जो चाहो पाप करो

जो चाहो पाप करो

सकीना बानो अलवी

قال الامام الحسن بن علیّ علیهما السلام:

اَنَّهُ جاءَهُ رَجُلٌ وَ قالَ اَنَا رَجُلٌ عاصٍ وَ لا صَبرَ لی عَن (عَلَی) المَعصِیَةِ فَعِظنی بِمَوعِظَةٍ

فَقالَ (ع). اِفعَل خَمسَةَ اَشیاءَ وَ اذنِب ماشِئتَ، لاتَأکُل رِزقَ اللهِ وَ اذنِب ما شِئتَ وَ اطلُب مَوضِعاً لایَراکَ اللهُ وَ اذنِب ما شِئتَ، وَ اخرُج مِن وِلایَةِ اللهِ وَ اذنِب ما شِئتَ، وَ اِذاجاءَکَ مَلَکُ الموتِ لِیَقبِضَ روُحَکَ فَادفَعهُ عَن نَفسِکَ وَ اذنِب ما شِئتَ، وَ اِذا اَدخَلَکَ مالِکٌ النّارَ فَلا تَدخُل فِی النّارُ وَاذنِب ماشَئتَ.

एक आदमी इमाम हसन (अ) की ख़िदमत में आया और कहने लगाः मैं पापी हूँ और मुझे पापों से दूर रहने पर कंट्रोल नहीं है (मैं गुनाह छोड़ने की शक्ति नहीं रखता हूँ आप मुझे नसीहत करें ताकि मैं गुनाह छोड़ सकूँ)

तो आपने फ़रमायाः

पाँच कार्य करों उसके बाद जो चाहे गुनाह करोः

1.    ईश्वर की दी हुई रोज़ी को न खाओ उसके बाद जो चाहों पाप करो।

2.    (पाप के समय) एसा स्थान चुनो जहां ईश्वर तुमको न देख सके उसके बाद जो चाहों पाप करो।

3.    ईश्वर की शक्ति और संसार से बाहर चले जाओ उसके बाद जो चाहो पाप करो

4.    जब यमदूत तुम्हारी आत्मा को ले जाने के लिये आए (न मरने के लिये) उसको अपने से दूर कर दो फिर जो चाहो पाप करो।

5.    जब मालिक (नर्क का दरबान) तुमको नर्क में डाले तो (अगर शक्ति रखते हो तो) नर्क में न जाओ उसके बाद जो चाहो पाप करो

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(इसना अशरिया, पेज 112)

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