पैग़म्बरे अकरम पश्चिमी विद्वानों की नज़र में 2
पैग़म्बरे अकरम पश्चिमी विद्वानों की नज़र में 2
बुद्धिजीवी कहते हैं कि जिस तरह सूरज के असर से दिन वजूद में आता है उसी तरह समाज में ईश्वरीय दूत प्रकट होते हैं और उनकी चमक से वास्तविकताओं से पर्दा उठता है। दिन का उदय जीवन में उत्साह व जोश लाता है। बुद्धिजीवियों की नज़र में ईश्वरीय दूत भी समाजों में रचनात्मकता लाने और उसे प्रगतिशील बनाने तथा इंसान को सुधारने की भूमिका निभाते हैं। जिस तरह सूरज सौरमंडल के गृहों में परिवर्तन का स्रोत है, ईश्वरीय दूत भी इंसानों को संपूर्ण बनाने का केन्द्र समझे जाते हैं। यही कारण है कि अंतिम ईश्वरीय दूत पर ईश्वरीय संदेश वही का उतरना, मानव समाज में बहुत बड़े परिवर्तन और मनुष्य के बौद्धिक विकास का स्रोत बना। अंतिम ईश्वरीय दूत पैग़म्बरे इस्लाम सलल्ल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम की शिक्षाओं की छाव में अज्ञानता के काल के असभ्य लोगों के जीवन में परिवर्तन आया। पैग़म्बरे इस्लाम ने अरब की जनता का जो भौगोलिक व मानसिक दृष्टि से हिंसक व निर्दयी जनता थी, ऐसा प्रशिक्षण किया कि वह त्यागी व मेहरबान बन गयी।
इतिहास में आया है कि एक जंग में कुछ मुसलमान घायल हो गए जब एक मुसलमान वीर घायलों के लिए पानी लेकर आया तो हर एक पीने से मना करता था ताकि दूसरा साथी पी ले अंततः सभी घायल मुसलमान प्यासे शहीद हो गए। पैग़म्बरे इस्लाम की शिक्षाओं के प्रभाव में अरब जनता में शिक्षा की लहर शुरु हुयी और मुसलमान तत्कालीन युग के सभी ज्ञान में निपुण हो गए। धीरे धीरे स्कूल और शैक्षिक केन्द्र स्थापित होते गए। ईरान भी इस्लाम की उच्च शिक्षाओं के असर में उठ खड़ा हुआ। बाद में सलीबी युद्धों तथा इस्लामी सभ्यता के केन्द्र में विकसित ज्ञानों और विचारों से संपर्क के असर में यूरोप में ज्ञान की किरण फूटी। इस बात में शक नहीं कि इस वैज्ञानिक प्रगति का स्रोत पवित्र क़ुरआन और पैग़म्बरे इस्लाम की शिक्षाएं थीं।
जब आप इतिहास को पढ़ेंगे तो उसमें ऐसी बहुत सी घटनाएं आपको मिलेंगी जो पैग़म्बरे इस्लाम के ख़िलाफ़ थीं। कुछ ऐसे लोग थे जिन्होंने नैतिकता व तर्क का दामन छोड़ते हुए पैग़म्बरे इस्लाम का मखौल उड़ाने और उनका अपमान करने की कोशिश की ताकि इस प्रकार अपने विचार में ईश्वरीय धर्म के प्रभाव को रोक सकें। इस प्रकार के लोगों के मुक़ाबले में ऐसे लोग भी मिलते हैं जो तर्क के समर्थक हैं। वे पूरे शिष्टाचार के साथ मानव समाज के सच्चे व मेहरबान प्रशिक्षक पैग़म्बरे इस्लाम का सम्मान करते हैं। ये लोग ग़ैर मुसलमान हैं किन्तु उन्होंने किसी पूर्वाग्रह व लालच के बिना पैग़म्बरे इस्लाम की सही छवि को पश्चिम के सामने पेश किया है। दुनिया में इस्लाम के फैलने और ईश्वरीय आयतों के गहरे प्रभाव, हर विचारक को पैग़म्बरे इस्लाम के व्यक्तित्व का सम्मान करने पर मजबूर कर देते हैं।
पश्चिम के ईसाई इतिहासकार आर एफ़ बूडली, पश्चिमवासियों की ओर से पैग़म्बरे इस्लाम और क़ुरआन पर लगाए गए आरोपों से बहुत आहत हुए और उन्होंने एक किताब लिखी जिसका शीर्षक है, ‘मोहम्मद का जीवन’
इस किताब में वह लिखते हैं, “कितनी अजीब बात मैं देख रहा हूं कि दुनिया के लोग मोहम्मद सल्लल लाहो अलैहि व आलेही व सल्लम के बारे में कितनी भ्रान्ति पैदा कर रहे हैं। हालांकि मोहम्मद(स) की ज़िन्दगी बहुत ही सादा और स्पष्ट है। मैं ने मोहम्मद(स) के जीवन के बारे में और उनके ख़िलाफ़ एक किताब पढ़ी। लेखक ने इस बात का जवाब दिए बिना कि किस प्रकार ऐसा व्यक्ति, मानव जाति के लिए प्रगतिशील क़ानून पेश कर सका, अपनी किताब के बहुत से पेज निरर्थक व अतार्किक बातों से भरे हैं। उन्होंने कैसे ऐसे लोगों का प्रशिक्षण किया जिन्होंने बहुत कम समय में इस्लाम पर आधारित महासभ्यता की आधारशिला रखी और बड़े बड़े राष्ट्र उससे जुड़ गए?”
बूडली आगे लिखते हैं, “मरूस्थल में रहने वाले अरबों को कर्त्वय परायण बनाना मोहम्मद का एक बड़े कारनामा है। यह कहना ग़लत न होगा कि उनका यह काम बड़े बड़े चमत्कारों की बराबरी करता है। उन्होंने सभी क़बीलों के बीच एकता स्थापित की। मनुष्य मोहम्मद के जीवन में विचार विमर्श करने से उनकी युक्ति से आश्चर्य में पड़ जाता है और उसे मोहम्मद अमर दिखाई देते हैं।”
ब्रिटेन के ईसाई बुद्धिजीवी टॉमस कारलाइल का भी यह मानना है कि जो लोग पैग़म्बरे इस्लाम के अपमान की कोशिश करते हैं इसका कारण उनका कमज़ोर तर्क है। वह कहते हैं, “आज के सभ्य इंसान के लिए यह बहुत बड़ा ऐब है कि वह उस व्यक्ति की बात पर ध्यान दे जो यह दावा करे कि मोहम्मद धोखेबाज़ थे। अब समय आ गया है कि इस प्रकार की खोखली व लज्जाजनक बातों का मुक़ाबला किया जाए। क्योंकि इस ईश्वरीय दूत द्वारा पेश किए गए नियमों की प्रासंगिकता शताब्दियों से बाक़ी है। मेरे भाइयो! क्या आपने ऐसे किसी झूठे व्यक्ति को देखा जो ऐसा व्यापक धर्म पेश कर सके और उसे दुनिया में फैला सके? ईश्वर की सौगंद ये आरोप अविश्वस्नीय हैं। क्योंकि एक मूर्ख व्यक्ति एक घर नहीं बना सकता तो कैसे यह मुमकिन है वह इस्लाम जैसे नियम को मानव समाज के लिए पेश कर सके?” टॉमस कारलाइल आगे कहते हैं, “यह महा दुर्दशा है कि विश्व के राष्ट्र बिना सोचे समझे इस प्रकार के आरोप को बड़ी सादगी से मान लें। मैं कहता हूं कि असंभव है कि इस महान व्यक्ति ने वास्तविकता से हट के कोई बात कही हो। उनकी जीवनी से पता चलता है कि वह युवावस्था में भी बुद्धिमान व विचारक थे। मोहम्मद का जीवन और उनके जीवन का हर काम सच्चाई पर आधारित है। आप उनकी बातों पर ध्यान दें क्या आपको उसमें चमत्कार नहीं दिखाई देता? यह व्यक्ति सृष्टि के अनन्य स्रोत से संदेश लाया है जो हम इंसानों के लिए है। ईश्वर ने इस महान व्यक्ति को ज्ञान और तत्वदर्शिता सिखायी है।”
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