क्या अमरीका इराक़ के टुकड़े करना चाहता है?

(टीवी शिया रिपोर्ट) इराक़ पर आतंकवादी हमले को अब काफ़ी समय बीच चुका है, आरम्भ में इराक़ी सेना के पीछे हटने और आतंकवादियों के बढ़ने के बाद से अब तक इराक़ में हालात काफ़ी बदल चुके हैं, इराक़ी धर्मगुरुओं के फ़तवों और सेना में स्वंयसेवकों की भर्ती के बाद से सेना में नई जान आ चुकी है, और अब आतंकवादियों पर इराक़ी सेना का शिकंजा सकता जा रहा है।

सभी जानते हैं कि इराक़ का कुर्दिस्तान वह क्षेत्र है जो बहुत पहले से इराक़ से अलग होना चाहता है और इस क्षेत्र ने आतंकवादी हमले को एक बेहतरीन मौक़ा समझा और एक बार फिर अलग होने का बिगुल फूंक दिया, लेकिन जैसे ही इन आतंकवादियों ने क़ुर्दिस्तान की तरफ़ अपना रुख़ किया और अरबील की तरफ़ अपने क़दम बढ़ाये तो यह आवाज़ काफ़ी हद तक दब गई और बग़दाद एवं अरबील के बलों ने मिलकर आतंकवादियों का मुक़ाबला शुरू कर दिया।


वह इराक़ जो कई महीनों से आतंकवादियों का दंष झेल रहा है और उनसे पश्चिमी देशों के साथ साथ अमरीका से भी मदद की गुहार लगाई लेकिन तब किसी ने उसको मदद नहीं दी और अमरीका ने तो यहां तक कह दिया कि यह इराक़ का अंदरूनी मामला है। इस सारी घटनाओं के बाद अब प्रश्न यह उठता है कि आख़िर अब ऐसा क्या हो गया कि अमरीका दाइश के ठिकानों पर बमबारी करने के लिए तैयार हो गया? (यह और बात है कि जिसकों अमरीका ने आतंकवादियों के विरुद्ध हमला बताया उस हमले में आतंकवादियों के विरुद्ध अब तक अमरीकी विमानों ने केवल आठ बम बरसाये हैं!)


स्वंय अमरीका के प्रधानमंत्री ओबामा ने यह कहा था कि हमने अपने लोगों को बचाने के लिए दाइश के ठिकानों पर हमला बोला है, लेकिन अब अमरीकी समाचार पत्रों के हवाले से यह ख़बर आ रही है कि अमरीका अरबील एवं कुर्दिस्तान को हथियार दे रहा है, और सियासी समझ रखने वाला हर व्यक्ति यह जानता है कि अमरीका द्वारा कुर्दिस्तान को हथियार दिया जाना कुर्दिस्तान और बग़दाद के सम्बंधों को बिगाड़ सकता है, और कुर्दिस्तान के पेशमर्गा बल इन हथियारों के बल पर बग़दाद के ख़िलाफ़ उठ खड़े हो सकते हैं,

अमरीका द्वारा क़ुर्दिस्तान को हथियार दिया जाना और आतंकवादियों के विरुद्ध कोई ठोस कार्यवाही न करना दिखाता है कि अमरीका चाहता है कि इराक़ के टुकड़े हो जाएं और वह एक छोटा लेकिन कमज़ोर देश बनके रह जाए।

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