…तो इसलिये वहाबी देश सऊदी अरब ने यमन पर हमला किया है!!


यमन के विरुद्ध वहाबी विचारधारा के समर्थक और संस्थापक देश सऊदी अरब के हमले आज चौथे दिन भी जारी रहे। इन हमलों में अब तक मारे गए लोगों की संख्या 170 से अधिक हो गई है और दर्जनों लोग घायल हुए हैं। सऊदी अरब के नेतृत्व में बने गठबंधन के युद्धक विमानों ने राजधानी सनआ, उत्तरी नगर सअदा, दक्षिणी नगर मआरिब और अदन में बम्बारी की है। जवाब में यमन की सना और हथियारबंद जनसंगठनों ने पांचवां युद्धक विमान मार गिराया। गिरने वाला पांचवां विमान एक सूडानी पायलट चला रहा था जिसे गिरफ़तार कर लिया गया है। एक विमान अदन की खाड़ी में भी गिरा है जिसके दो पायलटों को अमरीकी समुद्री बेड़े ने बचाया है और सऊदी नरेश सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ ने अमरीकी राष्ट्रपति से फ़ोन पर बात करके आभार जताया है। इससे पहले भी कम से कम तीन विमान गिराए गए हैं जिनमें एक जासूसी विमान शामिल है।

इस बीच यमन की सेना और स्वयंसेवी बलों ने अबयन प्रांत के शक़रह शहर को पूर्ण रूप से नियंत्रण में ले लिया है जिसके बाद उनकी पहुंच अरब सागर तक हो गई है। ज्ञात रहे कि कुछ दक्षिणी क्षेत्रों में भगोड़े राष्ट्रपति मंसूर हादी के समर्थकों और अलक़ायदा के आतंकियों का नियंत्रण है। दक्षिणी शहर अदन में भी लड़ाई जारी है और यमन की सेना और स्वयंसेवी बल तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं। इस प्रगति को देखते हुए सऊदी अरब ने इस शहर में तैनात 86 कूटनयिकों को समुद्री मार्ग से बाहर निकाला है। इनमें कुछ अरब तथा अन्य देशों के कूटनयिक शामिल हैं। सऊदी अरब तथा कुछ अन्य देशों ने राजधानी सनआ में अपने दूतावास बंद करके अदन में दूतावास खोल लिए थे और इस नगर को पूरे यमन पर अपना नियंत्रण बहाल करने के लिए प्रयोग करना चाहते थे लेकिन जिसे तेज़ी से यमन की सेना और अन्य फ़ोर्सेज़ आगे बढ़ीं उसे देखते हुए सऊदी अरब कूटनयिकों को इस शहर से निकालने पर विवश हो गया।

दूसरी ओर मिस्र के शहर शरमुश्शैख़ में अरब देशों का शिखर सम्मेलन शुरू हो गया है। इस सम्मेलन में यमन की स्थिति की समीक्षा की जा रही है। सम्मेलन कुवैत नरेश शैख़ सबाह अलअहमद अलजाबिर अस्सबाह के भाषण से हुआ जिसमें उन्होंने अरब बसंत कहे जाने वाले जनान्दोलन की आलोचना करते हुए कहा कि इससे केवल अशांति और अस्थिरता बढ़ी है। इस सम्मेलन में अरब देशों की संयुक्त फ़ोर्स बनाए जाने के विषय की समीक्षा की जा रही है।

इस बीच हिज़्बुल्लाह लेबनान के महासचिव सैयद हसन नसरुल्लाह ने शुक्रवार की रात अपने भाषण में यमन की स्थिति और सऊदी अरब के अतिक्रमण की समीक्षा की। सैयद हसन नसरुल्लाह ने यमन की जनता पर सऊदी अरब के हमलों की कड़े शब्दों में निंदा करते हुए कहा कि सऊदी अरब ने इस अतिक्रमण के लिए जो तर्क पेश किए हैं सब निराधार हैं। सैयद हसन नसरुल्लाह ने कहा कि सऊदी अरब ने यमन की जनता के विरुद्ध तो तत्काल गठबंधन बना लिया और हमला भी शुरू कर दिया जबकि कभी भी फ़िलिस्तीन और लेबनान की रक्षा के लिए कोई क़दम नहीं उठाया। उन्होंने कहा कि यमन पर सऊदी अरब के हमले का कारण यह है कि तकफ़ीरी संगठनों के माध्यम से इस देश पर नियंत्रण स्थापित रखने में वह विफल हो गया और उसे यह दिखाई दे रहा है कि यमन अब इस देश की जनता के हाथ में चला गया है जो केवल राष्ट्रीय हितों के बारे में सोचेगी। सैयद हसन नसरुल्लाह ने यमन को नुक़सान पहुंचाने वाले सऊदी अरब के फ़ैसलों का उल्लेख करते हुए कहा कि सऊदी अरब के ही विरोध के कारण फ़ार्स खाड़ी सहयोग परिषद में यमन को सदस्यता नहीं मिली और इस देश पर कोई दशकों से जारी अपने वर्चस्व के बावजूद सऊदी अरब ने देश की जनता के लिए कोई काम नहीं किया और ग़रीबी दूर करने और विकास के लिए कोई क़दम नहीं उठाया बल्कि देश के उत्तरी क्षेत्र सअदा के विरुद्ध छह युद्धों में बढ़ चढ़ कर भाग लिया। उन्होंने कहा कि यमन की जनता को अपनी रक्षा की कार्यवाही का पूरा अधिकार है और निश्चित रूप से जनता को विजय प्राप्त होगी।

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