17 रबीउल अव्वल पैग़म्बरे इस्लाम और इमाम सादिक़ का जन्मदिवस

17 रबीउल अव्वल पैग़म्बरे इस्लाम और इमाम सादिक़ का जन्मदिवस

सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

17 रबीउल अव्वल के दिन इस संसार की सबसे महान हस्ती और ईश्वर का सबसे प्रिय बंदा, हज़रत मोहम्मद मुस्तफ़ा (स) ने आँखें खोली और अपने पवित्र वजूद से इस संसार को प्रकाशमयी कर दिया।

वह पैग़म्बर जिसको ईश्वर ने शाहिद, मुबश्शिर, नज़ीर जैसे शब्दों से याद किया और उसकी प्रशंसा की, और उसकी शान में फ़रमायाः و ما ارسلناك الا رحمة للعالمين वह रहमत का नबी और मेहरबानी का दरिया और सुन्दरता का रूप था, वह पैग़म्बर जिसपर मक्के का कफ़िरों ने पत्थर बरसाए, जिसपर राख डाली और उनकी शान में गुस्ताख़ियां की लेकिन उस महान नबी ने लोगों के श्राप देने के बजाए उनकी लिये प्रार्थना की, उनकी हस्ती की ही भाति उनका दीन भी रहमत, उदारता, दयालुता और प्रेम का धर्म है।

आपकी फज़ीलतों को गिना जा समझा नहीं जा सकता है, आप इस संसार की वह हस्ती हैं जिन्होंने ईश्वर को सारे संसार में सबसे पहले स्वीकार किया बल्कि जब इस संसार की कोई चीज़ नहीं थी तब ही आपने ईश्वर को स्वीकार किया था।

आप इतनी अधिक उपासना करते थे कि आपके पवित्र पैरों में सूजन आ जाती थी, जाबिर बिन अब्दुल्लाह कहते हैं: जब भी किसी ने आपसे किसी चीज़ को चाहा आपने कभी भी उसको मना नहीं किया।

हद तो यह है कि आपके शत्रु आफको अमानतदार के तौर पर पहचानते थे यहां तक कि आप अमीन के नाम से शत्रुओं के बीच प्रसिद्ध थे और यहीं शत्रु आपकी सत्यता का पाठ पढ़ते थे और आप को सादिक़ कहा करते थे, आप अधिकतर ख़ामोश रहा करते थे और जहां पर बोलना आवश्यक न हो वहां बोलने से बचते थे, आपकी हंसी मुस्कान थी, प्रसन्ता या क्रोध के समय भी केवल सही बात ही किया करते थे, जब कोई आपके पास आता था तो आप तब तक नहीं उठते थे जब तक वह न उठ जाए।

एक तरफ़ जहां 17 रबीउल अव्वल का दिन इसलिये महान है कि इस दिन पैगम़्बर की विलादत हुई दूसरी तरफ़ इस दिन की महानता में चार चाँद इमाम सादिक़ (अ) की विलादत ने लगा दिये, वह इमाम सादिक़ जो ज्ञान का दरिया थे और आपकी पवित्र ज़बान से पैग़म्बर की हदीसें और ज्ञान हम तक पहुँचा है, इसी प्रकार आपने पैग़म्बर की जीवनी के बारे में बहुत सी चीज़ें हमको बताई हैं आप फ़रमाते हैं: पैग़म्बर अपने समय को अपने सहाबियों को बीच बांटते थे और सभी को बराबर की निगाह से देखा करते थे, आप कभी भी अपने पैरों को सहाबियों और अनुयायियों को बीच नहीं फैलाया करते थे, और अगर कोई आपसे हाथ मिलाता तो आप उसका हाथ तब तक नहीं छोड़ते थे जब तक कि वह स्वंय आपका हाथ न छोड़ दे।

पैग़म्बरे इस्लाम (स) का संसारिक जीवन

हम किस प्रकार उस हस्ती के बारे में और उसकी महानता के बारे में कुछ बोल सकते हैं जिस को मेराज पर ले जाकर ईश्वर ने स्वंय अपनी प्रशंसा की है और फ़रमाया हैः

« سبحان الذي اسري بعبده ليلا من المسجد الحرام الي المسجد الاقصي»

आज जहां आपके जन्मदिवस के अवसर पर जश्न मनाना ज़रूरी है वही जो कुछ सबसे आवश्यक है वह यह है कि हम आपको दिखाए हुए रास्ते को पहचाने और उस पर चलने का प्रयत्न करे, (देखें पैग़म्बर के मुंह से निकलने वाले अन्तिम शब्द) क्योंकि यहीं दुनिया का एकमात्र सही रास्ता है जिसपर चल कर इस संसार को स्वर्ग बनाया जा सकता है इसीलिये और आपके सामने पैग़म्बर के मार्गदर्शक कथनों में से कुछ को पेश कर रहे हैं (पैगम़्बरे इस्लाम के मार्गदर्शक) जिनको आपने हज़रत अबूज़र से फ़रमाया था

आप फ़रमाते हैं

يا اباذر ، أعبدالله كأنك تراه فإن كنت لا تراه فإنه يراك

हे अबाज़र ईश्वर की उपासना करो इस प्रकार कि जैसे उसको देख रहे हो, अगर तुम उसको नहीं देख रहे हो तो निसंदेह वह तुमको देख रहा है

يا اباذر ،اغتنم خمساً قبل خمس: شبابك قبل هرمك ، و صحّتك قبل سقمك ، و غناك قبل فقرك و فراغك قبل شغلك ، و حياتك قبل موتك.

हे अबाज़र पाँच चीज़ों को पाँच चीज़ों से पहले ग़नीमत समझोः अपनी जवानी को बुढ़ापे से पहले, स्वास्थ को अपनी बीमारी से पहले, और सम्पन्नता को ग़रीबी से पहले, और फ़राग़त को मशग़ूली से पहले, और अपने जीवन को मौत से पहले।

يا اباذر ، لا تنظر إلي صغر الخطيئة و لكن انظر إلي من عصيت.

हे अबाज़र पाप के छोटेपन को न देखों बल्कि यह देखों कि किसके आदेशों की अवहेलना कर रहे हो (आप बताना चाहते हैं कि कोई भी पाप छोटा नहीं है)

يا اباذر ، من لم يأت يوم القيامة بثلاث فقد خسر ، قلت : و ما الثلاث فداك أبي و امي ؟ قال ورع يحجزه عمّا حرّم الله عزّوجّل عليه ، و حلم يردّ به جهل السفيه ، و خلق يداري به الناس.

हे अबाज़र जो भी क़यामत के दिन तीन चीज़ों को लेकर न आए वह हानि उठाएगा। अबूज़र कहते हैं मैंने कहा वह तीन चीज़ें क्या हैं? मेरे माता पिता आप पर क़ुरबान, आपने फ़रमाया वह वरअ जो इन्सान को उन चीज़ों से रोके जिनको ईश्वर ने हराम किया है, और वह हिल्म (धैर्य) जिससे नादान का उत्तर दे, और वह व्यवहार जिससे लोगों के साथ उदारता दिखाए।

طوبي لمن عمل بعلمه و أنفق الفضل من ماله ، و أمسك الفضل من قوله.

सौभाग्य है उस व्यक्ति के लिये जो अपने ज्ञान का पालन करे, और माल की ज़्यादती को लोगों में बांट दे, और बोलने में अधिकता से बचे।

आज इस महान पैग़म्बर और उनके पौत्र के जन्मदिवस के अवसर पर हम सारे मुसलमानों को हार्दिक बधाई देते हैं और कामना करते हैं कि ईश्वर हमको आपके दिखाए हुए रास्ते पर चलने की तौफ़ीक़ अता करे।

(आयतुल्लाह वहीद ख़ुरासानी की उसूले दीन के मुक़द्दमें से लिया गया)

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