ISIS और वहाबियों ने शियों को एक कर दिया है।


न्यूज़ एजेंसी अलमिनयातूर ने एक लेख प्रकाशित करके दावा किया है कि वहाबी और सल्फ़ी फ़तवों की आंड़ में ISIS की उत्पत्ती ने शियों को एक कर दिया है।

इस न्यूज़ एजेंसी ने कहा है कि मध्य पूर्व में शिया अलग अलग क्षेत्रों में रहते हैं और इस्लामी इतिहास में शिया सदैव से ही अल्पसंख्यक और शत्रुओं के निशाने पर रहे हैं, वहाबी और ISIS की निगाह में सफ़वी हुकूमत के घृणित होने का कारण भी यही है कि यह पहली शिया हुकूमत थी जिसने ज्ञान, अर्थव्यवस्था, संस्कृति और दूसरे क्षेत्रों में तरक़्क़ी की।

शियों ने सफ़वीयों की हुकूमत में अपना कल्चल संसार तक पहुंचाया और सफ़वीयों के पतन के बाद भी शियों की बढ़ना और उनकी तरक़्क़ी रुकी नहीं।

ईरान में इस्लामी क्रांति की सफ़लतना कारण बनी कि शिया एक हूकम के बारे में सोंचे, और यही कारण था कि शियों के शत्रुओं ने ईरान पर आठ साल की जंग को लाद दिया।

लेकिन इसके बाद सबको पता चल गया कि शियों को सेना के माध्यम से समाप्त नहीं किया जा सकता है इसीलिये उनके विरुद्ध संस्कृतिक, और आर्थिक जंग का बिगुल फूंका गया। और इसके अतिरिक्त शिया देशों में आतंकवाद को बढ़ावा दिया गया, पाकिस्तान, सीरिया, लेबनान, इराक़, यमन, बहरैन यह वह देश हैं जिनमें शिया रहते हैं और इस समय आतंकवाद का दंष झेल रहे हैं।

यह सही है कि वहाबियों और ISIS ने अपनी कार्यवाहियों में बहुत से शियों को शहीद कर दिया है लेकिन अगर वह ध्यान से देखें तो उनके इन कार्यों ने शियों को एक प्लेटफ़ार्म पर इकट्ठा कर दिया है और वह एक हो गये हैं, जैसे सीरिया में किसने हुकूमत का साथ दिया? कर्बला की सुरक्षा के लिये कौन लोग जमा हुए, और इस समय हम देख रहे है कि यमन में शिया क्रांति सफ़ल हो चुकी है।

अगर वहाबी और ISIS शियों से मुक़ाबला करना चाहते हैं तो जान लें कि इसका कोई नतीजा निकलने वाला नहीं है, शियों के विरुद्ध किये जाने वाले सारे कार्य उनके फ़ायदे में हुए हैं और इतिहास इस बात का गवाह है।

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