हज़रत फातेमा ज़हरा के जन्मदिवस के अवसर पर विशेष
हज़रत फातेमा ज़हरा के जन्मदिवस के अवसर पर विशेष
बसंत का मौसम है, चारों ओर हरियाली ही हरियाली है। आज २० जमादीस्सानी है आज वह दिन है जब पैग़म्बरे इस्लाम के घर में हज़रत फातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा का जन्म हुआ। उनके जन्म से पैग़म्बरे इस्लाम का घर ही नहीं बल्कि पूरा ब्रह्मांड प्रकाश से प्रज्वलित हो उठा। हज़रत फातेमा ज़हरा के बारे में पैग़म्बरे इस्लाम सल्लल्लाहो अलैहि व आलेहि व सल्लम ने फरमाया है कि फातेमा अपने बाप की बेटी है। फरिश्ते पंक्ति पंक्ति में खड़े हैं और वे पैग़म्बरे इस्लाम के स्वर्गरूपी घर में प्रवेश करने की प्रतीक्षा में हैं ताकि पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत मोहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम और हज़रत फातेमा की माता हज़रत खदीजा को बधाई पेश कर सकें। पैग़म्बरे इस्लाम का दिल खुशियों से भरा है। वे महान ईश्वर का आभार प्रकट कर रहे हैं कि उसने उन्हें ऐसी संतान प्रदान की है जिस पर पूरे ब्रह्मांड को गर्व है। इसी मध्य ईश्वर के विशेष दूत हज़रत जीब्राईल पवित्र कुरआन का सूरा कौसर लेकर उतरते हैं जिसका अनुवाद इस प्रकार है” बेशक हमने आपको कौसर प्रदान किया तो अपने पालनहार के लिए नमाज़ पढ़ो और कुर्बानी करो और बेशक तुम्हारा शत्रु निःसंतान है।“
हज़रत फातेमा ज़हरा पैग़म्बरे इस्लाम की एकमात्र सुपुत्री थीं जिनका लालन- पालन इस्लामी शिक्षाओं की छत्रछाया में हुआ वे ईमान, तक़वा अर्थात ईश्वरीय भय, ज्ञान और व्यवहार सहित समस्त ईश्वरीय विशेषताओं की प्रतिमूर्ति थीं। पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत फातेमा से अगाध प्रेम करते थे। उनके प्रेम का आधार ईश्वरीय प्रेम था।
पैग़म्बरे इस्लाम अद्वतीय महान ईश्वरीय हस्ती थे और उनका कथन और कर्म पवित्र कुरआन के सूरये नज्म की ३ और ४थी आयतों के अनुसार था। इस आधार पर हज़रत फातेमा ज़हरा के बारे में पैग़म्बरे इस्लाम के कथन को पैतृक आभास का परिणाम नहीं कहा जा सकता। पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत फातेमा ज़हरा से बहुत प्रेम करते थे। जब हज़रत फातेमा ज़हरा पैग़म्बरे से मिलने के लिए जाती थीं तो पैग़म्बरे इस्लाम अपने स्थान से उठकर कुछ क़दम उनकी ओर चल कर उनका स्वागत करते थे और उन्हें अपने स्थान पर बैठाते थे। पैग़म्बरे इस्लाम जब भी यात्रा से लौट कर आते थे तो सबसे पहले हज़रत फातेमा से मिलने के लिए जाते थे और जब यात्रा पर जाते थे तो सबसे अंत में हज़रत फातेमा से मिलने के लिए जाते थे। पैग़म्बरे इस्लाम जब घर में जाते थे तो हज़रत फातेमा ज़हरा के हाथों को चूमते थे। क्योंकि इटिहास में है कि जो हज़रत फातेमा का हाथ चूमता था हज़रत जीब्राईल उसके पैर के नीचे की धूल चूमते थे। अतः पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत फातेमा का जो सम्मान करते थे वह केवल बाप होने की वजह से नहीं था बल्कि वह हज़रत फातेमा को भलिभांति पहचानते थे। जब भी लोग पैग़म्बरे इस्लाम से इस कार्य का कारण पूछते थे तो उसके उत्तर में वे फरमाते थे कि मुझे फातेमा से स्वर्ग की सुगंध आती है। एक अन्य स्थान पर पैग़म्बरे इस्लाम फरमाते हैं” फातेमा मेरे प्रयास को परिणाम पर पहुंचायेगी, मैंने जो कठिनाइयां सहन की हैं उसे वह परिणाम पर पहुंचायेगी, वह मेरे धर्म के बाक़ी रहने का कारण है और वह मेरी परम्परा के सुरक्षित रहने का कारक है।“
हज़रत फातेमा ज़हरा में जो विशेषताएं प्रकट हुईं उन सबका स्रोत पैग़म्बरे इस्लाम की महान हस्ती थी और यही विशेषताएं हज़रत फातेमा की लोकप्रियता का कारण थीं। हज़रत फातेमा ज़हरा समस्त सदगुणों की प्रतिमूर्ति थीं। पैग़म्बरे इस्लाम ने फरमाया है” महिलाओं में से केवल मरियम, आसिया, ख़दीजा और फातेमा परिपूर्ण महिला हैं।“ पैग़म्बरे इस्लाम अपनी सुपुत्री हज़रत फातेमा ज़हरा को एक पूरिपूर्ण मनुष्य के रूप में देखते थे।
ईरान की इस्लामी व्यवस्था के संस्थापक स्वर्गीय इमाम ख़ुमैनी हज़रत फातेमा के महान व्यक्तित्व के बारे में कहते हैं” एक महिला के बारे में जितने आयामों की कल्पना की जा सकती है और इंसान के बारे में सोची जा सकती है वह सब के सब हज़रत फातेमा में प्रतिबिंबित थे। वह एक सामान्य महिला नहीं थीं। वह एक आध्यात्मिक महिला और समस्त अर्थों में एक इंसान, समस्त मानवता की प्रतिमूर्ति, महिला की समस्त वास्तविकता, समस्त इंसान की वास्तविकता थीं। वह एक साधारण महिला नहीं थीं। वह आध्यात्मिक महिला थीं जो इस दुनिया में इंसान के रूप में प्रकट हुई थीं बल्कि वह एक ईश्वरीय हस्ती थीं जो एक महिला के रूप में प्रकट हुई थीं”
हज़रत फातेमा ज़हरा सलामुल्लाह अलैहा के महान अस्तित्व में जो ईश्वरीय विशेषताएं थी वे इस बात का कारण बनी थीं कि पैग़म्बरे इस्लाम आपसे अगाध प्रेम करें। हज़रत फातेमा ज़हरा की एक विशेषता महान व सर्वसमर्थ ईश्वर और प्रलय के दिन पर पूर्ण विश्वास था जो उनके समूचे अस्तित्व में समाया हुआ था। पैग़म्बरे इस्लाम ने फरमाया है” मेरी बेटी फातेमा वह है जिसके दिल को ईश्वर ने ईमान व यक़ीन से भर दिया है”
यह ईमान महान ईश्वर की उपासना और प्रार्थना से उत्पन्न होता है। हज़रत फातेमा ज़हरा रातों को जाग कर महान ईश्वर की उपासना करती थीं। पैग़म्बरे इस्लाम इस बारे में कहते हैं” फातेमा इंसान के रूप में हूर हैं। वह जब उपासना के लिए ईश्वर के समक्ष खड़ी होती है तो उसका प्रकाश आसमान के फरिश्तों के लिए उस प्रकार चमकता है जैसे तारों का प्रकाश ज़मीन पर रहने वालों के लिए चमकता है और ईश्वर फरिश्तों से कहता है हे मेरे फरिश्तों मेरी बंदी फातेमा को देखो वह किस प्रकार मेरे सामने खड़ी है और उसके शरीर के अंग मेरे भय से कांप रहे हैं किस प्रकार उसका हृदय मेरी ओर केन्द्रित है तुम लोग गवाह रहना कि मैंने उसे और उसके चाहने वालों को नरक की आग से सुरक्षित कर दिया”
हज़रत फातेमा ज़हरा के पावन अस्तित्व में जो ईमान, तक़वा, सदाचारिता, त्याग, ज्ञान आदि भरा था उसके दृष्टिगत पैग़म्बरे इस्लाम ने हज़रत फातेमा ज़हरा को संबोधित करते हुए फरमाया कि हे फातेमा तुम विश्व की समस्त महिलाओं से श्रेष्ठ हो” इस पर हज़रत फातेमा ने कहा हे पिता तो हज़रत मरियम का स्थान कहा हैं? पैग़म्बरे इस्लाम ने फरमाया वह अपने समय की महिलाओं की सरदार हैं और तुम पूरे विश्व की महिलाओं के लिए सरदार हो”
पैग़म्बरे इस्लाम ने अपने स्वर्गवास के समय जब हज़रत फातेमा को बेचैन व व्याकुल देखा तो फरमाया” हे फातेमा! क्या तुम इस बात से प्रसन्न नहीं हो कि तुम विश्व की और मेरी उम्मत व क़ौम की समस्त महिलाओं और मोमिन महिलाओं के मध्य सबसे श्रेष्ठ हो?
पैग़म्बरे इस्लाम सदैव अच्छे से अच्छे ढंग से अपनी सुपुत्री फातेमा का परिचय कराते और इस प्रकार फरमाते थे” जो भी इस महिला को जानता है वह जानता है और जो उसे नहीं जानता है वह जान ले कि फातेमा मेरा टुकड़ा और मेरा दिल है इस आधार पर जिसने भी उसे कष्ट पहुंचाया उसने मुझे कष्ट पहुंचाया जिसने उसे प्रसन्न किया उसने मुझे प्रसन्न किया और जिसने मुझे प्रसन्न किया उसने ईश्वर को प्रसन्न किया”
इस बात में कोई संदेह नहीं है कि पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत फातेमा से बहुत प्रेम करते थे और पैग़म्बरे इस्लाम ने जगह जगह उन्हें पहचनवाया। दूसरे शब्दों में पैग़म्बरे इस्लाम ने जिस तरह से हज़रत फातेमा ज़हरा को पहचनवाया उससे भलिभांति स्पष्ट है कि हज़रत फातेमा से प्रेम करना ईश्वरीय दायित्व है और पैग़म्बरे इस्लाम ने इस वास्विकता की ओर लोगों का ध्यान दिलाने के लिए हज़रत फातेमा को पहचनवाने के लिए इतना प्रयास किया। एक दिन पैग़म्बरे इस्लाम हज़रत फातेमा के घर में गये। उन्हें, उनके पति हज़रत अली अलैहिस्सलाम और उनके दोनों बेटों इमाम हसन और इमाम हुसैन को अपने पास एकत्रित किया। उस समय फरिश्ता ईश्वरीय संदेश लेकर उतरा जिसमें महान ईश्वर कहता है” निःसंदेह ईश्वर ने हर प्रकार की अपवित्रता व गन्दगी से आप अहलेबैत को पवित्र किया और आप को उस तरह से पवित्र रखेगा जिस तरह से पवित्र रखने का हक़ है”
महान व सर्वसमर्थ ईश्वर ने पवित्र कुरआन के सूरे अहज़ाब की ३३वीं आयत उतार कर हज़रत फातेमा सहित पंजतन पाक की महानता स्पष्ट कर दी। पवित्र कुरआन की इस आयत के अनुसार समस्त लोगों के लिए यह स्पष्ट हो गया कि पैग़म्बरे इस्लाम और उनके निकट परिजन सत्य के चेराग़ हैं। जिस समय पवित्र कुरआन के सूरे अहज़ाब की ३३वीं आयत नाज़िल हुई पैग़म्बरे इस्लाम ने हज़रत अली और हज़रत फातेमा के कांधों पर हाथ रखा और आसमान की ओर मुंह करके कहा हे मेरे पालनहार! ये हमारे परिजन हैं तो तू हर प्रकार की गन्दगी एवं अपवित्रता को इनसे दूर रख और उन्हें पवित्र रख”
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