लोगों से बात करने का तरीक़ा
लोगों से बात करने का तरीक़ा
अलकाफ़ी में इमाम जाफ़र सादिक़ अलैहिस्सलाम से रिवायत है कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने कभी भी लोगों से अपनी अक़्ल के अनुसार बात नहीं की, उसके बाद इमाम फ़रमाते हैं कि पैग़म्बरे इस्लाम (स) ने फ़रमायाः
इन्ना मआशरल अम्बियाए ओमिरना अन नोकल्लेमन नासा अला क़दरे उक़ूलेहिम
अनुवादः हम सारे निबियों को यह आदेश दिया गया है कि लोगों से उनकी अक़्लों के अनुसार बातचीत करें
यह हदीस यहां एक तरफ़ पैग़म्बर की सुन्नत को बयान कर रही है वहीं दूसरी तरफ़ हम इन्सानों को भी यह सीख दे रही है कि कभी भो लोगों को अपनी सोंच के अनुसार न समझों और जब भी बात करो तो इस बात का ध्यान रखों के तुम्हारी बात सुनने वाला कौन हैं, जैसा व्यक्ति हो उसी के अनुसार बात करों, क्यों कि यह बात हर अक़्लमंद इन्सान जानता है कि अगर आप किसी अशिक्षित व्यक्ति से साइंस के फ़ार्मूलों पर बात करने लगेंगे तो, यह आप की बेवक़ूफ़ी होगी।
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अलक़ाफ़ी, जिल्द 6, पेज 35
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