पैगम़्बरे इस्लाम और इमाम सादिक़ के जन्मदिवस पर शुभकामनाएं + संबंधित लेख
मक्के की गलियों में एक अलग प्रकार की सुगंध फैली हुई थी, सुबह की ठंडी हवा खजूर के पेड़ों से होतो हुए शुभ सूचना दे रही थी, अत्याचर के महलों के कंगूरे गिर गए थे, कुफ़्र के दरिया सूख चुके थे, अनेकेश्वरवाद की आग ठंडी पड़ चुकी थी, कि अचानक इस्लाम ने नये मेहमान के लिये अपनी गोद फैला दी, हर तरफ़ आवाज़ गूंजी, मोहम्मद आ गये, मोहब्बत के पैग़म्बर दुनिया में तुम्हारा स्वागत है।
हे सृष्टि की बहार, सृष्टि के कारण, हे सुल्ह और दोस्ती के पैगम़्बर तम्हारा स्वागत है।
कुछ सालों के बाद यहीं मक्का इसी तारीख़ को पैग़म्बर के पौत्र इमाम सादिक़ का स्वागत कर रहा था और कह रहा था, हे ज्ञान और इल्म के ईश्वर, हे संसार को दोस्ती का पाठ पढ़ाने वाले तुम्हारा स्वागत है।
पैग़म्बरे इस्लाम की सीरत के कुछ नमूने
पैग़म्बर की पवित्र सीरत की कुछ झलकियां
पैग़म्बर के मुंह से निकलने वाले अन्तिम शब्द
17 रबीउल अव्वल पैग़म्बरे इस्लाम और इमाम सादिक़ का जन्मदिवस
इमाम सादिक़ (अ) और अबू हनीफ़ा का मुनाज़ेरा
पैग़म्बरे इस्लाम का व्यक्तित्व ग़ैर मुस्लिम विद्वानों की निगाह में
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