पैगम़्बरे इस्लाम के मार्गदर्शक कथन भाग 1

पैगम़्बरे इस्लाम के मार्गदर्शक कथन भाग 1

अनुवादक सैय्यद ताजदार हुसैन ज़ैदी

1. قال رسول الله صلى ‏ الله‏  عليه ‏ و‏ آله و سلّم:

طَلَبُ العِلمِ فَريضَةٌ عَلى كُلِّ مُسلِمٍ، أَلا إِنَّ اللهَ يُحِبُّ بُغاةَ العِلمِ.

पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः

ज्ञान प्राप्त करना हर मुसलमान के लिये अनिवार्य (वाजिब) है, ईश्वर ज्ञान की तलाश में रहने वालों को दोस्त रखता है।

(मिस्बाहुश्शरीआ, पेज 13)

2. قال رسول الله صلى ‏ الله‏  عليه ‏ و‏ آله و سلّم:

مُجَالِسَه أَهلِ الدِّینِ شَرَفُ الدَّنیَا وَ الاخِرَة.

पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः

दीनदारों (धार्मिक लोग) के साथ मेल जोल, लोक एवं परलोक का सौभाग्य है।

(अलख़ेसाल, अध्याय 1, हदीस 12, अलकाफ़ी, जिल्द 1, पेज 39, हदीस 4)

3. قال رسول الله صلى ‏ الله‏  عليه ‏ و‏ آله و سلّم:

طوبی لِمَن تَرَک شَهوةً حاضرةً لِمَوعودٍ لَمْ یَرَه.

पैग़म्बरे इस्लाम (स)  ने फ़रमायाः

सौभाग्य है उस व्यक्ति के लिये कि जो ईश्वर के अनदेखों वादों पर विश्वास करते हुए अपनी इच्छाओं से आँख मूंद लेता है।

(तोहफ़ुल उक़ूल, पेज 49)

4. قال رسول الله صلى ‏ الله‏  عليه ‏ و‏ آله و سلّم:

مَن تمنّی شیئا و هو لله عزّوجلّ رضیً لم یخرج من الدنیا حتی یُعطاهُ.

 

पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः

जो भी जो चीज़ चाहता है और उसपर ईश्वर की मर्ज़ी हो तो वह दुनिया से नहीं जाता है मगर यह कि अपनी इच्छा तक पहुंच जाए।

(ख़ेसाले शेख़ सदूक़, जिल्द 1, हदीस 7, पेज 64)

5. أتی النبی صلى ‏ الله‏  عليه ‏ و‏ آله و سلّم رجلٌ فقال له: ما لي لا أحب الموت؟ فقال له: أ لك مالٌ؟ قال: نعم، قال: فقدمته؟ قال: لا، قال: فمِن ثَمَّ لا تحب الموت».

एक व्यक्ति पैग़म्बरे इस्लाम (स) के पास आया और कहने लगाः क्यों मुझे मौत अच्छी नहीं लगती?
पैग़म्बर ने फ़रमायाः क्या तुम्हारे पास सम्पत्ति है?
उसने कहाः हां
आपने फ़रमायाः क्या तुमने अपनी इस सम्पत्ति से अपने परलोक के लिये कुछ भेजा है?
उसने कहाः नहीं।
आपने फ़रमायाः यही कारण है जो तुमको मौत अच्छी नहीं लगती है।
(अलख़ेसाल, पेज 13, हदीस 47)

6. قال رسول الله صلى ‏ الله‏  عليه ‏ و‏ آله و سلّم:

إذا کان امراؤکم خیارکم و أغنیائکم سمحائکم و امرکم شوری بینکم فظهر الارض خیر لکم من بطنها و اذا کان امراؤکم شرارکم و اغنیاؤکم بخلاؤکم و امورکم الی نسائکم فبَطنُ الارض خیرٌ لکم من ظَهرها.

पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः

जब भी तुम्हारे सत्ताधारी तुम में से सभ्य और नेक लोग हों और मालदार उदारवादी हो, और तुम्हारे कार्य सबकी सहाल से हों, तो ज़मीन का उपर तुम्हारे लिये उसके भीतर (मरने) से बेहतर है और जब भी तुम्हारे सत्ताधारी बुरे हों और मालदार कंजूस हो और तुम्हारे कार्य तुम्हारी औरतों के हाथ में पहुंच जाएं तो ज़मीन के भीतर होना तुम्हारे लिये उसके ऊपर रहने से अधिक उचित है।

(बिहारुल अनवार जिल्द 77, पेज 141, हदीस 1)

7. قال رسول الله صلى ‏ الله‏  عليه ‏ و‏ آله و سلّم:

ملعون من ألقي كَلَّه علي الناس.

पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः

मलऊन (ईश्वर की कृपा से दूर) है वह व्यक्ति जो स्वंय दूसरों पर बोझ बनाता है।

(तोहफ़ुल उक़ूल, पेज 36, हदीस 19)

8. قال رسول الله صلى ‏ الله‏  عليه ‏ و‏ آله و سلّم:

قَالَتِ الْحَوَارِیُّونَ لِعِیسَى: یَا رُوحَ اللَّهِ مَنْ نُجَالِسُ؟ قَالَ: مَنْ یُذَکِّرُکُمُ اللَّهَ رُؤْیَتُهُ وَ یَزِیدُ فِی عِلْمِکُمْ مَنْطِقُهُ وَ یُرَغِّبُکُمْ فِی الْآخِرَةِ عَمَلُه‏ .

पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः

हवारियों (हज़रत ईसा के अनुयायी) ने ईसा (अ) से कहाः हे अल्ला की आत्मा हम किसके साथ बैठें?

आपने फ़रमायाः उसके साथ जिसकी मुलाक़ात तुम्को ईश्वर की याद दिलाए, और उसकी बातें तुम्हारे ज्ञान को बढ़ाए और उसका व्यवहार तुम्को आख़ेरत का शौक़ दिलाए।

(अलकाफ़ी जिल्द 1, पेज 39 बाबे तिफ़तुल उलमा)

9. قال رسول الله صلى ‏ الله‏  عليه ‏ و‏ آله و سلّم:

یجیء یوم القیامة ذو الوجهین دالعاً لسانه فی قفاه و آخَرُ مِن قُدّامِهِ یَلتَهبان ناراً حتّى یُلَهَّبا جَسَدَهُ ثُمَّ یُقالُ له: هذا الّذی کان فی الدنیا ذا وجهین و لسانین یُعرفُ بذلک یومَ القیامة».

जो दो चेहरे वाला (यानी पल पल रंग बदलने वाला) हो वह क़यामत के दिन इस अवस्था में लाया जाएगा कि उसकी एक ज़बान उसकी गुद्दी और दूसरी उसके सामने से बाहर होगी, और हर दोनों से आग निकल रही होगी यहां तक कि उसका पूरा शरीर आग से घिर जाएगा, फिर उसके बारे में कहा जाएगाः यह वही है जो दुनिया में जो दुनिया में दो ज़बानों वाला था और क़यामत के दिन इसी गुण से लोगों के बीच पहचाना जाएगा।

(ख़ेसाल बाबे अलइसनयैन, हदीस 16)

10. عَنْ سُلَيْمِ بْنِ قَيْسٍ الْهِلَالِيّ قَالَ سَمِعْتُ أَمِيرَ الْمُؤْمِنِينَ (علیه السلام) يُحَدّثُ عَنِ النّبِيّ (صلّی الله علیه و آله و سلّم) أَنّهُ قَالَ فِي كَلَامٍ لَهُ الْعُلَمَاءُ رَجُلَانِ رَجُلٌ عَالِمٌ آخِذٌ بِعِلْمِهِ فَهَذَا نَاجٍ وَ عَالِمٌ تَارِكٌ لِعِلْمِهِ فَهَذَا هَالِكٌ وَ إِنّ أَهْلَ النّارِ لَيَتَأَذّوْنَ مِنْ رِيحِ الْعَالِمِ التّارِكِ لِعِلْمِهِ وَ إِنّ أَشَدّ أَهْلِ النّارِ نَدَامَةً وَ حَسْرَةً رَجُلٌ دَعَا عَبْداً إِلَى اللّهِ فَاسْتَجَابَ لَهُ وَ قَبِلَ مِنْهُ فَأَطَاعَ اللّهَ فَأَدْخَلَهُ اللّهُ الْجَنّةَ وَ أَدْخَلَ الدّاعِيَ النّارَ بِتَرْكِهِ عِلْمَهُ وَ اتّبَاعِهِ الْهَوَى وَ طُولِ الْأَمَلِ أَمّا اتّبَاعُ الْهَوَى فَيَصُدّ عَنِ الْحَقّ وَ طُولُ الْأَمَلِ يُنْسِي الْآخِرَةَ.

सुलीम कहते हैः मैंने अमीरुल मोमिनीन (अ) से सुना कि आप पैग़म्बरे इस्लाम (स) से ख़बर दे रहे थे कि आपन (स) अपने कथनों में फ़रमाते थेः

हे लोगों ज्ञानी दो प्रकार के हैं: एक वह ज्ञानी जो अपने ज्ञान के अनुसार कार्य करता है और यह कामियाब है और दूसरा वह ज्ञानी जो अपने ज्ञान को छोड़ देता है और यह हलाक (बरबाद) हो गया है।

जान लो कि नर्कवासी बेअमल ज्ञानी की बदबू से मुसीबत में होंगे और नर्कवासियों में उस व्यक्ति का अफ़सोस और लज्जा ज़्यादा कठिन है जिसने दुनिया में किसी बंदे को ख़ुदा की तरफ़ बुलाया हो और उसने उसकी बात मानकर ईश्वर के आदेशों का पालन किया हो और ईश्वर ने उसको स्वर्ग में रखा हो लेकिन स्वंय बुलाने वाला अमल न करने और अपनी इच्छाओं का अनुसरण करने और बड़ी बड़ी आरज़ुओं के कारण नर्क पहुंच गया है, इच्छाओं का अनुसरण ईश्वर की याद से आगे निकल गया और बड़ी बड़ी आरज़ुओं ने परलोक को भुला दिया।
(उसूले काफ़ी जिल्द 1, पेज 55, हदीस 1)

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