इमाम हसन अलैहिस्सलाम के कथन भाग 1

Islam1513. کلمات حکیمانه، عارفانه و اخلاقی امام حسن مجتبی علیه السلام: قسمت اول

इमाम हसन अलैहिस्सलाम के कथन भाग 1

अनुवादकः सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

بسم الله الرحمن الرحیم

1. قال الامام حسن المجتبی علیه السلام:

ما تَشاوَرَ قَومٌ إِلاّ هُدوا إِلى رُشدِهِم.

इमाम हसन (अ)  ने फ़रमायाः

किसी भी क़ौम ने आपस में सलाह मशविरा नहीं किया मगर यह कि सही रास्ते को पा लिया।

(तोहफ़ुल उक़ूल, पेज 236)

2. قال الامام حسن المجتبی علیه السلام:

اللؤم أن لا تشكر النعمة.

इमाम हसन (अ)  ने फ़रमायाः

पस्ती यह है कि तुम नेतम का शुक्र न करो।

(तोहफ़ुल उक़ूल, पेज 236)

3. قال الامام حسن المجتبی علیه السلام:

أَلْقَریبُ مَنْ قَرَّبَتْهُ الْمَوَدَّةُ وَ إِنْ بَعُدَ نَسَبُهُ، وَ الْبَعیدُ مَنْ باعَدَتْهُ المَوَدَّةُ وَ إِنْ قَرُبَ نَسَبُهُ. لا شیء أقرب من ید إلی جسد، و إنّ الید تفلّ فتقطع و تحسم.

इमाम हसन (अ)  ने फ़रमायाः

क़रीब वह है जिसको उसकी मोहब्बत ने क़रीब कर दिया हो चाहे वंश में वह दूर का हो, और दूर वह है जो दोस्ती और मोहब्बत से दूर हो चाहे वंश में क़रीब ही क्यों न हो, कोई भी चीज़ शरीर से हाथ से अधिक क़रीब नहीं है, लेकिन जब हाथ टूट और ख़राब हो जाता है तो उसको काट कर अलग कर दिया जाता है।

(तोहफ़ुल उक़ूल, पेज 236)

4. قال الامام حسن المجتبی علیه السلام:

مَنْ أَدامَ الاِخْتِلافَ إِلَى الْمَسْجِدِ أَصابَ إِحْدى ثَمان:

آیةً مُحْكَمَةً وَ أَخًا مُسْتَفادًا وَ عِلْمًا مُسْتَطْرَفًا وَ رَحْمَةً مُنْتَظِرَةً وَ كَلِمَةً تَدُلُّهُ عَلَى الهُدى أَوْ تَرُدُّهُ عَنْ رَدًى وَ تَرْكَ الذُّنُوبِ حَیاءً أَوْ خَشْیةً.

इमाम हसन (अ)  ने फ़रमायाः

जो भी लगातार मस्जिद जाता है वह इन आठ फ़ायदों में से एक को अवश्य पाता हैः

1.    मोहकम आयते (ईश्वरीय आयतों को समझता है)

2.    फ़ायदेमंद दोस्त,

3.    नया ज्ञान,

4.    प्रतीक्षित कृपा और रहमत,

5.    ऐसी बात जो उसको सीधे रास्ते पर ला दे,

6.    या ऐसी बात जो उसको पस्ती से बचा ले,

7.    और पापों का छोड़ना ईश्वर से शर्म करते हुए,

8.    या पाप का छोड़ना ईश्वर से डर के कारण

(तोहफ़ुल उक़ूल, पेज 238)

5. قال الامام حسن المجتبی علیه السلام:

اذا لقی احدکم اخاه فلیقبل موضع النوّر من جبهته.

इमाम हसन (अ)  ने फ़रमायाः

जब इन्सान अपने मोमिन भाई से भेंट करता है, तो उसको उसका माभा और सजदे के स्थान को चूमना चाहिये।

(तोहफ़ुल उक़ूल, पेज 239)

6. قال الامام حسن المجتبی علیه السلام لِبَعْضِ وُلْدِهِ:

«یا بُنَیَّ لا تُواخِ اَحَدًا حَتّی تَعْرِفَ مَوارِدَهُ وَ مَصادِرَهُ فَإِذَا اسْتَنْبطْتَ الْخُبْرَةَ وَ رَضیتَ الْعِشْرَةَ فَآخِهِ عَلی إِقالَة الْعَثْرَة وَ الْمُواساة فِی الْعُسْرَة».

इमाम हसन (अ) अपने एक बेटे से फ़रमाया-

हे प्यारे बेटे! किसी से भी दोस्ती न करो अलग यह कि उसके बारे में जान लो कि कहां कहां जाता है, और जब उसके बारे में अच्छे से जान लो और उसकी बैठक को पसंद करो दो उससे दोस्ती करो इस शर्त के साथ कि आखें बंद करके मेलजोल करना कठिनाईयों की बैठक और फिसलने का स्थान है।

(बिहारुल अनवार, जिल्द 75, पेज 105)

7. قال الامام حسن المجتبی علیه السلام:

أَكْيَسُ الْكِيسِ التَّقِيُّ وَأَحْمَقُ الْحُمْقِ الْفَجُورُ.

इमाम हसन (अ)  ने फ़रमायाः

सबसे चालाक और होशिया इन्सान मुत्तक़ी और परहेज़गार होता है और सबसे बेवक़ूफ़ वह है जो पाप करने वाला हो।

(कश्फ़ुलग़ुम्मा, जिल्द 1, पेज 571)

8.    قال الامام حسن المجتبی علیه السلام:

هِلاکُ الناسِ فی ثَلاثٍ؛ الکِبرُ و الحِرصُ و الحَسَد،

فَالکِبرُ هِلاک الدینِ ، و مِنهُ لُعِن اِبلیسُ،

وَ الحِرصُ عَدُّو النَّفسِ وَ مِنهُ خُرِجَ آدمُ مِنَ الجَنَّةِ،

و الحَسَدُ رائِدُ الجَزَعِ وَ مِنهُ قَتَلَ قابیلُ هابیلَ.

इमाम हसन (अ)  ने फ़रमायाः

लोगों की हलाकत (बरबादी) तीन चीज़ों में हैः घमंड, लालच और हसद (ईर्ष्या)

तो घंमंड धर्म को बरबाद करने वाला है और इसी के कारण शैतान लानती हुआ।

और लालच नफ़्स (आत्मा) की शत्रु है और इसी कारण हज़रत आदम स्वर्ग से निकाले गये।

और हसद विफलता की पैदावार है और इसी कारण क़ाबील ने हाबील की हत्या की।

(बिहारुल अनवार, जिल्द 78, पेज 111)

वह चीज़ें जो किसी पेट से पैदा नहीं हुईं

9. عن الحسن بن علي بن أبي‏طالب‏(عليه‌السلام) أنّه قال في حديث طويل له مع ملك الرّوم؛ إنّ ملك الرّوم سأله فيما سأله عن سبعة أشياء خلقها الله(عزّوجلّ) لم تخرج من رحم؛ فقال: آدم و حوّاء و كبش إبراهيم و ناقة صالح و حيّة الجنّة والغراب الّذي بعثه الله (عزّوجلّ) يبحث في الأرض و إبليس لعنه الله تبارك وتعالي!

इमाम हसने मुज्तबा ने एक विस्तिरित हदीस में जो कि रोम के बादशाह को लिखा एक पत्र था जिसमें बादशाह ने आपसे कुछ प्रश्न किये उन प्रश्नों में से एक यह था कि आपसे पूछाः सात (जानदार) चीज़ें जिनको ईश्वर ने पैदा किया लेकिन वह चीज़ें अपनी माँ के गर्भ से पैदा नहीं हुईं?

आपने उत्तर में फ़रमायाः यह चीज़ेः आदम, हव्वा, और इब्राहीम की भेड़ (जो इस्माईल के ज़िब्ह करने के समय आसमान से क़ुरबानी के लिये उतरी)

हज़रत सालेह का नाक़ा (ऊंट) और स्वर्ग का सांप (आदम की स्वर्ग में शैतान ने उस सांप के माध्यम से प्रवेश किया) और वह कव्वा जिसे ईश्वर ने भेजा ताकि वह ज़मीन को खोदे (और हाबील को दफ़्न करने का तरीक़ा क़ाबील को सिखाए) और इबलीस जिसपर ईश्वर ने लानत की है।

(ख़ेसाल, हदीस 34)

10.    قال الامام حسن المجتبی علیه السلام:

اَلنّاسُ اَربَعَةٌ: فَمِنهُم مَن لَهُ خُلقٌ وَ لا خَلاقَ لَهُ، وَ مِنهُم مَن لَهُ خَلاقٌ وَ لا خُلقَ لَهُ، وَ مِنهُم مَن لا خُلقٌ وَ لا خَلاقَ لَهُ، وَ ذالِکَ [مِن] شَرِّ النّاسِ، وَ مِنهُم مَن لَهُ خُلقٌ وَ خَلاقٌ فَذالِکَ خَیرُ النّاسِ.

इमाम हसन (अ)  ने फ़रमायाः

लोग चार प्रकार के होते हैः एक वह जो अच्छा अख़लाख़ रखते हैं लेकिन फ़ायदा नही उठा पाते, दूसरे वह कामियाब हैं लेकिन अच्छा व्यवहार नहीं रखते हैं, और (तीसरे) वह जिनका न व्यवहार अच्छा है और न ही वह कामियाब है और यह सबसे बुरे लोग है, और कुछ वह लोग है जिनका व्यवहार भी अच्छा है और कामियाब भी है, यह सबसे अच्छे लोग हैं।

(ख़िसाल, बाबुल अरबआ, हदीस 77)

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