वाह रे अदालत, शांतिपूर्ण प्रदर्शनकारियों को दस दस साल की सज़ा

बहरैन में एक अदालत ने आले ख़लीफ़ा शासन के ख़िलाफ़ शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने के आरोप में 7 कार्यकर्ताओं को 10-10 साल की क़ैद की सज़ा सुनायी है। सज़ा पाने वालों में एक नाबालिग़ भी है।

बहरैन के मुख्य विपक्षी दल अलवेफ़ाक़ के अनुसार बहरैन के अपराध न्यायालय ने शनिवार को 7 कार्यकर्ताओं को 10-10 साल और एक नाबालिग़ को 3 साल के क़ैद की सज़ा सुनायी है।

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बहरैन के महान्यायवादी ने कहा कि ये आठ लोग मार्च में एक प्रदर्शन के दौरान एक पुलिस अधिकारी पर हमले के दोषी ठहराए गए हैं। उस हमले में पुलिस अधिकारी घायल हुआ था और सुरक्षा बलों का एक वाहन ध्वस्त हो गया था।

बहरैन के अपराध न्यायालय के अनुसार, इन कार्यकर्ताओं ने राजधानी मनामा के उपनगरीय इलाक़े बिलाद अलक़दीम में हुए प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों पर पेट्रोल बम और पत्थर फेंके थे जो आतंकवादी कृत्य करने जैसा है।

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ज्ञात रहे बहरैन में अदालत ने 200 से ज़्यादा कार्यकर्ताओं को आतंकवादी गतिविधियों और राष्ट्रीय सुरक्षा के ख़िलाफ़ काम करने के आरोप में लंबी अवधि के क़ैद की सज़ा दी है। बहरैन में मध्य फ़रवरी 2011 से शुरु होने वाली जनक्रान्ति के समय से अब तक कम से कम 70 कार्यकर्ताओं को उम्र क़ैद की सज़ा दी जा चुकी है।

ह्यूमन राइट्स वॉच की हालिया रिपोर्ट के अनुसार बहरैनी अदालत इस देश में दमन को बाक़ी रखने के लिए और सक्रिय हो गयी है।

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सत्ताधारी आले ख़लीफ़ा शासन ने बहरैन में 2011 से शुरु हुयी सरकार विरोधी शांतिपूर्ण क्रान्ति को बुरी तरह कुचलना शुरु कर दिया है।

फ़ार्स खाड़ी के इस छोटे से देश में दिसंबर में अलवेफ़ाक़ पार्टी के महासचिव शैख़ अली सलमान की गिरफ़्तारी के बाद प्रदर्शनों में तेज़ी आ गयी है।

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