जो भी मोहब्बते अहलेबैत पर मरे वह....

जो भी मोहब्बते अहलेबैत पर मरे वह....

सैय्यदा सकीना बानो अलवी

قال رسول الله صلّى ‏ الله‏  عليه ‏ و‏ آله و سلّم:

ألا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی حُبِّ آلِ مُحَمَّدٍ مَاتَ شَهِیداً؛

أَلا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی حُبِّ آلِ مُحَمَّدٍ مَاتَ مَغْفُوراً لَهُ؛

أَلا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی حُبِّ آلِ مُحَمَّدٍ مَاتَ تَائِباً؛

أَلا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی حُبِّ آلِ مُحَمَّدٍ مَاتَ مُؤْمِناً مُسْتَکمِلَ الْإِیمَانِ؛

أَلا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی حُبِّ آلِ مُحَمَّدٍ بَشَّرَهُ مَلَک الْمَوْتِ بِالْجَنَّةِ ثُمَّ مُنْکرٌ وَ نَکیرٌ؛

أَلا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی حُبِّ آلِ مُحَمَّدٍ یزَفُّ إِلَی الْجَنَّةِ کمَا تُزَفُّ الْعَرُوسُ إِلَی بَیتِ زَوْجِهَا؛

أَلا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی حُبِّ آلِ مُحَمَّدٍ فُتِحَ لَهُ فِی قَبْرِهِ بَابَانِ إِلَی الْجَنَّةِ؛

أَلا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی حُبِّ آلِ مُحَمَّدٍ جَعَلَ اللَّهُ قَبْرَهُ مَزَارَ مَلَائِکةِ الرَّحْمَةِ؛

أَلا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی حُبِّ آلِ مُحَمَّدٍ مَاتَ عَلَی السُّنَّةِ وَ الْجَمَاعَةِ؛

 
أَلا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی بُغْضِ آلِ مُحَمَّدٍ جَاءَ یوْمَ الْقِیامَةِ مَکتُوبٌ بَینَ عَینَیهِ آیسٌ مِنْ رَحْمَةِ اللَّهِ؛

أَلا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی بُغْضِ آلِ مُحَمَّدٍ مَاتَ کافِراً؛

أَلا وَ مَنْ مَاتَ عَلَی بُغْضِ آلِ مُحَمَّدٍ لَمْ یشَمَّ رَائِحَةَ الْجَنَّة.

पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की मोहब्बत पर मरे वह शहीद मरा है,

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की मोहब्बत पर मरे वह बख़्श दिया गया है,

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की मोहब्बत पर मरे, वह तौबा के साथ मरा है,

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की मोहब्बत पर मरे, वह पूर्ण ईमान के साथ इस दुनिया से गया है,

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की मोहब्बत पर मरे, उसको यमदूत स्वर्ग की शुभ सूचना देता है और उसके बाद नकीर और मुनकर नामी फ़रिश्ते,

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की मोहब्बत पर मरे, उसको उतने सम्मान के साथ स्वर्ग में ले जाते हैं जितने सम्मान से दुल्हन को पति के घर लाते हैं,

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की मोहब्बत पर मरे, उसकी क़ब्र से एक द्वार स्वर्ग की तरफ़ खोला जाता है,

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की मोहब्बत पर मरे, ईश्वर उसकी क़ब्र को रहमत के फ़रिश्तों का ज़ियारत स्थल बनाता है,

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की मोहब्बत पर मरे, वह पैग़म्बर और मोमिनीन के रास्ते पर मरा है।

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की दुश्मनी में मरे, वह क़यामत के दिन इस अवस्था में आएगा कि उसके माथे पर लिखा होगाः ईश्वर की रहमत से निराश है,

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की दुश्मनी में मरे, वह काफ़िर दुनिया से गया है,

याद रखो जो भी आले मोहम्मद की दुश्मनी में मरे, वह स्वर्ग की गंध भी न सूंघ सकेगा।

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(बिहारुल अनवार, जिल्द 23, पेज 233)

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