अबूबक्र अल बग़दादी ने नूरी मालेकी को हरा दियाः सऊदी मीडिया
सऊदी मीडिया ने प्रधानमंत्री पद के लिये नूरी मालेकी के स्थान पर दूसरे व्यक्ति को चुने जाने पर प्रसन्नता प्रकट करते हुए कहा है कि आतंकवादी संगठन दाइश के प्रुमख़ ने इराक़ के प्रधानमंत्री को हरा दिया है।
टीवी शिया अलआलम से प्राप्त समाचार के अनुरास सऊदी चैनल अलअरबिया के निदेशक ने लंदन से छपने वाले समाचार पत्र अल शर्क़ अल अवसत में सऊदी चैनलों द्वारा फ़ितना फैलानी की रिवायत पूरी करते हुए इराक़ी सेना को नूरी मालेकी की सेना बताते हुए लिखाः "फ़र्ज़ कीजिये की तीन महीने पर मूसल पर हमले में isis नूरी मालेकी की सेना से मुक़ाबला न कर पाता, और इस शहर पर क़ब्ज़ा नहीं कर पाता और इराक़ी लोगों के दिलों में डर नहीं बिठा पाता"
उनसे दावा किया कि यह सारी हारें कारण बनी कि इराक़ी लोग यक़ीन कर लें कि इन सारी घटनाओं के लिये नूरी मालेकी ज़िम्मेदार हैं और उनका सत्ता में बने रहना पूरे इराक़ के लिये हानिकारक है।
अलराशिद ने आगे लिखाः "दुनिया के नम्बर एक आतंकवादी अबू बक्र अलबग़दादी के नेत्रत्व में दाइश ने मालेकी को राजनीतिक हार की तरफ़ ढकेल दिया, और यह हमारे लिये भी बहुत अचम्भित करने वाला था"।
अगरचे इराक़ी और विदेशी विशेषज्ञों के अनुसार इराक़ पर isis का अचानक हमला और नैनवा प्रांत पर तेज़ी से क़ब्ज़ा कर लेना कुछ ज़िम्मेदारों की गद्दारी और पश्चिमी और क्षेत्रीय ताक़तों द्वारा तकफ़ीरी बाअसी आतंकवादियों का समर्थन के कारण संभव हो पाया है, सऊदी चैनल के निदेशक ने दावा कियाः "isis ने अशांति और इराक़ी लोगों में सरकार के प्रति बढ़ती नाराज़गी और मालेकी द्वारा सशस्त्र बलों के कुप्रबंधन का लाभ उठाया, और बड़ी जीत अर्जित की, यह बग़दादी था जिसने मालेकी को हरा दिया"।
सऊदी लेखक मशारी अलज़ाएदी ने भी इसी समाचार पत्र में "नूरी मालेकी को इराक़ का बर्ख़ास्त प्रधानमंत्री" बताया और लिखा, कितनी आसानी से इराक़ में isis के प्रवेश ने मालेकी की कमर तोड़ दी और मूसल में उसकी सेना के पतन का कारण बन गया।
स्पष्ट रहे कि इराक़ के चुनाव में जब्कि नूरी मालेकी के सबसे अधिक वोट मिले थे और उनकी पार्टी सबसे बड़ी पार्टी बन के उभरी थी, इस सऊदी लेखक ने दावा कियाः "जब दुनिया विशेषकर अमरीका ने इस मामले पर ग़ौर किया को उनको समझ आया कि इस अपमान (मूसल की हार) का अस्ली कारण मालेकी से इराक़ियों की नफ़रत है"।
इस लेखक ने सऊदी मीडिया की नफ़रत फैलानी वाली और सम्प्रादायिक्ता को बढ़ावा देने वाली प्रथा को आगे बढ़ाते हुए लिखाः "मालेकी ने मुख़्तार (यज़ीदियों से इमाम हुसैन (अ) के ख़ून का बदला लेने वाले) की शैली को चुना.... क्या मुख़्तार का नया संस्क्रण यानी मालेकी समाप्त हो गया है या अभी कोई दूसरा मुख़्तार है"?
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