isis के बारे में विवादास्पद बयान, सोशल साइटों पर हंगामा
सउदी अरब के धर्मोपदेशक के आतंकवादी गुट आईएसआईएस के सलफ़ी होने से संबंधित बयान ने सोशल साइटों पर हंगामा खड़ा कर दिया है।
सउदी समाचार पत्र अलमुरसिद की वेबसाइट हवाले के अनुसार सउदी धर्मोपदेशक आदिल अलकलबानी के आतंकवादी गुट आईएसआईएस या दाइश के सलफ़ी होने से संबंधित बयान पर ट्वीटर के सदस्यों की ओर से अलग अलग प्रकार की प्रतिक्रियाएं सामने आयी हैं। जैसे दाएल अश्शहरानी ने अपने पेज पर लिया, “ आईएसआईएस या दाइश को विश्व की अनेक गुप्तचर संस्थाओं ने अस्तित्व दिया है।”
मोहम्मद अली अमहूद ने लिखा, “ हमने दाइश के जन्म लेने से पहले ही कहा था कि सलफ़ी मत को बेलगाम छोड़ना अलक़ाएदा से भी ज़्यादा बुरे गुटों के जन्म लेने का कारण बनेगा।”
मोहम्मद अली महमूद ने कहा, “ दाइश जैसे घृणित गुट का अस्तित्व सलफ़ी विचारों की देन है।”
महमूद नामक इस सदस्य ने आगे लिखा, “ हमने दस साल पहले कहा था कि इन आतंकवादी हमलों की जड़ कि जिनका हमें सामना है, सलफ़ी मत में निहित है। क्या अब इस बात की ज़रूरत है कि एक सलफ़ी उपदेशक इस बात को स्वीकार करे कि सलफ़ी मत का अर्थ आतंकवाद है।”
मोहम्मद अलहमना नामक सदस्य ने सलफ़ी मत का समर्थन करते हुए बल दिया, “ हे कलबानी सलफ़ियत का अर्थ इस्लाम के आरंभिक काल के मुसलमानों का स्पष्ट मार्ग है और चरमपंथियों को सलफ़ियों का नाम देना अत्याचार व इल्ज़ाम है। हे धर्मोपदेशक आपको मार्गदर्शन की ज़रूरत है।”
फ़हद अलअवीन ने भी लिखा, “ पश्चिमी अलकलबानी के विचार को इस्लाम की छवि को धूमिल करने के लिए प्रयोग करेगा।”
अब्दुल अज़ीज़ अश्शहरी ने भी कहा, “ किसी चीज़ के सिद्धांत का ग़लत क्रियानवयन उस चीज़ की छवि के धूमिल होने का कारण नहीं बनता बल्कि ग़लत व्यक्ति को अपने ग़लत काम की ज़िम्मेदारी लेनी चाहिए वरना हमें अपने सारे ग़लत कार्यों के लिए इस्लाम को ज़िम्मेदार ठहराना पड़ेगा।”
अब्दुल्लाह अनहदलक़ ने लिखा, “ अपनों व राष्ट्र की ग़द्दारी की तलवार जंग की तलवार से ध्यादा घातक होती है।”
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