नमाज़ अल्लाह की याद

नमाज़ अल्लाह की याद

अल्लाह ने हज़रत मूसा अलैहिस्सलाम से फ़रमाया कि मेरी याद के लिए नमाज़ क़ाइम करो।

एक मख़सूस तरीक़े से अल्लाह की याद जिसमे इंसान के बदन के सर से पैर तक के तमाम हिस्से शामिल होते हैं।वज़ू के वक़्त सर का भी मसाह करते हैं और पैरों का भी, सजदे मे पेशानी भी ज़मीन पर रखी जाती है और पैरों के अंगूठे भी। नमाज़ मे ज़बान भी हरकत करती है और दिल भी उसकी याद मे मशग़ूल रहता है।

 

नमाज़ मे आँखे सजदह गाह की तरफ़ रहती हैं तो रुकू की हालत मे कमर भी झूकी रहती है। अल्लाहो अकबर कहते वक़्त दोनों हाथ ऊपर की तरफ़ उठ ही जाते हैं। इस तरह से बदन के तमाम हिस्से किसी न किसी हालत मे अल्लाह की याद मे मशग़ूल रहते हैं।

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