इमामे ज़माना की जंग

इमामे ज़माना की जंग

सही मुस्लिम में जाबिर इब्ने अब्दुल्लाह अंसारी बयान करते हैं कि मैंने पैग़म्बरे इस्लाम (स) को फ़रमाते सुना: मेरी उम्मत का एक गिरोह इज़हारे हक़ के लिये क़यामत तक जंग करता रहेगा, पस ईसा (अ) तशरीफ़ लायेगें उनका हाकिम ईसा से कहेगा आईये हमें नमाज़ पढ़ाईये वह कहेंगें तुम में कुछ लोग दूसरे कुछ लोगों पर इस उम्मत की अता करदा बुज़ुर्गी के सबब हाकिम है।[1]

असआफ़ूर राग़ेबीन में सबान (अलहनफ़ी) बयान करता है कि कुछ रिवायतों में वारिद हुआ है कि इमाम के ज़हूर के वक़्त ऊँचाई से एक फ़रिश्ता इस तरह आवाज़ देगा यह महदी ख़ुदा के ख़लीफ़ा है, पस तुम लोग इसकी पैरवी करो।

लोगों के दिलों में आपकी मुहब्बत भर जायेगी। पूर्व व पश्चिम की हुकुमत आपके हाथों में होगी। रुक्न और मक़ामे इब्राहीम के दरमियान आपसे बैअत करने वालों की तादाद अहले बद्र (313) के बराबर होगी। फिर आपकी ख़िदमत में शाम के अबदाल हाज़िर होगें। ख़ुदावंदे आलम आपकी हिमायत में ख़ुरासान से लश्कर रवाना फ़रमाएगा जिनके झंडे काले होगें, फिर आप शाम की जानिब चलेंगे और दूसरी रिवायत में है कि आप कूफ़े की जानिब हरकत करेंगे। ख़ुदावंदे आलम आपकी सहायता तीन हज़ार फ़रिश्तों से फ़रमाएगा। और असहाबे कहफ़ आपके मददगार होगें।

सुयूती का बयान है कि असहाबे कहफ़ के इस मुद्दत तक ताख़ीर करने की वजह यही है कि वह इस उम्मत में दाख़िल हों और ख़लीफ़ा ए हक़ से मुलाक़ात करें। और इमाम के लश्कर के आगे क़बीला ए तमीम का एक शख़्स होगा, जिसकी दाढ़ी हल्की होगी और नाम शुऐब इब्ने सालेह होगा जिबरईल आपके लश्कर के सामने और मीकाईल पीछे होगें। सुफ़यानी अपने लश्कर के साथ ख़ुरूज करेगा। और मक़ामे बैदा में पहुच कर बर्बाद हो जायेगा। जिनमें से मुख़्बिर के सिवा कोई और न बचेगा। कामयाबी महदी(अ) की होगी और सुफ़यानी को क़त्ल कर दिया जायेगा।

सआफ़ुर राग़ेबीन में महदी(अ) के बाज़ आसार के बारे में इस तरह बयान किया गया है:

* आपका ज़ुहूर ताक़ सालों में होगा।

* आपकी हुकुमत पूर्व एवं पश्चिम दोनों पर होगी।

* आपके लिये ख़ज़ाने ज़ाहिर होगें।

* ज़मीन में किसी क़िस्म की तबाहकारी न होगी।

मुन्तख़बे कंज़ुल उम्माल में अली (अ) से रिवायत की गयी है, आपने फ़रमाया: तालेक़ान के लिये मुबारकबाद है। इसलिये कि तालेक़ान में ख़ुदावंदे आलम के खज़ाने हैं जिनका तअल्लुक़ न सोने से है न चाँदी से, बल्कि उसमें ऐसे लोग मौजूद हैं जिन्हे ख़ुदावंदे आलम की पूर्ण मारेफ़त हासिल है। और वह लोग इमाम महदी(अ) के अंसार होगें।

*********
[1] - यह हदीसे इस चीज़ को बयान करती है कि इमाम मेहदी(अ) के ज़हूर तक ख़ुदा की तरफ़ दावत और दुनिया में हक़ पर जंग जारी रहेगी। औक यही हदीस उस गिरोहे मुसब्बीन के लिये जबाव भी है जिनका कहना है कि दुनिया का कुफ्र व ज़लालत से भर जाना ज़रूरी है ताकि इमाम ज़हूर फ़रमायें और हमें कुछ सुधार नही करना चाहिये व गर्ना अमल इमाम के ज़हूर में ताख़ीर का बाईस होगा। इस क़िस्म का ख़्याल क़ायम करना कई वुजूह से ग़लत है, जिनमे से बअज़ का ज़िक्र हम कर चुके हैं। (लेखक)

नई टिप्पणी जोड़ें