तीन चीज़ें तीन चीज़ों में छिपी हैं

तीन चीज़ें तीन चीज़ों में छिपी हैं

सकीना बानो अलवी

قالَ الباقرُ علیهِ السلامُ:

إنَّ اللهَ خَبَأَ ثَلاثَةَ أشْیاءَ فی ثَلاثَةِ أشْیاءَ:

1) خَبَأَ رِضاهُ فی طاعَتِهِ فَلا تُحَقِّرَنَّ مِنَ الطّاعَةِ شَیْئاً فَلَعَلَّ رِضاهُ فیهِ

2) وَ خَبَأَ سَخَطَهُ فی مَعْصِیَتِهِ فَلا تُحَقِّرَنَّ مِنَ الْمَعْصِیَةِ شَیْئاً فَلَعَلَّ سَخَطَهُ فیهِ

3) وَ خَبَأَ أوْلِیائَهُ فی خَلْقِهِ فَلا تُحَقِّرَنَّ أحَداً فَلَعَلَّ ذلِکَ الْوَلِیُّ؛

इमाम मोहम्मद बाक़िर (अ) ने फ़रमायाः

ईश्वर ने तीन चीज़ों को तीन चीजों में छिपाया है

1.    अपनी प्रसन्नता को अनुसरण में छिपाया है, तो किसी भी इताअत (अनुसरण) को छोटा न समझो, शायद ईश्वर की मर्जी उसी में हो।

2.    और अपने क्रोध को पाप और गुनाह में छिपाया है, तो किसी भी पाप को छोटा न समझो शायद ईश्वर का क्रोध उसी पाप में हो।

3.    और उसने अपने दोस्तों को लोगों के बीच छिपा दिया है, तो किसी को भी छोटा और कम न समझो शायद वही ईश्वर का दोस्त हो।

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(कशफ़ुल्लग़ुम्मा, जिल्द2, पेज148)

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