बहरैनः आले ख़लीफ़ा सरकार ने मोहर्रम के अवसर पर ख़तीबों को दिया अल्टीमेटम
टीवी शिया शिया न्यूज़ से प्राप्त समाचार के अनुसार बहरैन के न्यायमंत्री और वक़्फ़ एवं इस्लामिक मामलों के मंत्री ख़ालिद बिन अली आले ख़लीफ़ा ने मोहर्रम की मजलिस के विषय पर बोला।
उन्होने इस बारे में कहाः धार्मिक मजलिसों के बारे में हमारा दृष्टिकोण बिलकुल साफ़ है, धार्मिक मिमबरों के राजनीतिक लाभ के लिये प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए और इस बारे में वक़्फ़ मंत्रालय के आवश्यक निर्देश दिये जा चुके हैं, धार्मिक मिमबरों का राजनीतिक लाभ के लिये प्रयोग यह वह चीज़ है जो बहुत से देशों में दिखाई देता है।
ख़ालिद बिन अली ने इस बात की तरफ़ इशारा करते हुए कि इससे पहले तीन ख़तीबों ने मिमबरों को राजनीतिक लाभ के लिये प्रयोग किया था और वह गिरफ़्तार हो चुके हैं कहाः इस प्रकार के ख़तीबों पर क़ानूनी कार्यवाही की जाएगी।
उसके बाद उन्होंने इस बात की तरफ़ इशारा करते हुए कि संभव है कि कुछ लोग मोहर्रम और आशूरा की मजलिसों से राजनीतिक लाभ उठाने की कोशिश करें, कहाः आशूरा एक धार्मिक पर्व है जो सम्मानीय है और इस धार्मिक पर्व को राजनीति से दूर रहना चाहिए। ख़ालिद ने कहा मैं यह इसलिये कह रहा हूँ ताकि इस पर्व का सम्मान बाक़ी रहे।
उन्होंने कहा अगरचे इस प्रकार के कार्य पहले भी हुए हैं और हमने अपनी पूरी शक्ति से उसका दमन किया है।
स्पष्ट रहे कि बहरैन के न्याय एवं वक़्फ़ मंत्री ने शायद कभी भी कर्बला और आशूरा के इतिहास को नही पढ़ा है वरना वह यह कभी न कहते के मोहर्रम और मजलिसों को राजनीतिक कार्यों में दख़न नहीं देना चाहिए, क्योंकि अगर यह सही होता तो इमाम हुसैन कभी भी यज़ीद के विरुद्ध खड़े न होते क्योंकि यह भी एक राजनीतिक कार्य था, लेकिन अगर उस ज़माने में इमाम हुसैन ने यह राजनीतिक कार्य न किया होता तो आज इस्लाम नाम का धर्म बाक़ी न रहता।
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