यमन पर सऊदी हमला, अमरीका को सीधा फ़ायदा
अमरीका अरब देशों को बड़ी मात्रा में हथियार बेच रहा है।
न्यूयॉर्क टाइम्ज़ ने एक रिपोर्ट में अमरीकी हथियार कंपनियों की ओर से मध्यपूर्व के अरब देशों को बड़ी मात्रा में हथियार बेचे जाने का उल्लेख किया है।
न्यूयॉर्क टाइम्ज़ ने क्षेत्र में अस्थिरता और युद्धों की ओर इशारा करते हुए लिखा कि सऊदी अरब यमन युद्ध में एफ़-15 युद्धक विमानों से बमबारी कर रहा है, संयुक्त अरब इमारात ने यमन और सीरिया पर बमबारी के लिए एफ़-16 युद्धक विमान उड़ाए हैं। इस बात की संभावना है कि संयुक्त अरब इमारात जल्दी ही क्षेत्र में जासूसी के लिए अमरीकी ड्रोन विमान ख़रीदने के समझौते पर दस्तख़त करेगा।
इस रिपोर्ट के अनुसार ऐसी स्थिति में जब क्षेत्र में प्रॉक्सी वार और सांप्रदायिक जंग तथा आतंकवादी गुटों से संघर्ष गहराता जा रहा है, जिन देशों ने अमरीकी हथियारों का भंडार बना रखा था अब उसे इस्तेमाल कर रहे हैं और साथ ही और हथियार ख़रीदने का ऑर्डर दे रहे हैं। इसके नतीजे में अमरीकी सैन्य उद्योग के ठेकेदारों को अमरीकी रक्षा मंत्रालय के बजट घाटे के दौर में छलांग लगाने का मौक़ा मिल गया है और क्षेत्र में हथियार की नई होड़ शुरु हो गयी है।
न्यूयॉर्क टाइम्ज़ ने लिखा कि पिछले हफ़्ते अमरीकी सैन्य उद्योग के अधिकारियों ने अमरीकी कांग्रेस को बताया कि उन्हें आशा है कि अगले कुछ दिनों में मध्यपूर्व की समस्या में शामिल सऊदी अरब, संयुक्त अरब इमारात, क़तर, बहरैन, जॉर्डन और मिस्र अपने हथियारों के भंडारों को भरने के लिए हज़ारों अमरीकी मीसाइलों, बमों और अन्य हथियारों की ख़रीदारी के लिए ऑर्डर देंगे।
पिछले साल सऊदी अरब ने सैन्य क्षेत्र में 80 अबर डॉलर ख़र्च किए जो फ़्रांस या ब्रिटेन के सैन्य ख़र्चे से ज़्यादा है। संयुक्त अरब इमारात ने भी 23 अरब डॉलर ख़र्च किए और क़तर जैसे छोटे देश ने पेन्टगॉन के साथ 11 अरब डॉलर मूल्य के अपाचे हेलीकाप्टर ख़रीदने के समझौते पर दस्तख़त किए हैं और वह एफ़-15 युद्धक विमान ख़रीदना चाहता है।
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