सऊदी अरब के सरकारी मुफ़्ती का फ़तवा, जश्ने मीलादुन्नबी बिदअत है!
एक तरफ़ जहां अरब देशों में नये साल के आरम्भ को बहुत ही जोश साथ मनाया जाता है और देश के अधिकारी एक दूसरे को बधाई संदेश देते हैं, और इन जश्नों पर लाखों करोड़ों ख़र्च किया जाता है, लेकिन दूसरी तरफ़ वहाबी मुफ़्ती और अरब देशों के कुछ अधिकारी “जश्ने मीलादुन्नबी” को बिदअत बता रहे हैं।
सऊदी अरब के सरकारी मुफ़्ती ने आतकंवादी संगठन ISIS की भाति ही जश्ने मीलादुन्नबी को बिदअत बताया है और कहां है कि इस संबंध में किसी प्रकार का जश्न नहीं मनाना चाहिए।
सऊदी समाचार पत्र अलशर्क़ ने नमाज़े जुमा के ख़ुत्बे में “अब्दुल अज़ीज़ आले शेख़” की तरफ़ से लिखाः जन्मदिवस और इस प्रकार की चीज़ों को मनाना बिदअत है, और जश्ने मीलादुन्नबी मनाना बिदअत है।
सऊदी मुफ़्ती ने इसका कारण बताते हुए कहा कि यह चीज़ें पैग़म्बर के ज़माने में नहीं पाई जाती थीं।
मस्जिदुन्नबी के ख़तीब “हुसैन आले शेख़” ने भी इसी प्रकार बोलते हुए कहा कि जश्ने मीलादुन्नबी मनाना बिदअत और शिर्क है।
इन वहाबी मुफ़्तियों का यह फ़तवा उस समय आया है कि जब यहीं लोग क्रिसमस और नये साल पर पश्चिमी दुनिया और ईसाईयों को बधाईं संदेश दे रहे हैं और दूसरी तरफ़ मीलादुन्नबी जो मुसलमानों का सबसे बड़ा त्योहार है उसको बिदअत बता रहे हैं।
हमारा प्रश्न यह है कि यह मुसलमान मुफ़्ती है जा पश्चिमी एजेंट? क्योंकि कोई मुसलमान तो इस प्रकार की बात कभी नहीं कह सकता है।
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