के दिलों में इन ईश्वरीय दूतों के प्रति जो सम्मान है, उसे कम करने की भी कोशिश है और इसी प्रकार उसने जायोनी शासन द्वारा फिलिस्तीन की अतिग्रहित भूमियों का औचित्य दर्शाने की चेष्ट की है। दूसरे शब्दों में यह एक जायोनी फिल्म है जो फिलिस्तीन के अतिग्रहण का औचित्य दर्शाने के लिए बनाई गयी है और इसे जायोनी शासन की विस्तार वादी नीतियों के परिप्रेक्ष्य में देखा जाना चाहिये।
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