मिस्र में वहाबी मुफ़्तियों के अजीबो ग़रीब फ़तवे बने चुनावी मुद्दे
अल आलम टीवी चैनल की रिपोर्ट के अनुसार मिस्र में संसदीय चुनाव निकट आ रहा है और इस बार का संसदीय चुनाव अतीत की तुलना में अधिक अधिकारों के साथ नये संविधान के आधार पर लड़ा जाएगा। देश की विभिन्न पार्टियों ने चुनाव की तैयारियां आरंभ कर दी हैं और जनता के सामने अपने एजेन्डे पेश कर रहे हैं। इन सबके दृष्टिगत इस बार के चुनाव में विभिन्न प्रत्याशियों के मध्य कड़ी प्रतिस्पर्धा की संभावना है।
मिस्र की सलफ़ी या वहाबी पार्टी नूर के विरोधियों ने इस पार्टी के मुफ़्ती शैख़ यासिर बुरहामी के यौन मामलों और वैवाहिक जीवन से संबंधित फ़त्वों पर काफ़ी हंगामा मचा रखा है। शैख़ बुरहामी के जिन फ़त्वों पर काफ़ी हंगामा मचा है उनमें से एक फ़त्वा यह है कि यदि किसी व्यक्ति को यह विश्वास हो कि वह अपनी पत्नी का बलात्कार करने वाले से उलझेगा तो जान से मार दिया जाएगा तो उसके लिए अपनी पत्नी का बचाव करना अनिवार्य नहीं है। इस फ़त्वे के कारण मिस्र के वक़्फ़ मंत्री मुहम्मद मुख़्तार जुमा ने भी बुरहामी का नाम लिए बिना फ़त्वे की कड़े शब्दों में निंदा की । श्री मुख़्तार जुमा ने नमाज़े जुमा के अपने भाषण में इस बारे में कहा कि मुसलमान महिला के बलात्कार और उससे छेड़छाड़ पर पुरुष का मौन आश्चर्यजनक और अपमान की बात है, और यदि वह महिला उसकी पत्नी हो तो फिर यह और भी हैरत की बात है। इस्लाम धर्म ने अपने अनुयायियों को यह आदेश दिया है कि वह अपनी धन संपत्ति की रक्षा करें तो महिलाओं की रक्षा की तो बात ही अलग है।
बुरहामी का एक अन्य फ़त्वा जिसने हंगामा मचा दिया है वह लड़कियों का कम आयु में विवाह है। अर्थात नौ वर्ष के बाद लड़कियों का विवाह करना वैध है। बुरहामी का यह मानना है कि इस प्रकार का विवाह, पारंपरिक व क़ानून के विरुद्ध होने वाले विवाहों से बेहतर है। यह ऐसी स्थिति में है कि सुन्नी समुदाय के अधिकतर मुफ़्तियों के फ़त्वों में लड़के और लड़कियों के विवाह के लिए 15 वर्ष की आयु निर्धारित की गयी है।
मिस्र के बहुत से पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने नूर पार्टी के प्रत्याशियों को अपना मूल्यवान मत देने की ओर से सचेत किया है और यह मुद्दा उठा रहे हैं कि यदि इस पार्टी ने देश के संसदीय चुनाव में बहुमत प्राप्त कर लिया तो क्या गैरेंटी है कि यह पार्टी अपने ग़लत विचारों और आस्थाओं को क़ानून का रूप न दे दे।
यह ऐसी स्थिति में है कि इख़वानुल मुसलेमीन की राजनैतिक शाखा फ़्रीडम एंड जस्टिस को भंग करने की घोषणा और इसको आतंकवादी संगठनों में शामिल किए जाने के बाद नूर पार्टी मिस्र की सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर कर सामने आई है और 25 जनवरी की क्रांत के बाद संसद में इख़वानुल मुसलेमीन के बाद उसकी ही सबसे अधिक सीटें थीं।
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