हज़रत अब्दुल मुत्तलिब के आदर्श

हज़रत अब्दुल मुत्तलिब के आदर्श

हज़रत मुत्तलिब के पश्चात कुरैश गुट की अगुवाई के लिए अब्दुल मुत्तलिब के नियुक्त किया गया क्योंकि अब्दुल मुत्तलिब को अपने गुट तथा समारोह मे एक विशेष स्थान था। लोगों में वह पृसिद्द थे इस कारण लोग उनका आदर सत्कार तथा उनसे प्रेम करते थे, इसका कारण यह था कि वह सज्जन तथा मानवीय व्यवहारो, व मानवीय गुणों का संगम थे।

उनका व्यवहार इस पृकार था कि विरोघी का दिल मोह लेते और उसे अपने पक्ष मे कर लेते थे। वह मजबूर तथा कमज़ोरों का समर्थन करते तथा पूर्ण रूप से उनकी सहायता करते थे, वह ऍसे दानी थे कि उनके द्वार से केवल मनुश्य ही नही बल्कि पशु पक्षी भी ख़ाली नही जाते थे।इसी कारण उनका "दानी"नाम पड़ गया था।

वह दयालु ज्ञानी तथा ज्ञान प्रेमी थे वह अपने गुट को श्रेण्ट गुण तथा उत्तम व्यवहार की शिक्षा देते थे और अन्याय, भ्रण्टाचार तथा अन्य कुकर्मो एवं दुर व्यवहार की निंदा कर उसका विरोध करते थे। उनकी दृण्टि से अत्याचारी मनुश्य को उसके कुकर्मों का बदला इस संसार में न मिले तो मृत्यु के बाद नरक में उसका बदला मिलेगा।

अपनी इस विचार धारा तथा श्रद्धा के कारण उन्होने अपने पूर्ण जीवन काल मे न कभी शराब पिया और न कभी किसी निदोशि को हाथ लगाया और न कभी किसी दुर व्यवहारिक कार्य एवं कुकर्म की ओर अग्रसर हुए।इसके विपरीत कुछ ऍसे कार्यो की खोज की एवं उसे जन्म दिया जिसको इस्लाम धर्म ने बाक़ी रखा और वह निम्नलिखित हैः

1. पिता की किसी पत्नी (सगी मां अर्थात सौतेली) को पुत्र के लिए हराम करना।

2. अपनी सम्पत्ति (माल,दौलत) का पाँचवा भाग ईश्वर तथा धर्म के कार्यो पर ख़र्च करना।

3. स्रोत ज़म ज़म का सक़ाय तुल हाज नाम करण करना।

4. हत्या के बदले सौ ऊट ख़ून बहा देना।

5. हज एवं उमरा मे काबा के चारों ओर सात चक्कर लगाना।

यधपि इतिहास की दूसरी पुस्तकों में उनके द्वारा जन्मित उन्य अच्छे कर्मों का उल्लेख है जिनमे से कुछ निम्नलिखित हैः

6. दृढ़ संकल्प के बाद उसे निभाना।

7. चोर के हाथ काटना।

8. पुत्रियों की हत्या तथा ज़िन्दा दरगोर करने पर अंकुश लगाना तथा इसकी निन्दा करना।

9. शराब तथा बलात्कार पर रोक लगाना।

10. नग्न हो कर काबा के तवाफ़ पर रोक।

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